Jivitputrika Vrat: जीवित्पुत्रिका व्रत के समापन पर सुहागिनों ने मांगी संतान की लंबी उम्र की कामना
Jivitputrika Vratशास्त्री ने व्रत की महत्ता बताते हुए कहा कि बच्चों की लंबी उम्र के साथ पूर्वजों को जल अर्पित करना भाग्य की बात है। जितिया व्रत तीज की तरह ही निर्जला रखा जाता है।
लुधियाना, जेएनएन। Jivitputrika Vrat: बिहार, उत्तर प्रदेश में जीवित्पुत्रिका व्रत की बड़ी महत्ता है। इस दिन सभी माताएं अपने बच्चों के लिए एकादशी व्रत कर उनकी लंबी उम्र की कामना कर पूर्वजों को फूल प्रसाद व जल अर्पित करती है। दाे दिन चले व्रत में स्नान के बाद पूजा-पाठ और निर्जला एकादशी उपवास किया जाता है। इस बारे में शिवयोगी मंदिर शेरपुर के मुख्य पुजारी पंडित शिवनारायण शास्त्री ने खर जियूतीया व्रत का माहात्म्य अपने भक्तजनाें को सुनाया।
शास्त्री ने व्रत की महत्ता बताते हुए कहा कि बच्चों की लंबी उम्र के साथ पूर्वजों को जल अर्पित करना उनके लिए भाग्य की बात है। इसलिए वह परिवार संग मिलकर पूजा में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। जितिया पर्व में सुबह-सुबह बच्चों को सिर पर जल डालकर लंबी उम्र की कामना करते हैं और उसी से पूरा परिवार खाजा, फेनी, दही चुरा व चीनी खाते है।
उन्होंने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और आरोग्य की कामना के लिए रखती हैं। जितिया व्रत तीज की तरह ही निर्जला रखा जाता है। इसलिए जीवित्पुत्रिका व्रत को कठिन व्रतों में से एक मानते हैं। मंदिर में काफी संख्या में व्रती महिलाएं बच्चे मौजूद रहे।