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सास ने किया प्रेरित, बहू ने पास की यूपीएससी परीक्षा

सास और बहू का रिश्ता नोक-झोक के लिए मशहूर है। परिवार में बहू के हर काम पर छींटा-कशी करना ज्यादातर सास की आदत होती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 04:36 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 04:36 PM (IST)
सास ने किया प्रेरित, बहू ने पास की यूपीएससी परीक्षा

राजेश भट्ट, लुधियाना : सास और बहू का रिश्ता नोक-झोक के लिए मशहूर है। परिवार में बहू के हर काम पर छींटा-कशी करना ज्यादातर सास की आदत होती है। लेकिन ऐसी भी सास हैं जो अपनी बहुओं की तरक्की के लिए उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। ऐसी ही सास हैं लुधियाना के गवर्नमेंट कॉलेज से रिटायर्ड प्रोफेसर दीपक पबरेजा, जिन्होंने अपनी बहू जूही जलोटा को यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) की परीक्षा में दो बार असफल होने के बाद फिर से परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया और बहू सास की उसी प्रेरणा से यूपीएससी परीक्षा में 122वीं रैंक लेकर पास हो गई। अब बहू जल्द ही भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में अपना काम काज शुरू कर लेंगी।

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जूही जलोटा ग्वालियर की रहने वाली हैं और लुधियाना के मॉडल ग्राम निवासी रोहित पबरेजा से उनकी शादी 2013 में हुई। जूही का कहना है कि शादी के बाद उन्होंने अपने परिवार को बताया कि वह आइएएस बनना चाहती हैं तो परिवार ने तुरंत उन्हें तैयारी करने को कह दिया। 2015 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी और मेन एग्जाम पास कर लिया, लेकिन इंटरव्यू में पास नहीं हो सकी। दूसरे प्रयास में मेन एग्जाम पास नहीं कर सकी। उसके बाद उन्हें लगा कि अब यूपीएससी परीक्षा पास करना उनके लिए मुश्किल है। तब उनकी सास ने उन्हें एक दोहा सुनाया था कि धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होई। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय। उन्होंने समझाया था कि वह कोशिश करें और समय आने पर मेहनत का फल जरूर मिलेगा। उन्होंने बताया कि उसी से प्रेरणा ली और तीसरे प्रयास में परीक्षा पास करके 122वां रैंक हासिल किया। उन्होंने बताया कि आईएएस बनने की प्रेरणा नाना जी से मिली, क्योंकि वे मध्य प्रदेश में डेयरी विभाग से बतौर डिप्टी डेयरी कमिश्नर रिटायर हुए थे। रोज लगते हैं इंसुलिन के 4 इंजेक्शन, फिर भी पास की यूपीएससी परीक्षा

लुधियाना के बाड़ेवाल रोड की बेटी डॉ. हरसत सात साल की उम्र से ही डायबिटीज से पीड़ित है। अब तो शुगर का लेवल यह है कि रोजाना इंसूलिन के चार इंजेक्शन लगाती हैं। गंभीर बीमारी के बावजूद डॉ. हरसत ने सिविल सर्विसेज की तैयारी की और तीसरे प्रयास में सफलता अर्जित की। इससे पहले हसरत ने 2008 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास करके एमबीबीएस किया। डॉ. हरसत का कहना है कि उसे आइएएस बनना था, इसलिए उन्होंने एमबीबीएस के बाद यूपीएससी की तैयारी की। उनका कहना है कि दिन में चार बार इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने और रोजाना शुगर चेक करना उनकी तैयारी में बड़ी बाधा थी। लेकिन उसे आसानी से पार किया और अब परीक्षा में 226 वीं रैंक हासिल की।

आइआइटी छोड़ बीए लिया तो खूब ताने मिले

यूपीएससी परीक्षा में 349वां रैंक हासिल करने वाले पटियाला के मॉडल टाउन निवासी अमनदीप का कहना है कि वह बचपन से आइएएस बनना चाहता था। 12 वीं परीक्षा पास करने के बाद उसने आइआइटी वाराणसी में दाखिला ले लिया था, लेकिन वह इससे खुश नहीं थे इसलिए 15 दिन बाद ही वापस आ गए और उसके बाद बीए में दाखिला ले लिया। बीए में दाखिला लेने के बाद रिश्तेदारों और दोस्तों के खूब ताने सुने। उनका कहना है कि अपना मकसद पूरा करने के लिए उन्होंने बीए में दाखिला लिया। अब जब यूपीएससी परीक्षा पास की है तो सभी ने उनके फैसले को सही बताया था। उनका कहना है कि यूपीएससी की तैयारी के लिए बीए करना काफी बेहतर है। इससे तैयारी करने में आसानी रहती है।


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