Protest In Ludhiana: स्टेट ट्रांसपोर्ट एडवाइजरी कमेटी के पदाधिकारियों का डीसी दफ्तर के बाहर धरना
Protest In Ludhiana स्टेट ट्रांसपोर्ट एडवाइजरी कमेटी के पदाधिकारियों ने डीसी दफ्तर के बाहर धरना दिया। कमेटी चेयरमैन सुरिंदर सोढी ने बताया कि इस समय जिला लुधियाना के ट्रांसपोर्ट विभाग से संबंधित लगभग सात हजार लोग बतौर सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर काम कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता. लुधियाना। Protest In Ludhiana: स्टेट ट्रांसपोर्ट एडवाइजरी कमेटी के पदाधिकारियों ने मंगलवार को डीसी दफ्तर के बाहर धरना दिया। कमेटी पदाधिकारियों ने कहा कि पुलिस उन्हें बेवजह परेशान कर रही है। उनके पदाधिकारियों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए जा रहे हैं। उनकी मांग है कि जैसे रेलवे और बीमा कंपनी अपने एजेंटों को नियुक्त करती है। उसी तर्ज पर उन्हें भी सरकारी विभागों के काम करने की मान्यता दी जाए। ताकि वह अपना काम बिना किसी डर के कर सकें। कमेटी के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी भेजा है।
कमेटी चेयरमैन सुरिंदर सोढी व प्रधान अवतार सिंह ने बताया कि इस समय जिला लुधियाना के ट्रांसपोर्ट विभाग से संबंधित लगभग सात हजार लोग बतौर सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर काम कर रहे हैं। इन सभी के पास आनलाइन किसी तरह का आवेदन करने के लिए हर सुविधा उपलब्ध है। कंप्यूटर से लेकर इंटरनेट की सुविधा नहीं है। किसी व्यक्ति ने लाइसेंस या फिर ट्रांसपोर्ट विभाग से संबंधित कोई भी काम करना हो, सर्विस प्रोवाइडर बीते बीस साल से काम कर रहे है। इन्हें किसी तरह की ट्रेनिंग देने की जरूरत नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को आनलाइन आवेदन की जानकारी नहीं है, तो वह सर्विस प्रोवाइडर की मदद लेता है। उसका सारा काम करने की एवज में सर्विस प्रोवाइडर कुछ पैसे लेता है।
पंजाब सरकार के खजाने में हर साल करोड़ों रुपये दिए जाते है। इसके बावजूद पुलिस सर्विस प्रोवाइडर को गलत नजर से देख रही है। बीते कुछ दिनों में उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए है। हम लंबे समय से मांग कर रहे है कि जिस तरह रेलवे विभाग, एलआइडी व डाक घर अपने यहां निजी तौर पर सर्विस प्रोवाइडर को लाइसेंस जारी करती है। उसी तर्ज पर ट्रांसपोर्ट विभाग ने लाइसेंस जारी किए।
इसके लिए सभी सर्विस प्रोवाइडर सिक्योरिटी देने के साथ सब कुछ करने के लिए तैयार हैं। सरकार को चाहिए कि सर्विस प्रोवाइडर को लीगल तरीके से काम करने दें। ताकि वह अपना काम आसानी से कर सकें। उन्होंने तर्क देते कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने साल 2016 में सर्विस प्रोवाइडर को लीगल कर दिया है। पंजाब सरकार भी इस तरह करती है तो लोगों को राहत तो मिलेगी इसके साथ सर्विस प्रोवाइडर भी बिना किसी डर के काम कर सकेंगे।