कोई बिना परीक्षा प्रमोट तो कोई ऑनलाइन एग्जाम का दे रहा सुझाव
यूजीसी ने परीक्षा संबंधी पंजाब यूनिवर्सिटी से सुझाव मांगे थे। पीयू ने कॉलेजों को भी इस विषय पर राय देने को कहा था। फिलहाल दो कमेटियों ने यूजीसी को अपनी रिपोर्ट भेज भी दी है।
लुधियाना,[राधिका कपूर]। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) कॉलेजों में परीक्षाओं को लेकर एक जैसी नीति तैयार करने पर विचार कर रहा है। लॉकडाउन के चलते जहां कॉलेजों में भी ऑनलाइन शिक्षा जारी है, वहीं विद्यार्थियों की परीक्षा कैसे लेनी है, इस पर भी विचार किया जा रहा है।
दरअसल, कुछ दिन पहले यूजीसी ने परीक्षा संबंधी पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) से सुझाव मांगे थे। पीयू ने कॉलेजों को भी इस विषय पर राय देने को कहा था। फिलहाल दो कमेटियों ने यूजीसी को अपनी रिपोर्ट भेज भी दी है जिसमें एक कमेटी ऑनलाइन तो दूसरी ऑफलाइन तरीके से परीक्षा करवाने के हक में है। कुछ ने बिना परीक्षा प्रथम और द्वितीय वर्ष को प्रमोट करने का भी सुझाव दिया है। अब अंतिम फैसला यूजीसी को ही लेना है कि परीक्षा कैसे करानी है, फिलहाल यह विचाराधीन है। वहीं कॉलेजों में अप्रैल से प्रेक्टिकल परीक्षाएं और मई से लिखित परीक्षाएं शुरू हो जाती थीं। अब तक सुझाव में परीक्षाओं संबंधी अलग-अलग सुझाव सामने आ रहे हैं।
सुविधानुसार ली जाए परीक्षा
पूर्व सीनेट सदस्य पंजाब यूनिवर्सिटी कुलदीप सिंह ने कहा कि यूजीसी को सुविधा अनुसार परीक्षाएं लेनी चाहिए। उनके मुताबिक फर्स्ट और सेकेंड ईयर के विद्यार्थियों को उनके ग्रेड के अनुसार अगली कक्षा में प्रमोट कर देना चाहिए जबकि फाइनल वर्ष की परीक्षाएं लॉकडाउन खुलने के बाद ले लेनी चाहिए, क्योंकि फाइनल वर्ष के विद्यार्थियों को विभिन्न यूनिवर्सिटीज में दाखिला लेना होता है।
प्रोविजनल बेस पर प्रमोट करना रहेगा सही
पीयू के सीनेट सदस्य प्रो. नरिंदर सिद्धू ने कहा कि लॉकडाउन अभी कितना और बढ़ेगा, इसका नहीं पता। उनके मुताबिक फिलहाल विद्यार्थियों को प्रोविजनल बेस पर अगली कक्षा में प्रमोट कर देना चाहिए। अगले और पुराने सेमेस्टर की परीक्षाएं एक साथ ले लेनी चाहिए और विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट तभी जारी करने चाहिए जब वह पिछली कक्षा में पास हो जाएं।
गांवों में ऑनलाइन शिक्षा में आ रही परेशानी
वहीं ऑनलाइन शिक्षा में ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। पूर्व सीनेट सदस्य प्रो. कुलदीप सिंह ने बताया कि कॉलेजों में पढ़ रहे 50 फीसद विद्यार्थी ऐसे हैं, जो ऑनलाइन पढ़ाई का फायदा ही नहीं उठा पा रहे, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में कई जगह एक मोबाइल है या जितना डाटा उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई के लिए चाहिए, उतना उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
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