प्राइवेट बसों को लगवाना होगा Fastag, टोल प्लाजा पर अब नहीं चलेगी मनमानी Ludhiana News
कानून को हाथ में लेने वाले बस ऑपरेटरों के खिलाफ पुलिस कानूनी कार्रवाई करेगी। लंबे समय से बस ऑपरेटर बिना टोल दिए बसें निकाल रहे थे।
लुधियाना, [राजन कैंथ]। लाडोवाल टोल प्लाजा पर सोमवार से किसी भी निजी कंपनी की बस को बिना फास्टैग नहीं निकलने दिया जाएगा। कानून को हाथ में लेने वाले बस ऑपरेटरों के खिलाफ पुलिस कानूनी कार्रवाई करेगी। लंबे समय से बस ऑपरेटर बिना टोल दिए बसें निकाल रहे थे। इसको लेकर पुलिस को बहुत शिकायतें भी दी गई थीं।
पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल ने दोनों पक्ष के बीच बात कराने के लिए डीसीपी लॉ एंड आॅर्डर तथा एडीसीपी-3 की ड्यूटी लगाई थी। 25 फरवरी को हुई बैठक यह निर्णय लिया गया। ऑपरेशन टोल प्लाजा निमेश तिवारी ने बताया कि बैठक में पहुंचे बस ऑपरेटरों ने अपना पक्ष रखने के लिए अमान्य दस्तावेत पेश किए। बस ऑपरेटर यात्रियों को दी जाने वाली टिकट में टोल टैक्स लेते हैं। मगर टोल प्लाजा पर उसे जमा नहीं कराते।
दूसरी तरफ टोल प्लाजा की टीम ने भारत सरकार के दस्तावेज प्रस्तुत किए। उस दौरान हेड कारपोरेट रिलेशन लेफ्टिनेंट जरनल नरेश मेहता के साथ भी डीसीपी अश्विनी कपूर की बात कराई गई। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि बस ऑपरेटरों का काम गैरकानूनी है। बस ऑपरेटरों ने बसों पर फास्टैग लगाने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। इसके चलते उन्हें दो मार्च 2020 तक सभी वाहनों पर फास्टैग लगाने और टोल प्लाजा से गुजरने के लिए उचित संतुलन बनाए रखने के लिए कहा गया। जिन बसों पर फास्टैग नहीं लगा होगा, सरकारी राजस्व का नुकसान बचाने के लिए उन बसों से नकदी में टोल वसूल किया जाएगा। टोल प्लाजा पर बस ऑपरेटर जबरदस्ती न कर सकें, इसके लिए वहां पांच पुलिस कर्मियों को पक्के तौर पर तैनात किया गया है।
टोल प्लाजा पर माफिया के कर्मचारी बिना फीस दिए निकलवाते हैं बसें
दरअसल, टोल प्लाजा के असिस्टेंट सिक्योरिटी ऑफिसर बलकार सिंह ने 19 फरवरी को एक शिकायत दी थी। इसमें कहा था कि टोल प्लाजा पर 5 लोग माफिया के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने अपने आगे 35-40 कर्मचारी रखे हुए हैं। वे लोग निजी कंपनी की बसों को बिना टोल दिए वहां निकालते हैं। उसके बदले में वे बसों से महीना वसूलते हैं। विरोध करने पर वे लोग मारपीट, तोड़फोड़ कर नुकसान करने के अलावा उन्हें व उनके परिवार के लोगों को जान से मारने की धमकियां भी देते हैं। इससे पहले भी टोल प्लाजा प्रबंधन ने लगातार दो साल से पुलिस को उनके खिलाफ शिकायतें दी थीं, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
हमारा प्रयास था कि दोनों पक्षों के बीच 50 प्रतिशत रियात का एग्रीमेंट हो जाए। मगर उक्त टोल पर ऐसा कोई विकल्प नहीं है। वहां प्रोटेक्शन के लिए पुलिस के पांच कर्मियों को तैनात कर दिया गया है। टोल वसूलना कंपनी का काम है। अगर उस दौरान कोई कानून व्यवस्था को हाथ में लेता है तो पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
-अश्विनी कपूर, डीसीपी लॉ एंड आर्डर।
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