जुलाई-अगस्त में ही स्टोर हो जाती है चाइनीज डोर
चाइनीज डोर की मोटी कमाई जान पर भारी बन रही है। अब भी ड्रैगन डोर बिना रोक-टोक महंगे दाम पर चोरी छिपे बेची जा रही है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : चाइनीज डोर की मोटी कमाई जान पर भारी बन रही है। अब भी ड्रैगन डोर बिना रोक-टोक महंगे दाम पर चोरी छिपे बेची जा रही है। मगर इसे रोकने वाला कोई नहीं है। दुकानदार ड्रैगन डोर से तीन गुणा पैसा कमा रहे हैं, जिस कारण इसका चलन नहीं रुक रहा है। धागे की डोर महंगी है और जल्दी कट भी जाती है और इससे चाइना डोर की लागत और बढ़ती है। इस कारण पतंगबाजों की पहली पसंद चाइनीज डोर है। यह डोर इंडिया में ही बनती है और यहीं पर बेची जाती है। बताया जाता है कि चारपाई पर लगने वाली नवार के प्लास्टिक के धागे को ही डोर के रूप में बेचकर कुछ कंपनियां पैसा कमा रही हैं।
एक दुकानदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जुलाई या अगस्त में ही इस चाइनीज डोर की स्टारेज होनी शुरू हो जाती है। थोक रेट में चार सौ ग्राम के गट्टू का रेट करीब डेढ़ सौ रुपये होता है, दुकानदार तक पहुंचते यह रेट दो सौ रुपये हो जाता है। जैसे-जैसे लोहड़ी पास आती है तब तक इसका रेट रिटेल पर साढ़े चार सौ रुपये तक हो जाता है। पुलिस की ढीली कार्रवाई भी महंगी करती है डोर
बताया जा रहा है कि पुलिस द्वारा धारा 144 के तहत चाइनीज डोर नहीं बिकने देने के आदेश जारी कर दिए जाते हैं। मगर इसके बावजूद डोर चोरी छिपे बेची जाती है और इसी के चलते ही इसका रेट बढ़ा दिया जाता है। धागे की डोर चाइनीज से होती है महंगी
चाइनीज डोर किलो में बिकती है तो धागे की डोर मीटर के हिसाब से बेची जाती है। ड्रैगन डोर का एक गट्टू यहां साढ़े चार सौ रुपये में मिलता है तो दूसरी डोर की चरखड़ी साढ़े सात सौ या आठ सौ रुपये में मिलती है और इससे दुकानदार को कमाई कम होती है।