बरसात में पकौड़ों की फरमाइश पड़ सकती है भारी, दिल की सलामती के लिए जीभ पर रखें कंट्रोल
पूड़े-पकौड़े से दिल के साथ-साथ किडनी के लिए भी घातक हैं। कोविड-19 की वजह से फिजिकली एक्टिविटीज कम हुई है। एेसे में सेहतमंद रहने के लिए खान-पान का ध्यान रखना जरूरी है।
लुधियाना, जेएनएन। साल के बीचो-बीच आने वाले सावन-भाद्र (जुलाई- अगस्त) के महीने बरसात के लिए जाने जाते हैं। इस मौसम में होने वाली रिमझिम बरसात के बीच बच्चे से लेकर बूढ़े तक पूड़े व पकौड़े खाने की फरमाइश करते हैं। लेकिन दिल के रोगियों के लिए यह फरमाइश काफी महंगी पड़ सकती है। क्योंकि यह शौक उनकी बीमारी को बढ़ावा देकर उनके लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।
माहिर डॉक्टरों का कहना है कि बरसात के मौसम में अगर दिल को सही-सलामत रखना है तो जीभ पर कंट्रोल (खान-पान का परहेज) रखना होगा। गुड़ या चीनी के इस्तेमाल से बनने वाले मीठे पूड़े जहां शुगर का लेवल बढ़ाते हैं, वहीं आलू, प्याज, गोभी, पालक, बैंगन या पनीर से बनने वाले पकौड़े ब्लड प्रेशर का संतुलन बिगाडऩे की क्षमता रखते हैं।
मीठे पूड़ों से शुगर बढ़ने का खतरा
पंचम अस्पताल के एमडी व सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक शुगर और ब्लड प्रेशर का बढऩे वाला लेवल दिल के लिए बड़ा खतरा है। इस कारण अगर किसी भी व्यक्ति को दिल से संबंधित कोई छोटी सी भी बीमारी है तो उसे इस मौसम में अपनी जीभ पर नियंत्रण रखते हुए पूड़े-पकौड़ों से दूरी बनाकर रखनी होगी। क्योंकि यह दिल के साथ-साथ किडनी के लिए भी घातक हैं। मीठे पूड़ों से शुगर का लेवल खतरनाक स्टेज पर पहुंच सकता है और नमकीन पकौड़े ब्लड प्रेशर की सीमा को काफी खतरनाक स्थिति तक ले जाते हैं।
सीजनल फल से बढ़ाएं इम्यूनिटी
उन्होंने कहा कि इन दिनों वैसे भी कोविड-19 की वजह से फिजिकली एक्टिविटीज कम हुई है। इस कारण सेहतमंद रहने के लिए खान-पान का ध्यान रखना जरूरी है। पूड़े-पकौड़ों की जगह सीजनल फल लिए जा सकते हैं। खट्टे फलों में विटामिन सी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। जिससे इम्यूनिटी पॉवर बढऩे में मदद मिलती है। इस लिए बरसात के इस मौसम में जब भी पूड़े या पकौड़े खाने का मन करे तो अपने दिल की सेहत को ध्यान में जरूर रखें।