...जब PSIDC चेयरमैन अमरजीत टिक्का ने उद्योग मंत्री को बना दिया डीसी, पढ़ें लुधियाना की और राेचक खबरें
आयोजकों की तरफ से मंत्री लोगों को सम्मानित कर रहे थे। जब डीसी को सम्मान चिह्न दिया तो उस पर डीसी के बजाय मंत्री का नाम ही लिखा था। कार्यक्रम के दौरान किसी ने आयोजकों से कह दिया कि यह सम्मान चिह्न डीसी का नहीं बल्कि मंत्री का है।
लुधियाना, जेएनएन। उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा हाल ही में शहर में हुए एक कार्यक्रम में आए। इसमें पीएसआइडीसी के चेयरमैन अमरजीत सिंह टिक्का और डीसी वरिंदर शर्मा भी मौजूद थे। कार्यक्रम में टिक्का ने अरोड़ा को ही लुधियाना का डीसी बना दिया। बोले कि डीसी सुंदर शाम अरोड़ा ने शानदार कार्यक्रम आयोजित किया। यह उन्होंने एक बार नहीं बल्कि कई बार कहा। बाद में उन्होंने भूल सुधारते हुए कहा कि डीसी वरिंदर शर्मा बधाई के पात्र हैं। बात यही नहीं रुकी।
जब आयोजकों की तरफ से मंत्री अलग-अलग लोगों को सम्मानित कर रहे थे। जब डीसी को सम्मान चिह्न दिया तो उस पर डीसी के बजाय मंत्री का नाम ही लिखा था। कार्यक्रम के दौरान किसी ने आयोजकों से कह दिया कि यह सम्मान चिह्न डीसी का नहीं बल्कि मंत्री का है। इस पर एक आयोजक ने कह दिया कोई नी फोटो में कुछ नहीं दिखता, इसे बाद में बदल देंगे।
कांग्रेसियों को एक कर गए मजीठिया
कांग्रेसियों की गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है। लुधियाना कांग्रेस में इस समय जितने विधायक, उतने ही गुटों में बंटी है। कांग्रेसियों के जितने गुट हैं अकसर उनके निशाने पर कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु रहते हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता बड़ी कोशिश कर चुके हैं लेकिन सभी एक साथ नहीं आते। मगर पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया उनको एक कर गए। ऐसा सुनने में आपको अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन यह सच्चाई है।
मजीठिया ने अकालियों के साथ मंत्री आशु के घर का घेराव किया तो लुधियाना कांग्रेस एकजुट होकर आशु के समर्थन में आ गई। विधायक, सांसद, जिला प्रधान समेत तमाम कांग्रेसी आशु के पक्ष में खड़े हो गए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि आशु ईमानदार नेता हैं इसलिए अकाली दल उनको बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। वह सभी आशु के साथ खड़े हैं। उसके बाद से कांग्रेसियों के अलग-अलग गुट एकसाथ दिखने लगे हैं।
अपने पांव पर मार ली कुल्हाड़ी
एक अकाली नेता ने मेयर बलकार संधू को अपशब्द कहे। इससे कांग्रेस पार्षदों में रोष व्याप्त हो गया। मेयर ने भी कह दिया कि जो लोग उनको अपशब्द कहते हैं, वह उन्हें अपने दिल से निकाल देते हैं। वही नेता हाउस की बैठक से एक दिन पहले मेयर कैंप आफिस में आल पार्टी मीटिंग में बैठे थे। हाउस की बैठक में एक कांग्रेस नेता ने उन पार्षदों के मीटिंग में शामिल होने पर सवाल खड़ा कर दिया।
कांग्रेस नेता का कहना था कि जो पार्षद नहीं है, उसे मीटिंग में क्यों बैठाया। वह बोल ही रहा था कि भाजपा पार्षद ने विरोध किया और मेयर ने तुरंत उसे बाहर भेज दिया। ऐसी शिकायत करते हुए कांग्रेसी भूल गया कि वह भी निगम हाउस का सदस्य नहीं है। दरअसल उस नेता की पत्नी पार्षद है और वह पहले पार्षद रह चुका था, इसलिए बोलने से वह खुद को रोक नहीं पाया।
मेयर साहब लारे मत लगाना
मेयर बलकार सिंह संधू में सत्ता का नशा नहीं दिखता। मेयर के दफ्तर में जाने के लिए कोई पर्ची सिस्टम नहीं है। जो आता है बिना किसी पर्ची के चले जाता है। मेयर सत्ताधारी पार्टी के ही नहीं बल्कि विपक्षी पार्षदों के भी चहते हैं। मेयर के पास जो भी पार्षद अपनी समस्या लेकर जाता है वह उसे ना नहीं बोलते। पार्षद को उसका काम करने का आश्वासन देते हैं तब चाहे काम पूरा हो या न हो।
दफ्तर में पूरा मान-सम्मान मिलने पर विपक्षी पार्षद भी उनका विरोध नहीं करते। हाल ही में हाउस की बैठक में जितने विपक्षी पार्षदों को बोलने का मौका मिला, एक-एक ने मेयर की खूब तारीफ की। विपक्षियों से तारीफ सुनकर मेयर को भी अच्छा लग रहा था। इसी बीच विपक्षी पार्षदों ने कह दिया कि मेयर साहब इस बार उनके वार्ड के काम भी करवा देना, कहीं पहले की तरह लारे मत लगाना।
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