कांग्रेस नेता ने कहा-पानी की बोतलें हटा दो सीएम साहब देख लेंगे, पढ़ें लुधियाना की अाैर राेचक खबरें
एसई ने मंत्री व अफसरों के सामने पानी की प्लास्टिक की बोतलें सजाकर रखवा दीं। काफी समय तक यह बोतलें सामने रहीं लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री के वीसी से जुडऩे का समय हुआ तो वहां उपस्थित एक नेता ने कह दिया कि प्लास्टिक बोतल उठा दो सीएम साहब देख लेंगे
लुधियाना, जेएनएन। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह शहरी वातावरण सुधार कार्यक्रम सेकेंड फेज की वर्चुअल लांचिंग कर रहे थे। लुधियाना में इसके लिए बचत भवन में कार्यक्रम रखा गया था। इसके आयोजन की जिम्मेदारी निगम के एक सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर (एसई) को सौंपी गई। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु, मेयर बलकार सिंह संधू, डीसी, निगम कमिश्नर व अन्य कुछ अधिकारी शामिल थे।
एसई ने मंत्री से लेकर अफसरों के सामने पानी की प्लास्टिक की बोतलें सजाकर रखवा दीं। काफी समय तक यह बोतलें सामने रहीं, लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री के वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुडऩे का समय हुआ तो वहां उपस्थित एक नेता ने कह दिया कि प्लास्टिक बोतल उठा दो, सीएम साहब देख लेंगे और कहेंगे कि यहां वातावरण बचाने की बात हो रही है और वहां पर प्लास्टिक की बोतलों में पानी रखा गया है। बस फिर क्या था, सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर ने फटाफट बोतलें हटाकर वहां पर गिलासों में पानी रखवाया।
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विधायक तलवाड़ अब भी पार्षद!
संजय तलवाड़ को पार्षद से विधायक बने साढ़े तीन साल बीत चुके हैं। उनके पार्षद के कार्यकाल के बाद तो नगर निगम ने नई वार्डबंदी कर चुनाव करवा दिए और नए पार्षद बने भी ढाई साल हो गए। इसके बावजूद साइन बोर्ड पर विधायक संजय तलवाड़ अब भी पार्षद ही हैं। सिविल अस्पताल के बाहर एक साइन बोर्ड लगा है जिस पर तलवाड़ को वार्ड नंबर 39 का पार्षद बताया गया है।
सच्चाई यह है कि जहां पर यह बोर्ड लगा है वह अब न तो वार्ड 39 है और न ही संजय तलवाड़ वहां के पार्षद हैं। यह बोर्ड तब का है जब तलवाड़ इस इलाके से पार्षद होते थे। अब तो उनका इस वार्ड से कोई लेना-देना नहीं है। तब से लेकर अब तक नगर निगम ने इस बोर्ड पर सही नाम लिखने और और यहां के वर्तमान पार्षद ने अपना नाम लिखवाने की जहमत तक नहीं उठाई।
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चोर की दाढ़ी में तिनका
शहर में सड़कों के निर्माण में धांधली का मामला सुॢखयों में है। सड़कें मानकों के हिसाब से न बनाने पर ठेकेदारों को नोटिस जारी हो रहे हैं और सीधे तौर पर उन्हेंं ही जिम्मेदार बताया जा रहा है। नगर निगम कमिश्नर प्रदीप कुमार सभ्रवाल इस मामले को सख्ती से ले रहे हैं। उन्होंने एडिशनल कमिश्नर ऋषिपाल सिंह को इस मामले की जांच सौंपकर रिपोर्ट देने को कहा। ऋषिपाल ने अफसरों से सड़क निर्माण की फाइलें मंगवाई, लेकिन वे फाइलें देने के बजाय मांगपत्र लेकर निगम कमिश्नर के पास पहुंच गए।
अफसरों की मांग इस तरह की है कि जिससे उनकी ही कारगुजारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मांगपत्र में लिखा था कि पुरानी सड़कों की जांच न करवाई जाए और नई सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाएगा। अफसरों के इस रवैये पर तो यह मुहावरा सटीक बैठ रहा है कि चोरी की दाढ़ी में तिनका।
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खुद को व्यस्त दिखाते हैैं साहब
नगर निगम में एक अफसर ऐसे हैं जोकि खुद को बहुत बिजी बताते हैं। जब भी कोई उनको मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश करता है तो वह फोन उठाने के बजाय एक मैसेज रिप्लाई करके भेज देते हैं कि मैं अभी मीटिंग में हूं, बाद में आपसे बात करता हूं। उनका वह बाद कभी नहीं आता है। अफसरों के सामने भी वह खुद को व्यस्त दिखाते हैं, लेकिन मेयर, कमिश्नर और कुछ वरिष्ठ पार्षद यदि कोई काम कहते हैं तो यह महोदय उनकी बात को कभी टालते नहीं हैं।
सीनियर अफसरों की गुडबुक में आने के लिए इन साहब ने कई ब्रांचों की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले ली है। वह सीनियर अफसरों की 'जी हजूरी' में इतने परफेक्ट हैं कि इस समय मंत्री हों या फिर मेयर, सभी की गुडबुक में बने हुए हैं। इन दिनों निगम दफ्तरों में साहब की जी हजूरी के खूब चर्चे हैं।