सड़क सुरक्षा सप्ताहः लुधियाना में तीन साल में हुए 2100 सड़क हादसे, 1100 लोगों ने गंवाई जान
हर साल लुधियाना की सड़कें सैकड़ों बेशकीमती जिंदगियों को निगल रही हैं। सड़क हादसों में मरने वाले लोगों के आंकड़े पढ़ेंगे तो चौंक जाएंगे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार विगत तीन साल के दौरान लुधियाना में हुए 2100 से ज्यादा सड़क हादसों में 1100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
लुधियाना [राजन कैंथ]। हर साल लुधियाना की सड़कें सैकड़ों बेशकीमती जिंदगियों को निगल रही हैं। सड़क हादसों में मरने वाले लोगों के आंकड़े पढ़ेंगे, तो चौंक जाएंगे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार विगत तीन साल के दौरान लुधियाना में हुए 2100 से ज्यादा सड़क हादसों में 1100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। उन हादसों में दो हजार से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए। इसके अलावा हादसों में मामूली घायल हुए लोगों की फेहरिस्त और भी ज्यादा लंबी है।
सड़कों पर हताहत होने वाले लोगों के रूप में हम क्या खो रहे हैं, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सभी आतंकी घटनाओं और प्रमुख बीमारियों से मरने वाले लोगों का आंकड़ा भी यहां तक नहीं पहुंच पाता है। किसी सड़क दुर्घटना में मारे गए किसी व्यक्ति के बाद उस पर आश्रित एक पूरा परिवार सालों पीछे चला जाता है। हताहतों के स्वजनों पर तो दुश्वारियों का पहाड़ टूट पड़ता है। एक गैर सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार हर साल 32 फीसद हादसे दोपहिया वाहनों से होते हैं। 14 फीसद हादसे कारों से होते हैं। कमर्शियल वाहन, ट्रक, बस, कैंटर व टेंपो से 44 फीसद हादसे होते हैं। जबकि 14 फीसद हादसे साइकिलिस्ट व पैदल राहगीरों से होते हैं।
सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है। आने वाले दिनों में घने कोहरे और धुंध की चादर फैल जाएगी। दृश्यता शून्य हो जाती है। लिहाजा सड़क पर निकलना किसी जोखिम से कम नहीं होता। सर्दियों में तीन महीने धुंध पढऩे के दौरान सड़क हादसों में 10 से 15 फीसद वृद्धि हो जाती है। उन तीन महीनों के दौरान लुधियाना में हर साल 100 से ज्यादा लोगों की जान जाती हैं।
यातायात नियमों का पालन नहीं करना है हादसों का बड़ा कारण
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद भारत सरकार के सदस्य व राहत फार सेफ कम्यूनिटी फाउंडेशन के चेयरमैन कमलजीत सोई का मानना है कि लुधियाना जिले में सड़क हादसों के बहुत सारे कारण हैं। लोगों में ट्रैफिक नियमों का पालन करने में लापरवाही भी एक बड़ा कारण है। वे वाहन ओवरस्पीड में चलाते हैं। यहां की सड़कें खस्ताहाल हैं। दोपहिया वाहन चालक हेलमेट नहीं पहनते। शराब पीकर गाड़ी चलाना आम बात है। हाईवे पर हेवी व्हीकल्स की बिना इंडीकेटर्स के पार्किंग होना अहम कारण है। सड़कों पर जाम की स्थिति में एंबुलेंस को अस्पताल पहुंचने में दिक्कत होती है।
कमिश्नरेट के अंतर्गत पिछले तीन साल में हुए हादसों का ब्यौरा
साल- हादसे - मौत- घायल
2018 -414 - 277 - 302
2019 - 428 - -263 - 327
2020 - 237 -146 - 246
(31 अक्टूबर तक)