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'प्रभु को पाना ही मानव के जन्म का आध्यात्मिक अर्थ'

सावन कृपाल रूहानी मिशन के अध्यक्ष परम संत राजेंद्र सिंह महाराज के 74वें जन्मोत्सव पर पावन संदेश मानव को दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 04:30 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 05:07 AM (IST)
'प्रभु को पाना ही मानव के जन्म का आध्यात्मिक अर्थ'
'प्रभु को पाना ही मानव के जन्म का आध्यात्मिक अर्थ'

संस, लुधियाना : सावन कृपाल रूहानी मिशन के अध्यक्ष परम संत राजेंद्र सिंह महाराज के 74वें जन्मोत्सव पर पावन संदेश मानव को दिया गया। उनके संदेश से माता रीटा ने गुरु अर्जन देव महाराज की वाणी से 'अब मोहे राम जसो मन गायो' शब्द का गायन किया।

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संत राजेंद्र सिंह ने कहा कि हम सबकी यही कोशिश होती है कि जो हमारी जिदगी में हमें लगता है कि अच्छा हो रहा है, उसको बार-बार मनाएं। हम सब इस धरती पर किसी खास उद्देश्य से आए हैं। इस धरती पर जितने भी जीव हैं, उन सब में सबसे उत्तम चोला मानव शरीर है। इस शरीर में प्रभु ने हमें वो सब पदार्थ दिए हैं जिनके जरिये हम अपने आप को सही रूप में जान सकते हैं और परमेश्वर को पा सकते हैं। यही हमारे जन्म का आध्यात्मिक अर्थ है। आमतौर इंसान का समय बाहर की दुनिया में खोज करते-करते निकल जाता है जबकि हमारा असली उद्देश्य अंदर की दुनिया की खोज करने का है। हम उस यात्रा पर जाएं जो हमारी आत्मा का मिलाप परमात्मा से कराएगी। वो इंसान जो इस यात्रा पर जाता है वो संतुष्ट रहता है। उसे किसी चीज का डर नहीं रहता। सभी संत-महापुरुषों ने बार-बार ये कहा है कि हम सब इस यात्रा पर जा सकते हैं, क्योंकि पिता-परमेश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हम सबके अंदर बस रहे हैं। जब हम अपना ध्यान बाहर से हटाकर अंदर की दुनिया में करेंगे तो हम प्रभु की नजदीकी पाएंगे। चाहे हम किसी भी धर्म के हों या किसी भी संस्कृति में रहते हों, हम सब प्रभु को जान सकते हैं, पहचान सकते हैं और उन्हें पा सकते हैं।


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