धन बहुत कुछ है, पर सब कुछ नहीं: अचल मुनि
एसएस जैन स्थानक शिवपुरी में धर्म की लहर बह रही है। हजारों गुरु भक्त गुरु वाणी का अमृत पान कर रहे है।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक शिवपुरी में धर्म की लहर बह रही है। हजारों गुरु भक्त गुरु वाणी का अमृत पान कर रहे है। ओजस्वी वक्ता गुरुदेव अचल मुनि म. ठाणा-5 ने धर्म सभा में अपनी सिंह गर्जना करते हुए कहा कि मुखी कौन है? सुख की दौड़ आज पूरे जगत में लगी हुई है। हर जीव को सुख अच्छा लगता है। आज हर जीव सुख को बाहर ढूंढता है पर असल में सुख हमारे अंदर ही छिपा हुआ है। जरुरत है अंदर में तालाश करने की। गुरुदेव ने कहा कि आज के जमाने में कोई सुखी नहीं है। जिस देवता के बारे में हम सोचते है वो सुखी होगा वो भी बहुत दुखी है। अरे राजा लोग भी बहुत दुखी है। उन राजाओं को भी अपनी कुर्सी की पदवी की हर समय चिता लगी रहती है। अरे ये सेठ लोग भी बहुत दुखी है, भले ही पैसों के ढेर लगे पड़े है। अरे धन बहुत है, पर सब कुछ नहीं है। परंतु रोगों से संतान से या अन्य परेशानी से उन्हें रात को नींद नहीं आती। आप को सोना भी तो यही कहता है कि सो प्लस ना अर्थात मेरे को चाहने वाले अब तुझे नींद की आगोश में नहीं जाने दूंगा। गुरुदेव ने कहा कि सोने वाले को सोना नहीं मिलता। जिसे सोना मिल गया फिर सोना नहीं मिलता। जैन संत आपके न नोट लेते है न वोट लेते है और ना ही सपोर्ट लेते है। लेते है तो आपके खोट लेते है। श्री शीतल मुनि ने कहा कि ये जिदगी बिना सहयोग के नहीं चल सकती। सहयोग का अर्थ सह प्लस योग अर्थात साथ में जुड़ जाना। दुख सुख में एक दूसरे के काम आना ही सहयोग होता है। अतिशय मुनि ने कहा कि सच्चा भगत दुनिया की परवाह नहीं करता कि दुनिया उसके बारे में क्या सोचती है? क्या बोलती है? उसे फिक्र नहीं होती वो तो परमात्मा से कहता है- हे प्रभु जिससे तेरी रजा है, उसमें मुझको मजा है। जगत और भगत में कभी मेल नहीं हो सकता है। इस दौरान शिवपुरी जैन सभा ने तपस्वियों का अभिनंदन किया।