गुरदयाल कौशल के रू-ब-रू समारोह में पंक्षियों की कम हो रही संख्या पर जताई चिंता
साहित्य सभा जगराओं की मासिक बैठक अवतार सिंह जगराओं व प्रभजोत की अध्यक्षता में हुई।
जागरण संवाददाता, जगराओं :
साहित्य सभा जगराओं की मासिक बैठक अवतार सिंह जगराओं व प्रभजोत मोही की अध्यक्षता में स्काइवे आइलेट्स इंस्टीट्यूट में हुई। सबसे पहले सभा के सचिव राजदीप तूर की ओर से पिछली गतिविधियो की रिपोर्ट सुनाई गई। सभा की ओर से 25 नवंबर को करवाए जा रहे गुरदयाल कौशल के रू-ब-रू समारोह के बारे में जानकारी दी गई। रचनाओं के दौर में इशर सिंह मोजी ने गुरु नानक साहिब के बारे में कविता न आई करतार सुनाकर प्रशसा पाई। गायक राज जगराओं ने गीत बड़ा ही तंग करती है यह ठंड बुजुगरें को सुनाकर सर्दी के मौसम का आगाज कर दिया। हरकोमल बरियार ने अपना गीत तेरी साडी साझ बड़ी पुरानी नी चिडि़एं, तू क्यों हो गई धीया वाग बेगानी नी चिड़िए सुनाकर देश से पंक्षियों की कम हो रही गिनती पर चिंता प्रकट की और दूषित हो रहे वातावरण बारे चिंता जाहिर की। प्रताप सिंह गिल ने कनाडा से टेक्नोलॉजी का लाभ उठाते हुए वीडियो कॉल द्वारा सभी की रचनाएं सुनी। साथ अपनी गजल में अरदास है हो कभी न सिर ऐसे दसतारों अंदर सुनाकर अपनी हाजिरी भरी। हरदीप जस्सी ने गीत वे तू आ जा टहल सिरा दुख-सुख करिए जिंदगी के साझा किया। हरप्रीत सिंह अखाड़ा ने रिश्वतखोरी पर चोट करते कविता पक्की नौकरी सुनाकर माहौल संजीदा कर दिया। सुरजीत सहोता ने गजल, खानगाहा पर जो दीये बलदे ने अपने अंदर हनेरा पालदे ने सुनाकर खूब तालिया बटोरी। गुरदीप मनकू ने कहानी भरोसा सुनाई। प्रभजोत ने परवास के संताप को प्रकट करता गीत, पुत्र भेज विदेशों को मावा करें कंधों से बातें करें दस मेरे लाडलिया तेरा किवें विछोड़ा झल्ला सुनाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। राजदीप तूर ने गजल साझी की। इस मौके पर प्रो.कर्म सिंह संधू, बलवंत सिंह मुसाफिर ,प्रो सुखदेव सिंह बराड़ उपस्थित थे।