जिद के आगे दब गए कठिनाइयों के पहाड़, बेटियों के लिए शैवी है मिसाल Ludhiana News
शैवी ने बताया कि जब वह 12 वर्ष की थी तब उनके घर में चोरी हो गई थी। चोर उसकी मां पूनम मल्होत्रा और नौकर की हत्या कर गए थे।
जगराओं [बिंदु उप्पल]। कहते हैं अगर कुछ करने का जज्बा और मंजिल को पाने के लिए जुनून हो तो इस जिद के आगे कठिनाइयों के पहाड़ भी दब जाते हैं। कुछ ऐसा ही किया है इंगलिश कोचिंग सेंटर की संचालक और समाजसेवी शैवी जैन का। वह हर लड़की के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उनका मामना है कि हर लड़की को अपने मां-बाप का सपना पूरा करना चाहिए। इसके लिए कड़ी मेहनत करते हुए अपने दम पर आत्मनिर्भर बनना चाहिए।
शैवी ने बताया कि जब वह 12 वर्ष की थी, तब उनके घर में चोरी हो गई थी। चोर उसकी मां पूनम मल्होत्रा और नौकर की हत्या कर गए थे। तब सिर से मां का साया उठने के बाद पिता नरेश मल्होत्रा ने देखभाल की। उसका छोटा भाई तब तीन वर्ष का था। मां के देहांत के बाद दोनों भाई-बहन को ताया-ताई जी के पास पढ़ने के लिए भेज दिया गया। फिर उनकी दोनों की परवरिश के लिए पिता ने दूसरी शादी की। शैवी ने आगे बताया कि पीयू चंडीगढ़ में पढ़ते हुए हॉस्टल में रही और अपना खर्च खुद उठाने लग गई थी। उसने इंग्लिश मैगजीन के लिए लेख लिखना शुरू कर दिया। साथ ही पढ़ाई के बाद ट्यूशनें पढ़ानी शुरू कर दी। इससे एक तरफ उसे पॉकेट मनी मिलने लगी थी और दूसरा उसके ज्ञान में इजाफा हो रहा था। फिर शैवी ने उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने का सोचा। पहले तो पिता ने मना कर दिया, लेकिन उसकी जिद को उन्होंने मान लिया और फिर शैवी ने यूके में मास्टर इन जर्नलिज्म की पढ़ाई की।
उसने बताया कि जब वह स्कूल और कॉलेज में पढ़ती थी तब अध्यापक उसे हमेशा यह कहते थे कि वह कभी इंग्लिश में अच्छे अंक लेकर करियर नहीं बना सकेगी, लेकिन उसने अपने इंग्लिश विषय को चुनौती मानकर बीए इन इंग्लिश ऑनर्स किया। आज वह इंग्लिश की कोचिंग के लिए सेंटर चला रही हैं। लड़कियों में ज्ञान बांटने के साथ झुग्गी-झोपड़ियों में रहते बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा रहीं इतना ही नहीं, शैवी जैन ने कहा कि वह अपने ज्ञान को अन्य लड़कियों में बांटना चाहती हैं, इसलिए वह अमोदनी प्रोजेक्ट के साथ जुड़ी। इसके तहत वह बिना किसी निस्वार्थ भाव से झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले 40 बच्चों को साउथ सिटी में जाकर शाम को रोजाना इंग्लिश पढ़ाती हैं। इतना ही नहीं अमोदनी प्रोजेक्ट पर जिला लुधियाना के सरकारी स्कूलों में जाकर छठी से बारहवीं कक्षा की लड़कियों को मासिक धर्म, महिलाओं की बीमारियों व इंग्लिश विषय को कैसे आसान बनाकर पढ़ना है, इसके लिए सेमिनार लगाती हैं ताकि लड़कियां स्कूल स्तर आइलेटस का पेपर देने के योग्य बने और स्वास्थ्य को लेकर सजग रहें।
पर्सनैलिटी डवलपमेंट पर भी देती हैं टिप्स
अमोदनी प्रोजेक्ट की कंसल्टेंट गीतांजलि सेठ बख्शी को अपना आदर्श मानने वाली शैवी जैन लड़कियों को पर्सनैलिटी डवलपमेंट पर भी टिप्स देती हैं। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में समय-समय पर स्मार्ट बोर्ड क्लास व अन्य शिक्षण सामग्री देती है। साथ में अपना शैवी इंग्लिश हट चलाती हैं ताकि लड़कियां इंग्लिश में सक्षम हों। शैवी का मानना है कि जीवन में ऐसे काम किए जाएं जो दूसरों को प्रेरित करें और उनके लिए भी मिसाल बनें। साथ ही उनके साथ जनकल्याण का काम भी हो सके। शैवी को बच्चियों को शिक्षित करके आनंद मिलता है।
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