Subsidy के पैसों से Industries को राहत दे सरकार, फोपसिया अध्यक्ष जिंदल ने सीएम को लिखा पत्र
बदीश जिंदल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उद्योगपतियों पर यह दबाव बना रखा है कि वह घरों से बाहर निकलकर अपने बिल जमा करवाएं।
लुधियाना, जेएनएन। पंजाब सरकार उद्योगों को पांच रुपये प्रति यूूनिट बिजली देने के लिए लगभग 16.50 करोड़ रुपये सलाना का खर्च करती है। जोकि लगभग 137 करोड़ रुपये लगभग महीने का बनता है। कर्फ्यू के चलते उद्योग पूरी तरह से बंद हैं और काम ठप है। ऐसे में सरकार को इस सब्सिडी से पूरी तरह राहत मिल रही है।
फेेडरेशन ऑफ स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (फोपसिया) के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने मुख्यमंत्री पत्र लिखकर कहा है कि पंजाब में सरकार लघु उद्योगों से 85 करोड़ रुपये फिक्स चार्जेज लेती है, मीडियम से 218 करोड़ और लार्ज इंडस्ट्री से 1602 करोड़ का सालाना फिक्सड चार्जेज वसूल कर रही है। जोकि औसतन 142 करोड़ रुपये महीना बनता है। इसके साथ ही पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार और बिजली वितरण कंपनियों से तीन महीने बिल न जमा करवाने की स्थिति में 6 प्रतिशत सलाना ब्याज की सहूलियत भी ले ली है।
अगर यही लाभ उद्योगपतियों को देकर बिलों की तारीख दो महीने आगे बढ़ाई जाती है, तो इस पर सरकार को मात्र 10.40 करोड़ रुपये का ही खर्च करना पड़ेगा। ऐसे में सरकार का कुल खर्च 152 करोड़ रुपये के आसपास आएगा और सरकार को 137 करोड़ रुपये एक महीने की उद्योग न चलने की स्थिति में बचत होगी। इस तरह उद्योगों की सारी मांगे मानने पर सरकार को मात्र 15 करोड़ ही खर्च करने पड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार राज्य के लगभग 1 लाख 30 छोटे व बड़े कारखानों को एक बड़ी राहत दे सकती है। बदीश जिंदल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उद्योगपतियों पर यह दबाव बना रखा है कि वह घरों से बाहर निकलकर अपने बिल जमा करवाएं। जबकि केंद्र द्वारा इसे सख्ती से रोके जाने के आदेश हैं। ऐसे में सरकार के इस फैसले के खिलाफ हम कोर्ट का रास्ता भी अपनाएंगे।
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