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इलाज से पहले कोरोना टेस्‍ट, आपदा की मार झेल रहे लोगों पर बढ़ा बोझ

अस्पताल पहुंचाया तो डॉक्टरों ने कह दिया कि बाजू टूटी है ऑपरेशन होगा लेकिन इससे पहले कोरोना टेस्ट होगा। इलाज खर्च के अलावा 5500 रुपये जमा करवाने की बात कही।

By Sat PaulEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 04:26 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 04:26 PM (IST)
इलाज से पहले कोरोना टेस्‍ट, आपदा की मार झेल रहे लोगों पर बढ़ा बोझ
इलाज से पहले कोरोना टेस्‍ट, आपदा की मार झेल रहे लोगों पर बढ़ा बोझ

लुधियाना, [राजेश शर्मा]। आपदा आए या महंगाई बढ़े, इसकी चपेट में हमेशा की तरह आम आदमी ही आता है। पहले से ही महंगे मेडिकल खर्च की मार झेल रहे लोगों के इलाज में अब कोरोना टेस्ट का 5500 रुपये और जुड़ गया है। यह मजाक नहीं बल्कि बजटीय जिंदगी जीने वालों की हकीकत है। करीब दो महीने लंबे चले लॉकडाउन के बाद कारोबारी संजय शेरपुर स्थित अपने ऑफिस जा रहे थे।

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रास्ते में ही तेज रफ्तार गाड़ी की टक्कर से वह सड़क पर गिर पड़े। वहां से गुजर रहे लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया तो डॉक्टरों ने कह दिया कि बाजू टूटी है ऑपरेशन होगा, लेकिन इससे पहले कोरोना टेस्ट होगा। इलाज खर्च के अलावा 5500 रुपये जमा करवाने की बात कही। पूछने पर स्टाफ कर्मचारी ने बताया कि 4500 रुपये तो कोरोना वायरस के टेस्ट के और 1000 रुपये पीपीई किट के हैं। अब ऐसी मार से तो पीडि़त और हिल जाएगा।

सांसद को भी नहीं भरोसा

सरकारी तंत्र व मेडिकल फैसिलिटी पर नेताओं का कितना भरोसा है, यह गाहे बगाहे जाहिर होता ही रहता है। बीते दिनों सांसद रवनीत सिंह बिट्टू फील्ड में सक्रिय हुए तो कुछ दिन बाद कोरोना टेस्ट करवाने की इच्छा भी जाहिर कर दी। टेस्ट करवाने डीएमसी अस्पताल में पहुंच गए। यह खबर खूब वायरल हुई कि सांसद रवनीत बिट्टू ने कोरोना टेस्ट करवाया है। बाद में रिपोर्ट आई तो नेगेटिव निकली। इसके बाद सांसद के इस कार्य पर सोशल मीडिया पर बहस होने लगी। हिंदू सिख जागृति सेना के अध्यक्ष प्रवीण डंग सहित बहुत से लोगों ने कह दिया कि सांसद महोदय को अपना कोरोना टेस्ट सिविल अस्पताल में करवाना चाहिए था। इन्हेंं वहां की व्यवस्था का पता चल जाता और लोगों का सरकारी अस्पतालों पर विश्वास बढ़ जाता। प्रतिक्रिया देते हुए लोगों ने कहा कि सांसद शायद यहां की कार्यप्रणाली जानते ही होंगे, तभी तो टेस्ट करवाने डीएमसी पहुंच गए।

किरकिरी से भरपाई में जुटे

कोरोना से निपटने के लिए बनाई व्यवस्थाओं के चलते प्रशासनिक तंत्र की खूब किरकिरी हुई। पहले 15 दिन तो सब्जी मंडी ही नहीं संभली। लोग चर्चा करने लगे कि यह तो कोरोना है फिर भी समय मिल गया। तब भी 15 दिन लग गए संभलने में। अगर भूकंप आता तो न जाने कैसे संभलते और संभालते। इसके बाद सरकारी अस्पतालों में इलाज से लेकर क्वारंटाइन सेंटर तक हर जगह खामियां निकलने लगीं। फिर किरकिरी हुई तो बड़े-बड़े प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मंत्री तक यहां पहुंचे। वीडियो बनाकर लोगों तक ऑल इज वेल का मैसेज पहुंचाने की कोशिश शुरू हुई। नांदेड़ से आए श्रद्धालुओं व कोटा से आए स्टूडेंट्स की वीडियो बनाकर उन्हीं से कहलवाने लगे कि सब ठीक है। बात यहीं नहीं रुकी। रेल से गांव जा रहे श्रमिकों की प्रतिक्रिया की वीडियो बनाई गई। लोग सवाल करने लगे अगर इन्हें ढंग से राशन मिला होता तो यह जाते ही क्यों?

भाई जुझारू नेता हैं ग्रेवाल

कांग्रेस के जिला महासचिव दलजीत सिंह ग्रेवाल और इसी पार्टी के विधायक संजय तलवाड़ में चल रही रस्साकशी की खूब चर्चा है। बीते दिनों राशन वितरण को लेकर दलजीत ग्रेवाल ने ऑन कैमरा विधायक तलवाड़ पर निशाना साधते हुए यह तक कह दिया कि 'राशन किसे दे पिओ दा नईं, लोकां दे दित्ते टैक्स दे पैसे दा आ। फिर क्या था घमासान ज्यादा तेज हो गया। मामला समर्थकों के आमने-सामने होने से लेकर सोशल मीडिया की तकरार तक पहुंच गया। मामला अधिक गर्म होने पर पूरे शहर में फैल गया। लोगों में चर्चा होने लगी कि भोला है ही जुझारु। शिरोमणि अकाली दल में था तो इसी पार्टी के ही विधायक रणजीत सिंह ढिल्लों से भिड़ गया। इसके बाद विधायक सिमरजीत सिंह बैंस की लोक इंसाफ पार्टी का हाथ थामा तो फिर उनसे भी तकरार हो गई। अब कांग्रेस में है तो उसी इलाके के कांग्रेस विधायक तलवाड़ से भिड़ गया। 

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