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ठुकराए बच्चों की जिंदगी संवार रहा स्वामी गंगानंद भूरी वाले इंटरनेशनल फाउंडेशन

स्वामी शंकरानंद भूरी वाले ने बाल्यकाल में ही गृहस्थ आश्रम त्यागकर स्वामी गंगानंद भूरी वाले के सान्निध्य में संन्यास धारण किया। स्वामी गंगानंद भूरी वाले ने तलवंडी धाम लुधियाना की गद्दी उन्हें सौंपी। उसके बाद उन्होंने अपने गुरु की याद में सामाजिक कार्य करने शुरू किए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 01:37 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 01:37 AM (IST)
ठुकराए बच्चों की जिंदगी संवार रहा स्वामी गंगानंद भूरी वाले इंटरनेशनल फाउंडेशन
ठुकराए बच्चों की जिंदगी संवार रहा स्वामी गंगानंद भूरी वाले इंटरनेशनल फाउंडेशन

जागरण संवाददाता, लुधियाना : स्वामी शंकरानंद भूरी वाले ने बाल्यकाल में ही गृहस्थ आश्रम त्यागकर स्वामी गंगानंद भूरी वाले के सान्निध्य में संन्यास धारण किया। स्वामी गंगानंद भूरी वाले ने तलवंडी धाम लुधियाना की गद्दी उन्हें सौंपी। उसके बाद उन्होंने अपने गुरु की याद में सामाजिक कार्य करने शुरू किए। उनका मकसद था कि जिन बच्चों को उनके मां-बाप जन्म के समय ही त्याग देते हैं और उन्हें वात्सल्य भाव देकर समाज में खड़ा किया जाए। स्वामी शंकरानंद भूरी वालों ने तलवंडी धाम में ही अनाथ बच्चों के लिए बाल घर बना दिया। इस बाल घर में बच्चों को परिवार का माहौल दिया जाता है और यहां से समाज के हर वर्ग के लोग बच्चे अडाप्ट करते हैं। बाल घर में हर धर्म के धार्मिक त्योहार मनाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया जाता है। खास बात यह है कि तलवंडी धाम में पलकर बढ़ी हुई बेटियों को शादी के बाद भी मायके की कमी होने नहीं दी जाती है। हर त्योहार पर बेटियों को पूरा सत्कार दिया जाता है। तलवंडी धाम पिछले कई वर्षों से लोगों को सामाजिक जिम्मेदारी का संदेश भी दे रहा है।

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स्वामी शंकरानंद ने अपने गुरु स्वामी गंगानंद भूरी वाले की याद में 2003 में स्वामी गंगानंद भूरी वाले इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना की। इस फाउंडेशन को चलाने में उनकी मदद अध्यक्ष जसबीर कौर व सेक्रेटरी कुलदीप सिंह मान पूरी सक्रियता के साथ कर रहे हैं। फाउंडेशन के जरिए अब तक 364 बच्चों को देश व विदेश में अडाप्ट करवा चुके हैं। इस बाल घर में ज्यादातर बेटियां ही आती हैं, क्योंकि लोग बेटियों को ही लावारिस छोड़कर चले जाते हैं। तलवंडी धाम से अब तक 52 बेटियों को विदेशों में रहने वाले भारतीय अडाप्ट कर चुके हैं, जबकि 312 बच्चों को देश के अलग-अलग राज्यों के लोग अडाप्ट कर चुके हैं। खास बात यह है कि जिन बच्चों को कोई अडाप्ट नहीं करता है उनको पढ़ा-लिखा कर योग्य बनाते हैं और उनकी शादी कर देते हैं। तलवंडी धाम में अब तक आठ बेटियों की शादी करवाई गई है। इन बेटियों को त्योहारों व अन्य विशेष मौकों पर धाम में बुलाया जाता है। यही नहीं यह बेटियां भी इस धाम को अपना मायका मानती हैं। इस बार दो दोहतियों की लोहड़ी मनाई

फाउंडेशन ने जिन बेटियों की शादी की है उनमें से दो लड़कियों की बेटियां हुई हैं। फाउंडेशन ने इस साल लोहड़ी पर उन्हें धाम में बुलाया और दोनों दोहतियों की पूरे रीति रिवाज के साथ लोहड़ी मनाई। दोहतियों की लोहड़ी मनाकर समाज को यह संदेश दिया गया कि बेटियों को भी बेटों के जैसे हक मिलने चाहिए।

बच्चों के लिए धाम में बने हैं 10 घर

फाउंडेशन के सेक्रेटरी कुलदीप सिंह मान बताते हैं कि जो बच्चे धाम में रहते हैं उनके लिए यहां पर बाकायदा 10 घर बने हैं। एक घर में तीन से चार बच्चे रहते हैं और उन्हें पूरे घर का माहौल दिया जाता है। बड़ी बेटियां दीदी के रूप में रहती हैं और अपनी छोटी बहनों की देखभाल करती हैं। शादी के बाद भी उनके यह सामाजिक रिश्ते बने रहते हैं। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन को चलाने के लिए स्वामी शंकरानंद भूरी वाले ही फंड की व्यवस्था करते हैं अब कुछ दान देने वाले लोग साथ में जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा चाइल्ड हेल्प लाइन व रेलवे चाइल्ड हेल्प लाइन के तहत मिलने वाले बच्चों को भी यहीं पर रखा जाता है।


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