ड्यूटी पर बातों में मशगूल रहते हैं पुलिस मुलाजिम, नहीं करवाते नियमों का पालन
सिविल अस्पताल के फ्लू कॉर्नर पर आने वाले मरीजों के बीच शारीरिक दूरी बनी रहे इसको लेकर वहा पर पुलिस कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है।
आशा मेहता, लुधियाना : सिविल अस्पताल के फ्लू कॉर्नर पर आने वाले मरीजों के बीच शारीरिक दूरी बनी रहे, इसको लेकर वहा पर पुलिस कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। मगर वे ड्यूटी को सही ढंग से नहीं कर रहे हैं। रोजाना ही फ्लू कॉर्नर पर सैकड़ों मरीज जाच करवाने के लिए आते हैं। इसमें से कई तो सास की तकलीफ, जुकाम और बुखार से पीड़ित होते हैं। ज्यादातर मरीज एक-दूसरे के साथ सटकर खड़े रहते हैं। कई बार तो धक्का-मुक्की की नौबत भी आ जाती है। इसके बावजूद वहा नियुक्त महिला और पुरुष पुलिस मुलाजिम मोबाइल या अपनी बातों में मशगूल रहते हैं। वे नियमों का पालन नहीं करवाते। वीरवार को भी फ्लू कॉर्नर पर मरीजों की भीड़ जुटी थी। तब वहा पास बैठे दो पुलिस मुलाजिम अपनी बातों में व्यस्त थे। ऐसे में सवाल उठता है कि जब पुलिस ने सिर्फ औपचारिकता ही निभानी है तो फिर इन्हें यहा पर लगाने का क्या फायदा। जब खिसक गए विधायक
सिविल अस्पताल में पिछले दिनों शहर के एक विधायक ने दस्तक दी। वह अस्पताल में भर्ती कोरोना संदिग्ध मरीजों के इलाज और उनके खानपान की व्यवस्था को जानने के लिए पहुंचे थे। अस्पताल में जाने से पहले वह अन्न-जल सेवा ट्रस्ट के ऑफिस में रुक गए। अभी उन्हें वहा पंद्रह मिनट ही हुए थे कि इसी बीच आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना संदिग्ध मरीज के स्वजन भी वहा पहुंच गए। वह विधायक के समक्ष अपनी समस्या रखना चाहते थे। जैसे ही स्वजनों ने बताया कि उनकी मरीज आइसोलेशन वार्ड में हैं और कोरोना संदिग्ध है, तो विधायक के चेहरे के हाव-भाव बदल गए। वह तुरंत वहा से उठे और किसी से मिलने की बात कहकर चलते बने। मरीज सुरेश कुमार के स्वजनों का कहना था कि इसे कहते हैं कोरोना वायरस का डर। उन्हें डर था कि मरीज के करीबी होने के कारण कहीं हम भी कोरोना से संक्रमित ना हों। अब नहीं बदलते उत्पाद
कोविड-19 महामारी का हर किसी को डर है। शहर की सबसे बड़ी दवा मार्केट पिंडी स्ट्रीट में इन दिनों व्यापारी किसी भी सामान को बदलते नहीं हैं। पहले सíजकल इक्विपमेंट, कमर की बेल्ट, गले का सर्वाइकल कवर, लोहे की स्ट्रेचर आदि सेट न बैठने पर दुकानदार उसे बदल देते थे। इतना ही नहीं, वह उसे वापस लेकर कीमत भी लौटा देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। दुकानदार सीधा खरीदने से पहले ही कहता है कि अभी देख लें। बाद में इसे बदला नहीं जाएगा, क्योंकि अब कोरोना के कारण किसी अन्य को बेच नहीं सकते। कुछ इसी कारण रमेश शर्मा नाम का व्यक्ति दुकानदार से झगड़ पड़ा। उसका कहना था कि एक दिन पहले कमर की बेल्ट ली थी, लेकिन वह सेट नहीं बैठ रही। अब जब दुकानदार को कह रहे हैं कि इसे बदल दो तो वह इन्कार कर रहा है। जबकि इसका उपयोग ही नहीं किया गया। कोरोना से तो डरो
जिले में कोरोना संक्रमित मरीज रोजाना आ रहे हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस संक्रमण से बचाव के लिए शारीरिक दूरी बनाए रखने की बार-बार अपील कर रहे हैं। मगर उनकी इस अपील को सरकारी विभागों में कार्यरत स्टाफ ही मानने को तैयार नहीं है। दरअसल, वीरवार को माल भलाई कार्यालय में जिले के आगनबाड़ी सेंटरों में कार्यरत वर्कर्स और हेल्पर्स ने धरना दिया। इस दौरान करीब सौ से अधिक महिलाएं एकत्रित हुईं। सभी कोरोना फैलने के डर को भूलकर एक-दूसरे के साथ बैठी हुई थीं। उनके बीच शारीरिक दूरी के नियम का कोई नामोनिशान नहीं था। ऐसे में हकों के लिए संघर्ष करना तो ठीक है मगर इसी चक्कर में कोई कोरोना संक्रमित निकल आया तो सभी को 14 दिनों के लिए एकांतवास में जाना पड़ेगा। यह हाल तब है, जब पंजाब सरकार ने फिजिकल डिस्टेंस का पालन नहीं करने पर पाच सौ रुपये का जुर्माना लगा रखा है।