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दुकानदारों में पुलिस का खौफ, समय से पहले ही दुकाने कर रहे बंद

दुकानदारों का कहना है कि उन्हेंं सबसे ज्यादा डर चालान और केस दर्ज होने का रहता है। चूंकि सात बजे तक दुकानें बंद करनी होती हैं इसलिए वह पहले से ही सामान को अंदर सेट कर देते हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 11:24 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 11:24 AM (IST)
दुकानदारों में पुलिस का खौफ, समय से पहले ही दुकाने कर रहे बंद
दुकानदारों में पुलिस का खौफ, समय से पहले ही दुकाने कर रहे बंद

लुधियाना [भूपेंदर सिंह भाटिया]। लॉकडाउन में पुलिस का यदि किसी को खौफ है तो वह हैं दुकानदार। शाम सात बजे तक उन्हें दुकानें खोलने की इजाजत है। दुकान बंद करने के अंतिम समय तक दुकानदार ग्राहकों की राह देखते रहते हैं। शाम सात बजते ही जब पुलिस सायरन बजाते हुए बाजार में पहुंचती है तो दुकानदारों में एकाएक डर छा जाता है। वे तुरंत अपने शटर गिराने शुरू कर देते हैं। चौड़ा बाजार के दुकानदार रमेश शर्मा इस पर कहते हैं कि उन्हेंं सबसे ज्यादा डर चालान और केस दर्ज होने का रहता है। चूंकि सात बजे तक दुकानें बंद करनी होती हैं इसलिए वह पहले से ही सामान को अंदर सेट कर देते हैं। जैसे ही पुलिस की वैन सायरन बजाते हुए आती है तो वह तुरंत शटर गिराकर और लॉक करके घर निकल पड़ते हैं, क्योंकि आगे ही मंदी है और उस पर चालान कटा तो दिनभर की मेहनत चली जाती है।

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श्रमिकों की तो बल्ले-बल्ले

शहर से करीब पांच लाख से ज्यादा श्रमिकों के बिहार और उत्तर प्रदेश चले जाने के बाद अब बाकी बचे श्रमिकों व कारीगरों की बल्ले-बल्ले हो गई है। इन श्रमिकों और कारीगरों को अब फैक्ट्री वाले अधिक दिहाड़ी देकर काम करवाने लगे हैं। अब इसी चक्कर में बाकी फैक्ट्री मालिकों में भी मजदूरों से काम करवाने के लिए कंपीटिशन सा शुरू हो गया है। हरविंदर सिंह बताते हैं कि कोरोना काल में उन्होंने अपनी लेबर को खानपान और अन्य खर्चे दिए, मगर लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद वह लेबर यह कहकर निकल गई कि उन्हेंं अपने गांव जाना है। फिर उन्होंने कुछ अन्य लोगों को ट्रेंड कर काम शुरू किया तो अगले दिन वह लेबर भी यह कहकर चली गई कि दूसरी फैक्ट्री से उन्हें दिहाड़ी का ज्यादा रेट मिल रहा है। इस कारण काम सिखाने वाला फैक्टी मालिक तो परेशान हो गया, लेकिन श्रमिकों की बल्ले-बल्ले हो गई है।

चर्चा, किस पर गिरेगी गाज

पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में बीज घोटाले का विस्फोट होने के बाद अब कैंपस में यह मुद्दा चर्चा-ए-आम बन गया है। पीएयू के स्टाफ में अकसर यही मामला छाया रहता है कि इस घोटाले की गाज आखिर किस पर गिरेगी। वैसे तो जांच स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) कर रही है, लेकिन पीएयू प्रबंधन ने अपने स्तर पर इसकी पड़ताल करवानी शुरू कर दी है। पीएयू के डायरेक्टर रिसर्च नवतेज बैंस का कहना है कि एसआइटी भले ही इस मामले की जांच कर रही है, मगर अपने स्तर पर भी इसका पता लगाया जा रहा है। वहीं कैंपस में खासकर बीज विभाग में हलचल मची हुई है और वहां के स्टाफ में भय है। जानकारों का कहना है कि इसमें कई अधिकारी फंसेंगे, जिनके बीज व्यापारियों से संबंध थे। इतना ही नहीं, एसआइटी की जांच में भी पीएयू किसान क्लब के मेंबर का भी नाम आगे आना चर्चा का विषय बना हुआ है।

टटोलने लगे वीसी का मिजाज

गुरु अंगद देव वेटनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासू) के नए वाइस चांसलर डॉ. इंदरजीत सिंह ने हाल ही में पदभार संभाला है। जब कोई नया अधिकारी आता है तो बाकी स्टाफ कर्मचारियों में भी गुफ्तगू शुरू हो जाती है कि आखिर वह कड़क स्वभाव के होंगे या नरम। हालांकि इस दौरान उन लोगों की चिंताएं बढ़ जाती हैं जो काम से भागते हैं या मनोयोग से ड्यूटी नहीं करते। कुछ ऐसा ही गडवासू में इन दिनों हो रहा है। वहां का स्टाफ नए वीसी का मिजाज टटोलने में लगा है। कुछ स्टाफ तो उनके पुराने पशुपालन विभाग पंजाब के स्टाफ से भी उनके बारे में पता करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ कर्मचारी खबरनवीसों से भी जानकारी पाने के लिए जुटे हैं। बहरहाल, स्टाफ नए वीसी से रूबरू होने से पहले खुद को तैयार करने में लगा है, ताकि शुरू से ही अपना प्रभाव कायम किया जा सके।


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