शिक्षक ले सकते हैं इस खबर से प्रेरणा... जिद से ऐसे बदल दी 61 स्कूलों की तस्वीर
जिद के आगे जीत है... इसी जज्बे से से पटियाला जिले के भादसों दो की खंड शिक्षा अधिकारी बलकार कौर ने प्राइमरी स्कूलों की तस्वीर बदल दी।
पटियाला [गौरव सूद]। जिद के आगे जीत है... इसी जज्बे से से पटियाला जिले के भादसों दो की खंड शिक्षा अधिकारी बलकार कौर ने प्राइमरी स्कूलों की तस्वीर बदल दी। सरकार का सहारा नहीं मिला तो शिक्षकों ने हाथ थाम लिया। सबसे पहले अपना वेतन स्कूल के विकास पर खर्च किया। यह देख अलग-अलग स्कूलों के 25 और शिक्षक अपना एक महीने का वेतन देने के लिए आगे आ गए। जहां कमी हुई वहां ग्रामीण मदद के लिए आगे आ गए। खंड शिक्षा अधिकारी और शिक्षकों ने मेहनत के रंग भरकर 61 प्राइमरी स्कूलों को स्मार्ट बना दिया। स्मार्ट स्कूलों ने लोगों की सोच भी बदली और बच्चों की संख्या स्कूलों में बढऩे लगी है। यही नहीं, भादसों-2 खंड सूबे में प्राइमरी स्मार्ट स्कूलों वाला खंड बन गया है।
बलकार कौर ने साल 2012 में भादसों खंड की प्राइमरी शिक्षा अधिकारी का पद संभाला था। प्राइमरी स्कूलों को संवारने के लिए फंड की मांग रखी, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। फिर स्कूलों का दौरा कर शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन समितियों को साथ लिया। एक साल की मेहनत से स्कूलों का रंग बदल गया। अब भादसों दो खंड के प्राइमरी स्कूलों में भी प्राइवेट स्कूलों की तरह सुविधाएं मिल रही हैं। ब्लॉक के सभी स्कूलों में प्री-प्राइमरी के बच्चों के लिए टॉय कॉर्नर, रंग-बिरंगे क्लासरूम, प्रोजेक्टर, एलईडी, साउंड सिस्टम, बैठने के लिए बेंच और पढ़ाई की सामग्री उपलब्ध है।
1100 से अधिक बच्चे बढ़े
सरकारी प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षक होते हैं लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण अभिभावक बच्चों को इनमें पढ़ाने से गुरेज करते हैं लेकिन अब जब प्राइमरी स्कूल अपग्रेड हुए तो बच्चों की संख्या में 1100 तक की बढ़ोतरी हुई है। पहले 2334 बच्चे ब्लॉक के प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे। अब ब्लॉक के प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की संख्या 3500 से ज्यादा हो गई है। भादसों स्कूल में ही 204 बच्चों की संख्या बढ़ी है।
एक स्कूल पर 50 हजार से डेढ़ लाख तक हुआ खर्च
खंड शिक्षा अधिकारी प्राइमरी बलकार कौर का कहना है कि स्कूलों की जरूरत अलग-अलग थी। किसी में 50 हजार रुपये से काम हो गया तो कहीं पर डेढ़ लाख रुपये तक खर्च हुए। इमारतों की मरम्मत, रंग और पीने के पानी की बहुत समस्या थी। कई स्कूलों में स्कूल स्टाफ ने खुद एलईडी लगवाई है।
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