एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर के काम में देरी, नहीं थम रहा आवारा कुत्तों का आतंक Ludhiana News
एक अनुमान के मुताबिक हर साल 12 से 13 हजार लोगों को आवारा कुत्ते काटते हैं। यह संख्या वह है जो सिविल अस्पताल में कुत्ते के काटने के बाद एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने आते हैं।
लुधियाना, [राजेश भट्ट]। आवारा कुत्तों की समस्या किसी से छिपी नहीं है। शहर में आवारा कुत्तों की संख्या एक से सवा लाख के करीब पहुंच चुकी है, जिसमें से अभी 50 हजार कुत्तों की नसबंदी ही हो पाई है। आए दिन कुत्ते लोगों को काट रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर साल 12 से 13 हजार लोगों को आवारा कुत्ते काटते हैं। यह संख्या वह है जो सिविल अस्पताल में कुत्ते के काटने के बाद एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने आते हैं।
आवारा कुत्तों की संख्या पर लगाम लगाने के लिए नगर निगम ने एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर तो खोला है, लेकिन उसकी क्षमता नाकाफी है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर को अपग्रेड करने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया, लेकिन उसके काम की गति इतनी धीमी है कि चार महीने में अभी तक नींव भरने का काम ही पूरा नहीं हो सका। हालांकि कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु स्मार्ट सिटी के सीईओ व कंस्ट्रक्शन कंपनी को सख्त हिदायतें दे चुके हैं कि इस प्रोजेक्ट को गंभीरता से लें और समय पर पूरा करें ताकि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या पर लगाम लगाया जा सके।
हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स स्थित एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर।
हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स में नगर निगम की तरफ से एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया था, जिसकी क्षमता प्रतिदिन 20 से 25 कुत्तों की नसबंदी करने की है। निगम प्रतिदिन 20 से 25 कुत्तों की नसबंदी करवा रहा है, लेकिन यह नाकाफी साबित हुई और कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती गई। नगर निगम ने करीब दस साल पहले जब शहर में बेसहारा कुत्तों की गिनती करवाई थी तो उस वक्त 10 हजार का आंकड़ा सामने आया था, जो कि अब बढ़कर एक लाख से सवा लाख तक पहुंच चुका है। नसबंदी के लिए पर्याप्त संसाधन न होने की वजह से यह आंकड़ा बढ़ता गया।
2019 में नगर निगम ने एनिमल बर्थ सेंटर की केपेसिटी दोगुनी करने का फैसला किया। इसके लिए एक नया ऑपरेशन थिएटर और कुत्तों को ऑपरेशन के बाद रखने के लिए नया कैप्शूल बनाया जाना था। निगम ने ऑपरेशन थिएटर और कैप्शूल का सिविल वर्क पूरा कर दिया, जबकि फिनिशिंग का काम अभी चल रहा है। वहीं स्मार्ट सिटी के तहत एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर की क्षमता 50 से बढ़ाकर 100 प्रतिदिन करने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया। इस प्रोजेक्ट पर 97 लाख रुपये खर्च किए जाने हैं।
स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने कांट्रेक्टर को यह काम एक नवंबर 2019 को अलॉट किया था, लेकिन चार माह में अभी तक सिर्फ नींव भरने का काम हो सका है। इस प्रोजेक्ट की डेडलाइन एक नवंबर 2020 है लेकिन जिस गति से काम चल रहा है उससे नहीं लगता है कि समय पर यह काम पूरा हो जाएगा।
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी कैंपस में घूम रहे आवारा कुत्ते।
अभी भी 50 हजार से ज्यादा कुत्तों की होनी है नसबंदी
10 साल पहले शहर में 10 हजार आवारा कुत्ते थे। वर्तमान कैपीसिटी के हिसाब से अगर साल में दो सौ दिन भी कुत्तों की नसबंदी करवाई जाए तो एक साल में पांच हजार कुत्तों की ही नसबंदी हो सकती है। इस तरह दस साल का औसत निकालें तो यह संख्या 50 हजार के करीब पहुंचती है, जबकि निगम के आंकड़ों के मुताबिक अभी 45 हजार के करीब कुत्तों की नसबंदी हो सकी है। अगर यह गिनती प्रतिदिन 100 हो जाती है तो प्रति साल 20 हजार से अधिक कुत्तों की नसबंदी हो सकेगी।
प्रोजेक्ट में होने थे यह काम
- एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर की इमारत का निर्माण
- ऑपरेशन से पहले कुत्तों को रखने के लिए ब्लॉक
- नए अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर
- ऑपरेशन के बाद कुत्तों की देखरेख के लिए कैप्शूल
- कुत्तों को पकडऩे के लिए डॉग कैचर वाहन
- 0.97 है करोड़ प्रोजेक्ट की कुल लागत
- एक नवंबर 2019 है प्रोजेक्ट अलॉटमेंट की तिथि
- 01 नवंबर 2020 है प्रोजेक्ट की डेडलाइन
- 1.25 लाख हैं आवारा कुत्तों की संख्या
- 45 हजार कुत्तों की हो चुकी है नसबंदी
फिलहाल कुत्तों की नसबंदी का काम बंद
नगर निगम की तरफ से बनाए गए एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर का पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है, जिस वजह से करीब एक सप्ताह से कुत्तों की नसबंदी का काम बंद है। जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता तब तक कुत्तों की नसबंदी का काम बंद ही रहेगा।
एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर का काम दो चरणों में चल रहा है। एक तरफ नगर निगम ओटी व कैप्शूल बना रहा है। वहीं दूसरी तरफ स्मार्ट सिटी के तहत भी नई इमारत का काम शुरू कर दिया गया है। कांट्रेक्टर को डेडलाइन के तहत काम पूरा करने को कहा गया है।
-डॉ. वाईपी सिंह, वैटर्नरी अफसर नगर निगम।
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