61 किलोमीटर के सफर में 550 मौत के रास्ते
फिल्लौर के निकट नेशनल हाईवे पर लाडोवाल टोल प्लाजा पर कपूरथला की लोक अदालत ने वसूली बंद करने के आदेश दिए है।
लुधियाना : फिल्लौर के निकट नेशनल हाईवे पर लाडोवाल टोल प्लाजा पर कपूरथला की लोक अदालत ने वसूली बंद करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद दैनिक जागरण की टीम ने जालंधर कैंट स्टेशन से लेकर लुधियाना के शेरपुर चौक के रास्ते की पड़ताल की। इस दौरान आंखें खोलने वाला सच सामने आया। करीब 61 किलोमीटर लंबे इस सफर में नेशनल हाईवे का निर्माण करने वाली सोमा कंपनी ने इतनी लापरवाही बरती कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने भी इस पर गौर करना मुनासिब नहीं समझा।
करीब 61 किलोमीटर के इस सफर में नेशनल हाईवे के दोनों ओर 550 ऐसे प्वाइंट हैं, जहां बैरिके¨डग ही नहीं है। इन प्वाइंट पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। इनमें कई कीमती जानें चली गई। पेश है जागरण टीम की रिपोर्ट। सड़क पर न बैरिकेड, न ही सर्विस रोड
सबसे बड़ी लापरवाही जालंधर के निकट बर्गर ¨कग रेस्तरां से हवेली फ्लाईओवर तक देखी जा सकती है। डेढ़ किलोमीटर तक के सफर में न सर्विस रोड तैयार है और न ही बैरिके¨डग की हुई है। यही नहीं एलपीयू के आगे पुल से कबाना पैलेस तक यही हाल है, न बैरिके¨डग है और न ही कोई सर्विस रोड। फगवाड़ा पार करने के बाद गोराया तक ऐसे दर्जनों प्वाइंट हैं, जहां पांच, दस से लेकर पचास या फिर सौ मीटर तक बैरिके¨डग नहीं है। फगवाड़ा के निकट मुख्य मार्ग के साथ स्थित डीपीएस स्कूल से लेकर पद्दी खालसा गांव तक सवा किलोमीटर से ज्यादा सफर में ऐसा ही हाल है। गोराया पार करते हुए गोराया फ्लाईओवर से गांव जमशेदपुर तक 800 मीटर तक बैरिके¨डग नहीं है। यहां कई ढाबे और होटल हैं। हाईवे के किनारे लोडेड ट्रक खड़े रहते हैं, जहां अकसर हादसे रहते होते हैं। गांव माछोवाल से लेकर फिल्लौर फ्लाईओवर के करीब डेढ़ किलोमीटर के सफर तक न तो बैरिके¨डग है और न ही सर्विस रोड है। इस सफर में भी होटल हैं, जिन्होंने नेशनल हाईवे की जमीन पर कब्जे कर रखे हैं। फिल्लौर से लाडोवाल तक दोनों ओर कई जगह दस से लेकर बीस या तीस मीटर पर बैरिके¨डग नहीं है।
दर्जनभर बन चुके हैं अवैध रास्ते, एनएचएआइ भी गंभीर नहीं
कैंट रेलवे स्टेशन से लेकर लाडावोल तक दर्जनभर स्थानों पर नेशनल हाईवे को काटकर अवैध रास्ते बनाए गए हैं। यह रास्ते वर्षो से चले आ रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है, लेकिन इस ओर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कभी ध्यान ही नहीं दिया। निर्माण करने वाली कंपनी नियमों को किनारे करते हुए अब तक करोड़ों रुपये जमा कर चुकी है। सर्विस रोड कंपलीट नहीं है। कैंट स्टेशन से थोड़ा दूरी पर ही अवैध रास्ता है, जो रोड के किनारे स्थापित बड़े शोरूम को जाता है, यहां कई बड़ी कार कंपनियों के शोरूम हैं। इससे थोड़ा आगे एक मॉल के लिए अवैध रास्ता बनाया गया है। लक्की ढाबा के निकट भी ऐसा ही है। फगवाड़ा में ऐसी तीन स्थान हैं, जहां पर नियमों को किनारे कर रास्ते बनाए गए हैं। गोराया से फिल्लौर तक भी ऐसे चार प्वाइंट हैं। गांव पद्दी खालसा, जमशेरपुर, माछोवाल और गोराया के निकट तीन चार जगह पर ऐसे प्वाइंट बन चुके हैं। अदालत में मामला आया था 37 प्वाइंट का
कपूरथला की लोक अदालत में दायर याचिका में ऐसे 37 प्वाइंट का मामला आया था, जहां पर बडे़ शोरूम्स, कॉम्पलेक्स, रिसोर्ट, पेट्रोल पंप, होटल और ढाबे स्थापित हैं। इनमें से ज्यादातर परागपुर चौकी से चहेड़ू तक हैं। लोक अदालत में उतने एरिया को लेकर आदेश दिए गए हैं, जितना एरिया जिला कपूरथला में आता है। अब दैनिक जागरण की पड़ताल में ऐसी दर्जनों खामियां हैं, जिस पर एनएचएआइ ने ध्यान ही नहीं दिया।
केवल उन प्वाइंट की ही बात नहीं है, जो लोक अदालत में गए हैं ऐसे और भी मामले हैं। जहां पर एनएचआइए के नियमों को किनारे कर निर्माण किया गया है और अवैध रास्ते बनाए गए हैं। ऐसे सभी प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए गए हैं। अगर प्रतिष्ठान नियमों का पालन नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- विजय शर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर, एनएचआइए, अंबाला डिवीजन। 16 किमी में 100 एंट्री प्वाइंट पर बैरिकेडिंग ही नहीं
दिल्ली-जालंधर रोड पर लाडोवाल से लेकर शेरपुर तक 16 किलोमीटर में लगभग चार किलोमीटर तक ही जीटी रोड के साइड पर रेलिंग लगी हुई है। जीटी रोड तैयार करने के लिए वर्षो से लाडोवाल टोल प्लाजा पर वसूली हो रही है। लेकिन वसूली के बावजूद काम अधर में लटका हुआ है। इस जीटी रोड पर तेज रफ्तार से चलने वाले वाहनों को पशुओं से बचाने के लिए जीटी रोड और सब रोड के बीच रेलिंग लगाई जानी थी। लेकिन अभी तक लाडोवाल से शेरपुर तक लगभग चार किलोमीटर तक ही रेलिंग लगी हुई है। जोकि लुधियाना-जालंधर जीटी रोड स्थित मेट्रो से लेकर ग्रीन लैंड स्कूल तक है। इसके अलावा जीटी रोड और सब रोड के बीच निकलने वाले वाटर ड्रेन की भी हालत कई जगहों पर काफी खस्ता है। कई जगहों पर तो उसे ढंका भी नहीं हुआ और कुछ जगहों पर मरम्मत होनी बाकी है। इससे हर समय हादसा होने का डर रहता है। रात में इन वाटर ड्रेन पर चलने वाले लोगों का भी गिरने का खतरा रहता है। साथ ही जालंधर बाईपास से लेकर शेरपुर तक कई जगहों पर अभी तक डिवाइडर तैयार नहीं हुए हैं।