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औद्योगिक नगरी में बरकरार है गुजरातियों की संस्कृति और उनका प्यार

गुजरात को छोड़कर महानगर को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले लोगों को भले ही कामकाज के लिए अपने प्रदेश से दूर आकर रहना पड़ा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 05:00 AM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 05:00 AM (IST)
औद्योगिक नगरी में बरकरार है गुजरातियों की संस्कृति और उनका प्यार

मुनीश शर्मा, लुधियाना

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गुजरात को छोड़कर महानगर को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले लोगों को भले ही कामकाज के लिए अपने प्रदेश से दूर आकर रहना पड़ा है, लेकिन वे वहां के रहन-सहन, खानपान और परंपराओं को हमेशा अग्रसर रखने का प्रयास रखते हैं। गुजरात के लोग भाईचारा और स्नेह बरकरार रखने के लिए अधिकतर त्योहारों को साथ मिलकर मनाते हैं। समय-समय पर गुजराती स्टाइल में कई तरह के आयोजन करते रहते हैं। वहीं गुजरात में होने वाले विशेष आयोजनों के लिए भी यहां से लोग जाते हैं और पंजाब में रहकर भी अपनी सभ्यता और परंपराओं को कायम रख रहे हैं। इसमें गुजरात के खानपान में वे ज्यादातर मीठे का इस्तेमाल करते हैं। कई बार गुजरात से कुक बुलाकर वहां से संबंधित व पारंपरिक व्यंजन तैयार करवाते हैं। इसके साथ ही परिवार मिलन समारोह के जरिए लुधियाना में बसे गुजरातियों को एक प्लेटफार्म पर एकत्रित होकर सुख-दुख बांटने का भी मौका मिलता है। इससे गुजरात की याद को ताजा करने के साथ-साथ अपनी बोली से जुड़ने का भी अवसर मिलता है। हर तीन माह में होता है परिवार मिलन समारोह

श्री गुजराती समाज संस्था की ओर से हर तीन महीने के बाद परिवार मिलन समारोह करवाया जाता है। इसमें यहां उपस्थित 100 से अधिक परिवार एक साथ एक जगह पर एकत्रित होकर गुजरात और पंजाब में आने वाली समस्याओं और बदलावों पर चर्चा करते हैं। इसके साथ ही बच्चों के लिए विभिन्न एक्टिविटी करवाने के साथ-साथ उन्हें वहां के कल्चर से जोड़े रखने के लिए गुजरात से संबंधित नृत्य, वह की भाषा में चर्चा और एक्टिविटी करवाई जाती हैं। इस दौरान वहां के ट्रेडिशनल व्यंजन भी तैयार करवाए जाते हैं। नवरात्र पर सिटी में करवाते गरबा और डांडिया

श्री गुजराती समाज की ओर से त्योहारों को भी एक साथ मनाने पर फोकस किया जाता है। इसके लिए समाज की ओर से हर साल नवरात्र के दौरान गुजरात के प्रसिद्ध डांडिया का आयोजन भी लुधियाना में किया जाता है। वर्ष 2002 से गरबा और डांडिया का आयोजन लुधियाना में किया जा रहा है। इसमें गुजरात समाज के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी आमंत्रित किया जाता है, ताकि वे गुजरात की इस परंपरा से वाकिफ हो सकें। इसके साथ ही हर साल दीपावली पर परिवार मिलन समारोह के साथ नए साल का कार्यक्रम एक साथ किया जाता है। महात्मा गांधी मेमोरियल के लिए सतलुज से गया था पानी

वर्ष 2010 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से गुजरात के गांधीनगर में महात्मा गांधी मेमोरियल का निर्माण करना था, तो इसके लिए विश्वभर में फैले गुजरातियों को जहां वे रहते हैं, वहां की माटी और पानी लाने के लिए न्योता भेजा गया था। इसके लिए गुजरात के अधिकारियों की टीम पंजाब भी आई थी और लुधियाना के गुजराती भाइयों को सतलुज दरिया का पानी और माटी लेकर आने के लिए कहा गया था। जिसपर चेयरमैन राज ठाकुर, गांधीनगर में सतलुज दरिया की माटी और पानी लेकर गए थे।


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