माता सीता आत्मा और राम परमात्मा के प्रतीक: साध्वी गरिमा
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा कोहाड़ा रोड में पांच दिवसीय श्री राम कथा जारी है।
संस, लुधियाना : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा कोहाड़ा रोड में पांच दिवसीय श्री राम कथा जारी है। रविवार को कथा के चौथे दिन का शुभारंभ पार्षद रमेश कुमार, सुखजीत सिंह (प्रधान नगर कौंसिल साहनेवाल), पार्षद राजदीप भाटिया, निर्भय सिह (सीनियर कांग्रेसी नेता), एक नूर एनजीओ से जिदी, हेम राज (सनी रियल एस्टेट), पार्षद संदीप, पार्षद कुलविदर काला, सतविदर बिट्टी (हलका इंचार्ज साहनेवाल) ने ज्योति प्रज्वलित करके किया।
कथा व्यास साध्वी गरिमा भारती ने कहा कि प्रभु श्री राम की प्रत्येक लीला इंसान को आध्यात्मिक जगत की ओर जाने की प्रेरणा देती है। गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने के बाद चारों भाई वापस आते हैं। एक दिन गुरु विश्वामित्र यज्ञ की रक्षा के लिए राजा दशरथ से प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण की मांग करते है। राजा दशरथ जाने की अनुमति दे देते हैं। वन में पहुंचकर प्रभु यज्ञ की रक्षा करते हैं और असुरों का खात्मा करते हैं। एक दिन मिथिला नगरी से कुमकुम पत्रिका आती है जिसमें राजा जनक की पुत्री के स्वयंवर के बारे में लिखा था। गुरु विश्वामित्र श्रीराम तथा लक्षमण को साथ लेकर मिथिला नगरी पहुंचते हैं। भगवान राम स्वयंवर में शिव के धनुष को उठाकर तोड़ देते हैं। फिर माता सीता, श्रीराम को वरमाला पहनाती हैं। इस तरह उनका विवाह होता है। यहां पर कथा को रोकते हुए साध्वी इस विवाह के आध्यात्मिक रहस्य के बारे में बताती हैं कि जैसे गुरु विश्वामित्र श्रीराम और माता सीता का विवाह करवाते हैं, ठीक उसी तरह जीव के जीवन में जब एक संत का आगमन होता है तो वह आत्मा का मिलन परमात्मा से करवाता है। हमारी आत्मा जन्म-जन्म से प्रभु से जुदा है। जब संत की कृपा से ब्रह्मज्ञान मिलता है तो साधक अपने भीतर परम पिता का दर्शन करता है। माता सीता जी आत्मा का प्रतीक है और श्री राम जी परमात्मा का प्रतीक है।