Sanskarshala: पीजीटी हिंदी अध्यापक सपना बोलीं- बुद्धिमता से करना होगा डिजिटल प्लेटफार्म का इस्तेमाल
लुधियाना के आत्म पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल की पीजीटी हिंदी अध्यापक सपना ने डिजिटल मीडिया के बार में बताया। उन्होंने कहा कि इस समय हम डिजिटल मीडिया की उपयोगिता की अवहेलना भी नहीं कर सकते। आज इसका कार्य क्षेत्र वृहद स्तर तक विस्तृत हो गया है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। आज विश्व तीव्र गति से बदलाव की ओर बढ़ रहा है। कोई भी क्षेत्र इस परिवर्तन से अछूता नहीं है। यह सत्य है कि बदलाव इस सृष्टि का नियम है। यदि ऋतुओं में फेरबदल ना हो तो जीवन नीरस हो जाएगा। उसी प्रकार अपनी वेशभूषा, खानपान, परंपराओं आदि में बदलाव आना भी स्वाभाविक है। हालांकि यह बदलाव तब तक उचित है जब तक इस परिवर्तन से हमारी संस्कृति, हमारे विकास व सोच का हनन न हो। एक ऐसा ही परिवर्तन डिजिटल मीडिया के अन्वेषण से भारत में भी दृष्टिगत हुआ। इसने अपने पांव हर क्षेत्र में व्यापकता से फैलाए।
वास्तव में इसका उद्देश्य सूचना को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना, डिजिटल अर्थव्यवस्था से प्रबंधन लागत को कम करना, आंकड़ों व विभिन्न सूचनाओं को सुगम तथा पारदर्शी बनाने के साथ-साथ देश को भ्रष्टाचार मुक्त रखना, साधारण जनता को टेक्नोलाजी व इंटरनेट का प्रयोग करते हुए डिजिटल सुविधाओं से जागरूक करवाना तथा अल्प समय सीमा में भारी कार्यों को भी सहजता से लक्षित करना था। वाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि इसके मुख्य प्लेटफार्म हैं।
यह भी सत्य है कि जहां इसने आंकड़ों को सुलभ, न्यायसंगत और गुणात्मक बनाने में, सामूहिक विचारों को साझा करने व समाजिकीकरण करने में अपना असीम योगदान दिया है, वही यह मानसिक बीमारियों का एक संक्रामक घटक भी है। इसके अत्याधिक प्रयोग से किशोर आत्म क्षति की ओर निरंतर बढ़ रहे हैं। आज हर वर्ग और पीढ़ी इस मीडिया की आदी हो गई है, जिसका बहुत भारी प्रभाव उनके व्यक्तिगत व व्यवसायिक जीवन पर भी पड़ रहा है। लोग अवसाद का शिकार हो रहे हैं।
अपनी दिनचर्या की प्रत्येक गतिविधि के अद्यतन पर उसे स्वयं बार-बार देखना उसकी कमजोर मानसिकता को दर्शाती है। अभिभावकगण, किशोरों तथा डिजिटल मीडिया के मध्य उभरते संबंध आंतरिक कलह का कारण भी बन रहे हैं। हर आयु वर्ग के लोगों में गेमिंग के नशे की भी झलक मिलती है। कुछ गेम ऐसे हैं जिसे ग्रुप में खेलते हैं तो बच्चे अपने प्रतिदंद्वी से ज्यादा रिकार्ड, स्टार या प्वाइंट पाने के लिए लगातार उसे खेलते रहते हैं।
यदि अभिभावक बच्चों से ये गेम छुड़वाना चाहते हैं तो बच्चों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा या आक्रोश देखने को मिलता है। इसलिए आवश्यकता है इन बच्चों को शिक्षित करने की, गेमिंग के भयंकर परिणामों से अवगत करवाने की तथा संपूर्ण सहयोग की। यदि हम डिजिटल मीडिया के नकारात्मक पक्ष की ही बात करें तो इसके माध्यम से यथार्थपरक सूचना भी अपने भावों को सही दिशा नहीं दे पाती।
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए हम डिजिटल मीडिया की उपयोगिता की अवहेलना भी नहीं कर सकते। आज इसका कार्य क्षेत्र वृहद स्तर तक विस्तृत हो गया है। अतः इसकी आदत से मुक्ति कदाचित संभव नहीं। अपनी बुद्धिमता का परिचय देते हुए इसका उचित प्रयोग करना ही इसकी वास्तविक कृतकार्यता है।
- सपना, पीजीटी हिंदी, आत्म पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल।
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