Punjab: अमृतपाल के गनमैन गोरखा बाबा के फोन से मिले खालिस्तान का झंडा और करंसी समेत कई दस्तावेज
अमृतपाल के गनमैन गोरखा बाबा के फोन से खालिस्तान का झंडा और करंसी समेत कई दस्तावेज मिले हैं। एसएसपी कौंडल ने बताया कि 42 साल के गोरखा बाबा को वीरवार को पकड़ने के बाद उसके मोबाइल फोन की जांच की गई।
सचिन आनंद, खन्ना: वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल के गनमैन के रूप में काम कर रहे मलौद के गांव मांगेवाल निवासी तेजिंदर सिंह गिल उर्फ गोरखा बाबा की गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को खन्ना पुलिस ने बड़े खुलासे किए हैं। एसएसपी अमनीत कौंडल ने बताया कि गोरखा बाबा के मोबाइल फोन से एकेएफ से सम्बंधित दस्तावेज, खालिस्तान का झंडा, नक्शा और करंसी के अलावा ट्रेनिंग की वीडियो भी मिली है। आरोपित गोरखा बाबा से पुलिस और पूछताछ कर रही है।
मोबाइल फोन की जांच की गई
एसएसपी कौंडल ने बताया कि 42 साल के गोरखा बाबा को वीरवार को पकड़ने के बाद उसके मोबाइल फोन की जांच की गई। गोरखा बाबा अमृतपाल के बेहद नजदीकियों और करीबी सुरक्षा घेरे का सदस्य था। वह आनंदपुर खालसा फौज का सक्रिय सदस्य था। उस एकेएफ मारका वाला हथियार अमृतपाल की तरफ से मुहैया कराया गया था। उसकी लगातार ट्रेनिंग भी अमृतपाल के गांव जल्लुपुर खेड़ा में बनी फायरिंग रेंज में कराई गई।
बिक्रमजीत खालसा ने अमृतपाल से मिलाया
एसएसपी के अनुसार गोरखा बाबा को अमृतपाल से बिक्रमजीत सिंह खालसा ने पांच माह पहले मिलाया था और उसे अमृतपाल की सुरक्षा टीम में शामिल भी कराया। गोरखा बाबा की किसान आंदोलन के दौरान खालसा से मुलाकात हुई थी। अजनाला कांड और खालसा वहिर के दौरान भी वह अमृतपाल के साथ ही था। सदस्यों को वेतन भी दिया जाता था। सबसे चिंता जनक बात यह सामने आई है कि नशा छुड़ाओ केंद्रों में आ रहे युवाओ को फोर्स में शामिल कर हथियारों की ट्रेनिंग दे तैयार किया जा रहा था।
गुरभेज भेजा ने दी 10 बुलेट प्रूफ जैकेट
एसएसपी के अनुसार जांच में सामने आया है कि गुरभेज सिंह भेजा कि तरफ से 2 माह पहले फोर्स को 10 बुलेट प्रूफ जैकेट दी गई। इन पर एकेएफ लिखा था। अमृतपाल की सुरक्षा का सारा जिम्मा हरसिमरत सिंह हुंदल उर्फ लाभ सिंह उर्फ टाइगर पर था।
एकेएफ के सदस्यों को मिलते थे बेल्ट नम्बर
पूछताछ में गोरखा बाबा ने पुलिस को बताया कि एकेएफ के हर सदस्यों को उसकी वरिष्ठता के आधार ओर अमृतपाल द्वारा बेल्ट नम्बर अलाट किए जाते थे। यह नम्बर एके 3, एके 47, एके 56 के क्रम में होते थे। ग्रुप के सदस्य दो व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए भी आपस में सम्पर्क में रहते थे। इनके नाम एकेएफ और अमृतपाल टाइगर फोर्स थे।