बुजुर्ग कभी भी भूत काल की ज्यादा चर्चा न करें:अचल मुनि
गुरुदेव अचल मुनि के सानिध्य में रविवार की विशेष सभा का आयोजन किया गया।
संस, लुधियाना: एसएस जैन सभा शिवपुरी के तत्वाधान में गुरुदेव अचल मुनि के सानिध्य में रविवार की विशेष सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर गुरुदेव ने बुजुर्ग दिवस मनाते हुए आए हुए श्रद्धालुओं को फरमाया कि जिसमें धैर्य, सत्य, वैराग्य ही औरों को भी जो स्थिर, कर सके। उसे वृद्ध कहते है। एक वृद्ध भगवान के चरणों में गया बोला क्या मेरा भी कल्याण हो सकता है। तब भगवान ने कहा हां। पर चार चीजें हो। खाने में तप हो, संयम हो। बोलने में संयम हो, विवेक हो। सहनशीलता व क्षमाभाव हो। ब्रह्नाचर्य भाव हो। वृद्ध कौन होता है? जो भूतकाल में जीता है। हम ये थे, हम वो थे, वो वृद्ध होते है। जीवन में मिठास हो, सड़ांद न हो। पर अफसोस जैसे-2 अवस्था बढ़ रही है, मानसिकता, शारीरिक दुख भी बढ़ रहा है। बुजुर्ग आज अकेलापन महसूस कर रहे है, तनावग्रस्त हो रहे है। बुजुर्ग का शाब्दिक अर्थ है बु-अहं की गंध न हो, जु जुबान गंदी न हो। र-रमण करे आत्मा में, ग-गंदा व्यवहार न हो। पर बुढ़ापा सुखमय किसका होता है, जिन्होंने जवानी को अच्छे ढंग से जीया, उनका बुढ़ापा पके हुए आम की तरह मीठा होता है। अरे बुढ़ापा अनुभवों का वो पिटारा है जो बहुत चोटें खाने के बाद मिलता है और जो जवानी में अंधे होकर दौड़ते रहे, उनका बुढ़ापा बूढ़े बैल की तरह पीड़ा से भरा होता है। पर हमारे बुजुर्गो को भी कुछ बातों पर ध्यान रखना चाहिए। यदि कोई मिलने के लिए आए तो उनकी मर्जी के विरुद्ध अधिक बैठने को मजबूर न करें। अन्य फालतू की बातों में दिलचस्पी न रखें। एक ही बात को बार-बार न रटे। जवान पर नियंत्रण रखे। खाने में भी, बोलने में भी। इस दौरान शीतल मुनि म. ने अपनी पावन कृपा बरसाते हुए सभी को प्रवचनों से निहाल किया। अतिशय मुनि ने रामायण की व्याख्या करते हुए प्रभु श्री राम की धर्म पर दृढ़ श्रद्धा के बारे में बताया।