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Tokyo Olympics: टोक्यो में छा जाओ रूपिंदर, फरीदकोट के लाल से मां को गोल्ड मेडल की उम्मीद

पिता हरिंदर सिंह ने बताया कि वर्ष 1996 में वह फिरोजपुर चले गए थे। तब शेरशाह वली में हाकी अकेडमी की स्थापना हुई थी। हाकी के प्रति प्रेम रूपिंदर को बचपन से ही था और छह वर्ष की आयु में उन्होंने एकेडमी में प्रशिक्षण शुरू कर दिया था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 11:59 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 11:59 AM (IST)
टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा ले रहे रूपिंदर वहां प्रैक्टिस करते हुए।

जागरण संवाददाता, फरीदकोट। भारत समेत दुनियाभर के खेल प्रेमियों के लिए 32वें ओलंपिक खेलों की शुरुआत शुक्रवार से जापान की राजधानी टोक्यो में होने जा रही है। 23 जुलाई से आठ अगस्त होने वाले इस खेल महाकुंभ को लेकर जितना उत्साह खिलाड़ियों में है, उससे ज्यादा खेल प्रेमियों में है। रूपिंदर पाल सिंह का हाकी टीम का हिस्सा होने से फरीदकोट शहर के नजदीक चहल रोड़ स्थित बाबा फरीद नगर में उसके परिवार व रिश्तेदारों के साथ खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है, और इस बार रूपिंदर पाल सिंह समेत पूरी हाकी टीम के बेहतर प्रदर्शन करते हुए ओलंपिक का स्वर्ण पदक जीत कर लाने की आशा जताई जा रही है। 2011 से भारत की सीनियर राष्ट्रीय हाकी टीम का हिस्सा रहे, रुपिंदर पाल सिंह इससे पहले अगस्त 2016 में ब्राजील में हुई 31वीं ओलंपिक खेल में भी भारतीय टीम का हिस्सा बन अपनी प्रतिभा के जौहर दिखा चुके हैं।

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फरीदकोट के बाबा फरीद एवेन्यू निवासी व कई वर्ष पहले फरीदकोट के सरकारी बृजेंद्रा कालेज के पास स्पोर्ट्स गुड्स की दुकान करते पिता हरिंदर सिंह ने बताया कि स्कूल व कालेज के समय में वह भी हाकी खेलते थे। इसके अलावा फिरोजपुर रहते देश के प्रसिद्ध हाकी ओलंपियन परिवार के सदस्य हरमीत सिंह, अजीत सिंह व गगन अजीत सिंह के साथ भी उनकी रिश्तेदारी थी। उनका भी सपना था कि उनके परिवार का कोई सदस्य इन रिश्तेदारों के नक्शे कदम पर चले। 

बचपन से था हाकी के प्रति रुझान

हरिंदर सिंह ने बताया कि वर्ष 1996 के दौरान कुछ पारिवारिक कारणों के चलते वह भी परिवार समेत फरीदकोट छोड़ फिरोजपुर रहने के लिए चले गए। वहां उन दिनों शेरशाह वली में हाकी अकेडमी की स्थापना हुई थी। हाकी के प्रति प्रेम रूपिंदर को बचपन से ही था और छह वर्ष की आयु में उन्होंने उसे इस हाकी एकेडमी में प्रशिक्षण दिलवाना शुरू कर दिया।

2002 में हुआ राज्य हाकी अकेडमी में चयन

करीब छह वर्ष तक यहां मिले प्रशिक्षण ने उसमें हाकी के किसी मंजे हुए खिलाड़ी के गुण पैदा किए। वर्ष 2002 में उसका चयन चंडीगढ़ स्थित राज्य हाकी अकेडमी में हो गया। इसी दौरान जिला व राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा के बल पर 2006 में उसका चयन पहले राष्ट्रीय हाकी की जूनियर टीम में व वर्ष 2010 में देश की सीनियर टीम के लिए हो गया। यहां से उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

मां को गोल्ड मेडल की आस

रूपिंदर की मां सुखविंदर कौर ने कहा कि पिछले ओलंपिक में पदक न लाने का उन्हें मलाल है, लेकिन इस बार उन्हें पूरा यकीन है कि रूपिंदर व उनके टीम के साथी सर्वश्रेष्ठ खेल का प्रदर्शन करते हुए इस बार ओलंपिक खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर लाएंगे। उनके चयन के बाद उनके घर पर उपस्थित हाकी कोच व पूर्व जिला खेल अधिकारी हरबंस सिंह ने माना कि इस बार चयनकर्ताओं ने काफी सोच समझ के साथ टीम का चयन किया है। उन्हें पूरा यकीन है कि इस बार टीम का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

खिलाड़ियों ने रूपिंदर को दी शुभकामनाएं

यह लगातार दूसरा अवसर है जब फरीदकोट का नौजवान खिलाड़ी आलंपिक में भारतीय हाकी टीम का हिस्सा है, बतौर हाकी खिलाड़ी मेरी व्यक्तिगत इच्छा है कि रूपिंदर और भारतीय हाकी टीम बेहतर प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल जीतें।

भूपिंदर सिंह गिल, राष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी फरीदकोट।

हॉकी खिलाड़ी रूपिंदर पाल सिंह को शुभकामनाएं देते हुए हॉकी खिलाड़ी भूपिंदर सिंह गिल, गुरजीत सिंह ढिल्लों और गुरप्रीत सिंह गोलू। 

 फरीदकोट हाकी खिलाड़ियों की कर्मभूमि है। यहां के सरकारी बृजेंद्रा कालेज के ग्राउंड से खेलकर कई पुरुष व महिला खिलाड़ी निकले हैं। रूपिंदर पाल सिंह का टोकियो में पहला मैच 24 जुलाई को है, 24 जुलाई को पूरी भारतीय टीम बेहतर प्रदर्शन करते हुए जीत सुनिश्चित करे, ऐसी कामना है।

-बलजिंदर सिंह, हाकी कोच व जिला खेल अधिकारी, फरीदकोट।

चार बार हाकी में नेशनल गोल्ड मेडल हासिल करने वाले व रेलवे टीम के कैप्टन रहे गुरप्रीत सिंह ने कहा कि इस बार भारतीय टीम ने अच्छा अभ्यास किया है। टीम में अनुभव व जोश दोनों भरपूर है। गत ओलंपिक में भी रूपिंदर पाल सिंह ने अच्छा खेल दिखाया था। इस बार और अच्छे खेल की आशा है। भारत की जीत में रूपिंदर का निश्चित रूप से बड़ा योगदान होगा।

- गुरप्रीत सिंह गोलू, राष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी फरीदकोट।

रूपिंदर पाल सिंह ने अपनी कड़ी मेहनत व अभ्यास से यह मुकाम हासिल किया है। अब वह कई प्रतियोगिताओं में अपनी टीम को विजयश्री दिलाकर देश का नाम रोशन किया है। इस बार भी वह गत ओलंपिक के अनुभव का फायदा उठाते हुए देश को जरूर जीत दिलाएगा। भारतीय टीम के विजयश्री हेतु हार्दिक शुभकामना।

- गुरजीत सिंह ढिल्लों, हाकी खिलाड़ी फरीदकोट।


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