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पंजाब की महिला अस्टिटेंट प्रोफसर का शोध, यह खास 'पेपर' मिठाइयों को देगा अनोखा स्‍वाद

कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रेखा चावला ने तीन के शोध के बाद मिठाइयों के लिए खास स्‍टार्च पेपर बनाया है। यह मिठाइयों को सुरक्षित रखने के साथ इसे खास स्‍वाद देगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 04:27 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 04:27 PM (IST)
पंजाब की महिला अस्टिटेंट प्रोफसर का शोध, यह खास 'पेपर' मिठाइयों को देगा अनोखा स्‍वाद

लुधियाना, [आशा मेहता]। मिठाई विक्रेता अधिकांश मिठाइयों को बटर पेपर में लपेट कर अलग-अलग रखते हैंं, ताकि वे एक-दूसरे से न जुड़ें। इन मिठाइयों को खाने के लिए बटर पेपर को उतार कर फेंकना होता है। इसमें ज्‍यादा दिन तक मिठाइयां ठीक नहीं रहती है। लेकिन, यह समस्‍या अब समाप्‍त हो गई है। इसकी जगह अब मक्की के स्टार्च से तैयार पेपरनुना परत का उपयोग किया जा सकेगा, जिसे मिठाई के साथ ही खाया भी जा सकता है। कागज की तुलना में इसे सस्ता और ईको-फ्रेंडली विकल्प बताया जा रहा है। इससे मिठाइयां जल्‍दी खराब भी नहीं होंगी।

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लुधियाना के गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासू) स्थित कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रेखा चावला ने इसे तीन साल चले शोध के बाद तैयार किया है। इससे मिठाइयों को अधिक समय तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है। शोधकर्ता का कहना है कि स्टार्च की यह परत कागज से सस्ती होगी। इसके उपयोग से पर्यावरण भी सुरक्षित होगा और मक्की उत्पादक किसानों को आय का एक और साधन मुहैया हो सकेगा।

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डॉ. रेखा बताती हैं कि मिठाई विक्रेता मिल्क केक, बर्फी, कलाकंद, छैना से निर्मित मिठाइयों और मोतीचूर के लड्डू इत्यादि को बटर पेपर में रखते हैं। बटर पेपर को मिठाई के साथ खाया नहीं जा सकता है। उसे कचरे में फेंकना पड़ता है।

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उन्‍होंने कहा, हमने ऐसी परत बनाने के बारे में सोचा, जिसे मिठाई के साथ खाया जा सके और जिसका उपयोग व्यापक पैमाने पर संभव हो सके। इसके लिए चावल, मटर, तिल और मक्की से प्राप्त स्टार्च का अध्ययन किया गया। पाया कि मक्की के स्टार्च से बनाई गई परत अन्य की अपेक्षा उत्तम है। मक्की की परत को मिल्क केक पर लगाने और खाने से मिठाई के स्वाद में कोई भी अंतर नहीं आया।

उन्होंने बताया, इसके बाद हमने सोचा कि क्यों न इस परत में कुछ ऐसा मिलाया जाए, जिससे कि मिठाई अधिक अवधि तक सुरक्षित रहे। इस परत में कुछ विशिष्ट जैविक तत्व मिश्रित कर हमने इसमें भी सफलता पाई। यह परत बैक्टीरिया या फंगस को खत्म कर देती है, जिससे मिठाई जल्दी खराब नहीं होती है। हमने पाया कि इसमें लगभग दोगुने समय तक मिठाई सुरक्षित रहती है।

डेयरी तकनीक विभाग के प्रमुख डॉ. एस. शिवा कुमार कहते हैं कि यह परत जहां खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता बढ़ाने में सक्षम है, वहीं इससे कागज की समस्या पर भी रोक लगाई जा सकती है। परत से संबंधित तकनीक हस्तांतरण के लिए तैयार है। अगर कोई तकनीक लेने का इच्छुक हो तो वह विभाग से संपर्क कर सकता है।

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