लचर कानूनी व्यवस्था से बेलगाम हो गए ड्रैगन डोर विक्रेता
लचर कानूनी व्यवस्था ने ऐसी ढील दी कि ड्रैगन डोर विक्रेता बेलगाम हो गए।
राजन कैंथ, लुधियाना :
लचर कानूनी व्यवस्था ने ऐसी ढील दी कि ड्रैगन डोर विक्रेता बेलगाम हो गए। डोर बेचते पकड़े जाने के बाद मौके पर ही जमानत हो जाती है। थाने से छूटते ही वो फिर से अपने काम में जुट जाते हैं। उन्हें इस बात से कुछ लेना देना नहीं है कि उस डोर से कितने लोग घायल हो रहे हैं और कितनों की जान चली गई।
एक सर्वेक्षण के अनुसार पिछले पांच साल के दौरान पुलिस ने डोर बेचने वालों पर करीब 100 केस दर्ज किए। उनमें से कई दुकानदार तो ऐसे भी हैं, जिनके खिलाफ कई बार पर्चे दर्ज हुए, और अब वो लोग डोर के सिडीकेट बन चुके हैं। हैरानी इस बात की है कि हर साल शहर में 3 से 5 करोड़ की डोर बेची जाती है। जबकि पुलिस हर साल मुश्किल से डेढ़ हजार गट्टू डोर ही पकड़ पाती है। पांच सालों के दौरान पुलिस ने बामुश्किल 15 लाख की डोर भी नहीं पकड़ी होगी।
सुप्रीम कोट ने लगाई है पाबंदी
साल 2017 के दौरान डोर की चपेट में आने से पूरे देश में पांच हजार से ज्यादा पक्षी मरे। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने ड्रैगन डोर पर 2016 में बैन लगाया था। अपनी 113 पेज की जजमेंट को एनजीटी ने लागू करने के लिए सभी राज्यों की सरकारों को भेजा। जिसमें उन्हें उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एनिमल एक्ट 1869 की धारा लगाने के भी निर्देश दिए गए। उस एक्ट के तहत अपराधी को 5 लाख जुर्माना तथा दो साल की सजा होती है। मगर प्लास्टिक डोर निर्माताओं ने एनजीटी के जजमेंट को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज कर दिया। जिसके चलते उस पर रोक लगा दी गई। मगर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी चाइनीज डोर पर पूर्ण पाबंदी लगा दी।
पुलिस चाहे तो रोक सकती है चाइनीज डोर की बिक्री
एक्शन अगेंस्ट करप्शन के प्रधान चंद्र कांत चड्ढा कहते हैं कि चाइनीज डोर बंद करना इतना बड़ा काम नहीं, जितना पुलिस ने बना दिया। इसके लिए पुलिस को पाकिस्तान जाने की जरूरत नहीं है। पुलिस जब किसी एक दुकानदार को पकड़ती है, उसी से पूछताछ में पता चल सकता है कि वो डोर कहां से आई। सप्लाई की चेन बनते ही पुलिस फैक्ट्री तक पहुंच सकती है। पुलिस के इतना करते ही लोगों और पक्षियों की जिदगी सुरक्षित हो सकती है।
चाइनीज डोर बेचने वालों पर होगा पांच लाख का जुर्माना : सीपी
पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल ने कहा कि ड्रैगन डोर पर नकेल कसने के लिए पुलिस ने एक सोशल मुहिम शुरू की है। प्लास्टिक डोर बेचने वालों पर पुलिस ने पूरी तरह से नकेल कस रखी है। अब तक हमने 20 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की हैं। यह सख्ती आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी। थाना प्रभारियों, पीसीआर टीमों, ट्वेरा टीमों तथा सीआइए की तीनों टीमों को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश हैं, जो प्लास्टिक डोर खरीद, बेच या उसका इस्तेमाल कर रहे हों। उनके खिलाफ सूचना देने वाले को 5 हजार रुपये इनाम का भी प्रावधान रखा गया है। ऑन लाइन बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए साइबर सेल टीम को सक्रिय कर दिया गया है। पहले हम केवल धारा 188 के तहत केस दर्ज करते थे। मगर अब हम उसके साथ एनिमल एक्ट 1869 भी जोड़ेंगे। जिसमें 5 लाख रुपये जुर्माने के साथ 2 साल की सजा भी होगी। हम आम लोगों से अपील करते हैं कि वो किसी लालच में आकर ड्रेगन डोर न खरीदें। वरना उनके खिलाफ एफआइआर हो जाएगी। जिससे उनका भविष्य खराब होगा। पतंग उड़ाने के लिए स्वदेशी डोर उपलब्ध है। उसी से त्यौहार मनाएं।
------------
कोट्स
कमिश्नरेट के अंर्तगत आते इलाके छोड़ अन्य पूरे जिले में पाबंदी लगा दी गई है। उन इलाकों में जो भी डोर बेचता अथवा खरीदता पकड़ा गया। उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इकबाल सिंह संधू, एडीसी जनरल।