3200 करोड़ का प्रोजेक्ट और समोसे सिर्फ पच्चीस, लोग करते रहे इंतजार
मीटिंग खत्म होने को थी तो सेवादार आया और झेंपते हुए दीपक से बोला मैडम ने 25 समोसे ही लाने को कहा था जबकि मीटिंग में ही 30 लोग पहुंच गए।
लुधियाना [राजेश शर्मा]। नगर निगम जोन डी में वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों के साथ मेयर बलकार संधू, एडिशनल कमिश्नर संयम अग्रवाल, सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा सहित निगम अधिकारियों की मीटिंग थी। एजेंडा था नहर से पेयजल सप्लाई के 3200 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर चर्चा का। इसके लिए मीटिंग तीन घंटे लंबी चली। मीडिया कर्मियों को निगम कमिश्नर के वेटिंग रूम में इंतजार करना पड़ा। वहीं पर पार्षद पुत्र दीपक भी बैठे थे। सेवादार चाय देने आया तो दीपक ने हंसते हुए कहा, 'समोसे वी लै आओ।' वह गया लेकिन वापस नहीं आया। थोड़ी देर बाद दूसरा सेवादार आया तो दीपक ने फिर से उसे समोसे लाने के लिए कह दिया। वह भी गया लेकिन लौटा नहीं। मीटिंग खत्म होने को थी तो पहले वाला सेवादार आया और झेंपते हुए दीपक से बोला मैडम ने 25 समोसे ही लाने को कहा था जबकि मीटिंग में ही 30 लोग पहुंच गए।
बाइक टैक्सी वालों की चांदी
फिरोजपुर पर धरना लगाए वकीलों की हड़ताल चार दिन जारी रही। एसटीएफ अधिकारी हरबंस सिंह की तरफ से एक वकील से की मारपीट का आरोप लगाते हुए वकीलों ने डीसी आफिस के सामने जाम किया तो पूरे शहर का ट्रैफिक अस्त व्यस्त हो गया। हालात ऐसे बने कि फिरोजपुर रोड के दाएं-बाएं वाले भीतरी रास्तों पर ही वाहनों की लाइनें नहीं लगीं बल्कि बीआरएस नगर, गुरदेव नगर, मॉडल टाउन जैसे पॉश इलाकों से भी बसें-भारी वाहन निकलने लगे। इन इलाकों में जाम ने तो स्थानीय लोगों की दिक्कतें बढ़ा दीं। वहीं अब ये हालात देखकर लोगों ने बाइक टैक्सी का सहारा लेना शुरू कर दिया। इससे उनकी भी खूब चांदी रही। वे उन्हें सीधे रूट से ले जाने की बजाय दूसरे रास्तों से घुमाकर उनकी मंजिल तक पहुंचा रहे थे तो बिल भी कैब के बराबर ही आ रहा था। इसके बावजूद लोग बाइक टैक्सी को ही प्राथमिकता दे रहे थे।
रब्बा 15 नूं होण चौणां
सतलुज क्लब के चुनाव होने वाले हैं। क्लब के अध्यक्ष डीसी प्रदीप अग्रवाल कभी भी तारीख का एलान कर सकते हैं। दो साल बाद चुने जाने वाली 11 पदाधिकारियों की कार्यकारिणी के लिए कई दिग्गज मैदान में हैं। इस क्लब का चुनाव-प्रचार काफी रोचक होता है। शहर के अलग-अलग वर्गो में सिरमोर इन सदस्यों की वोट पाना आसान काम नहीं होता। इस क्लब का पदाधिकारी बनना भी एक टशन है। जोरशोर से प्रचार में जुटे उम्मीदवारों से पत्रकार चुनाव की तारीख पूछ रहे थे। किसी ने 22 मार्च तो किसी ने 15 मार्च कही। उम्मीदवारों की प्रतिक्रिया एक जैसी ही थी। फिर कहने लगे रब्ब करे 15 मार्च को चुनाव हो जाएं। वजह बताई कि बीते दिन जिस सदस्य को वोट के लिए पक्का करके आते हैं, अगले दिन दूसरा उम्मीदवार उसे अपने पाले में कर लेता है। अगर चुनाव जल्द हो जाएं तो रोज-रोज की कसरत से छुटकारा मिल जाएगा।
इनकी हड़ताल तो हमेशा ठुस्स
मांगें मनवाने के लिए अब तो धरना-प्रदर्शन का ही ट्रेंड चल पड़ा है। कई यूनियनें तो ऐसे ही अपनी फजीहत करवा चुकी हैं, क्योंकि उनकी हड़ताल का सरकार पर कोई असर नहीं होता। अब डीसी ऑफिस इंप्लाइज यूनियन की ही बात कर लो। यूनियन ने लंबित मांगों को लेकर हड़ताल कर दी। कर्मचारी मोहाली रोष मार्च में चले गए। चूंकि पब्लिक डीलिंग का अधिकांश कार्य तो सेवा केंद्रों में पहले से ही शिफ्ट हो चुका है। रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी कार्यालय के कर्मचारी हड़ताल में शामिल नहीं थे तो इसका असर लोगों पर नहीं पड़ा। यूनियन ने फिर रटारटाया प्रेस नोट जारी कर दिया। सरकार ने मांगें न मानीं तो संघर्ष तेज करेंगे। डीसी कार्यालय में किसी कार्यवश पहुंचे कुछ लोग आपस में बात कर रहे थे कि वैसे भी इनकी हड़ताल का असर तो कोई होता नहीं। एक-दो दिन हड़ताल के बाद ये लोग खुद काम पर लौट आते हैं।