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काल सर्प पर अनुष्ठान जाप सभी के लिए जरूरी: सन्मति साहिल

एसएस जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली में कालसर्प योग की साधना संपन्न हुई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 06:33 AM (IST)
काल सर्प पर अनुष्ठान जाप सभी के लिए जरूरी: सन्मति साहिल

संस, लुधियाना : उप-प्रवर्तक श्रमण संघीय सलाहकार गुरुदेव श्री विनय मुनि म.सा. भीम, के सुशिष्य रत्न गुरुदेव श्री सन्मति मुनि म. सा. साहिल संघ व एसएस जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली के तत्वाधान में अनुष्ठान प्रभु पा‌र्श्वनाथ से जुड़ा कालसर्प योग की साधना संपन्न हुई। मुनि श्री ने कहा कि यह साधना जैनाचार्य भगवंत से सुनी व सीखी हुई है। जैन जगत के 23वें तीर्थकर प्रभु पा‌र्श्वनाथ जी अपनी बाल अवस्था में तापस तपस्वी यज्ञ कर रहे थे। उस समय लकड़ियों में जीव हिसा हो रही थी। उस समय प्रभु पा‌र्श्व ने एक लकड़ी में नाग या नागिनी का सह जोड़ो था। जो आग में काफी जल गया था। जैसे ही पा‌र्श्वकुमार वहां अपनी मातेश्वरी के साथ पहुंचे, उन्होंने अपने अवाघि ज्ञान से देखा तो तुरंत ही उस लकड़ी को उठाया और महामंत्र का उच्चारण किया। बस उतना ही सुनाने का वक्त था फिर वो मर कर देव लोक में पहुंचे। वो वने धणेंद्र पदमावती जो जीवन भर प्रभु पा‌र्श्व नाथ के उपासक रहे। यह काल सर्प योग की साधना इसलिए जैन विधियों से कराई जाती है, जिसको भी यी काल सर्प दोष है तो वह यह साधना कर सकता है एवं प्रभु के नजदीक जा सका है। वर्तमान में यह बहुत जरूरी है, ताकि हम अपनी समस्या का स्वयं समाधान कर सके। ग्यारह प्रकार का काल सर्प योग होता है। जीवन की गतिविधि को चलने के लिए हम अपना जीवन इन सभी से जोड़ना पड़ेगा, जो जुड़ेगा वो ही आनंदमय जिदगी बिताएगा, बाकि आप सभी कुछ ज्यादा समझदार हो वैसे कहते है समझदार के लिए इशारा ही काफी है।

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