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गढ़ी फाजल धुस्सी बांध भी टूटने के कगार पर, दरार भरने में डाइंग मिल के वर्कर्स ने दिया सहयोग Ludhiana News

गांव वासियों के सहयोग से बांध को संभालने में जुटे प्रशासन के पास मजदूर कम पड़ गए तो राहों रोड की डाइंग मिल्स से जिला प्रशासन ने बांध टूटने की बात कहते हुए सहयोग मांगा।

By Edited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 07:36 AM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 10:03 AM (IST)
गढ़ी फाजल धुस्सी बांध भी टूटने के कगार पर, दरार भरने में डाइंग मिल के वर्कर्स ने दिया सहयोग Ludhiana News
गढ़ी फाजल धुस्सी बांध भी टूटने के कगार पर, दरार भरने में डाइंग मिल के वर्कर्स ने दिया सहयोग Ludhiana News

लुधियाना, जेएनएन। सतलुज के उफान से गांव बल्लोवाल के पास बने बांध में आई 150 फुट की दरार भरने में जुटा प्रशासन अभी वहीं फंसा हुआ था कि मत्तेवाड़ा के पास गढ़ी फाजल धुस्सी बांध भी टूटने के कगार पर पहुंच गया। आनन-फानन में गांव वासियों के सहयोग से बांध को संभालने में जुटे प्रशासन के पास मजदूर कम पड़ गए तो राहों रोड की डाइंग मिल्स से जिला प्रशासन ने बांध टूटने की बात कहते हुए सहयोग मांगा।

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कारोबारियों का दावा है कि उन्होंने तीन सौ मजदूर बांध की मरम्मत में सहयोग करने के लिए भेजे। बकौल एसडीएम पूर्वी अमरजीत सिंह बैंस स्थिति कंट्रोल में है। वहीं मुख्यमंत्री ने एफसीआर केबीएस सिद्दू को हालात का जायजा लेने के लिए भेजा। कैबिनेट मंत्री सुख¨बदर सिंह सरकारिया भी रिपेयर कार्य का जायजा लेने बल्लोवाल पहुंचे। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि बाढ़ प्रबंधन में किसी भी तरह की ढील बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

बल्लोवाल दरार में दो दिन में डाली जा चुकी 3060 मिट्टी की बोरियां

सतलुज के उफान से गांव बल्लोवाल में आई 150 फुट की दरार भरने में दो दिन के भीतर 3060 मिट्टी की बोरियां डाली जा चुकी हैं, लेकिन अभी तक सिर्फ 40 प्रतिशत ही काम पूरा हो पाया है। रिपेयर के लिए लोहे के जाल में 102 बोरियों का बैग भरकर डाला जा रहा है। दो दिन में ऐसे तीस बैग दरार में डाले जा चुके हैं। पानी की रफ्तार इतनी तेज थी उसने गड्ढे को 16 फुट गहरा कर दिया। रिपेयर कार्यो की देखरेख कर रहे एसडीएम पश्चिम अमरिंदर सिंह मल्ली का कहना है कि अभी दरार को भरने में तीन-चार दिन और लग सकते हैं।

ग्रामीणों का आरोप, जिला प्रशासन के पास न मजदूर थे न ही मशीनरी

गढ़ी फाजल में बांध बचाने में जुटे ग्रामीणों में जिला प्रशासन के प्रति आक्रोश दिखा। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अतिसंवदेनशील प्वाइंट होने के बावजूद प्रशासन ने इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। बांध टूटने में कुछ फुट का ही फासला बचा था तो आसपास के गांव वाले भी बचाव में जुट गए। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे पर न तो उनके पास मजदूर थे न ही मशीनरी। गांव वालों ने ही ट्रैक्टर, ट्रॉली व जेसीबी अरेंज करके बांध बचाने में अहम भूमिका निभाई। साहनेवाल से शिरोमणि अकाली दल के विधायक शरणजीत सिंह ढिल्लों ने भी आरोप लगाया कि अगर समय रहते जिला प्रशासन बांध को मजबूती दे देता तो सतलुज उसे तोड़ न पाता।

रखी जा रही पूरी नजर

रिपेयर कार्यों की देखरेख कर रहे एसडीएम पूर्वी अमरजीत सिंह बैंस ने कहा कि बांध की संवदेनशीलता को देखते हुए लगातार इस पर नजर रखी जा रही थी। ज्यों ही बांध को नुक्सान की सूचना मिली। तब से उच्चाधिकारियों से लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारी यहां पर डटे हुए हैं। प्रशासन ने गांववालों की मदद से ही बांध को टूटने से बचाया। 


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