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32 लाख की शहरी आबादी और पुलिस के पास सिर्फ एक स्पीड रडार

यातायात नियमों का पालन करवाने के लिए ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग विफल रहा है। इसका कारण संसाधनों की कमी और कर्मचारियों की लापरवाही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 06:30 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 06:30 AM (IST)
32 लाख की शहरी आबादी और पुलिस के पास सिर्फ एक स्पीड रडार
32 लाख की शहरी आबादी और पुलिस के पास सिर्फ एक स्पीड रडार

राजन कैंथ, लुधियाना

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यातायात नियमों का पालन करवाने के लिए ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग विफल रहा है। इसका कारण संसाधनों की कमी और कर्मचारियों की लापरवाही है। कहीं न कहीं सड़क हादसों के लिए यह भी एक बड़ी वजह है। सड़कों पर सबसे ज्यादा 60 फीसद हादसे ओवरस्पीड और ड्रंक एंड ड्राइव की वजह से होते हैं जबकि विडंबना यह है कि करीब 32 लाख की शहरी आबादी वाले लुधियाना में लाखों वाहनों की गति चेक करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के पास केवल एक स्पीड रडार है। वहीं वाहन चालकों में शराब की मात्रा चेक करने के लिए करीब 50 ब्रेथ एनालाइजर (एल्को मीटर) हैं। उनमें से ज्यादातर तो खराब हैं। मगर बचे हुए एनालाइजर्स का इस्तेमाल कोरोना काल के कारण नहीं किया जा रहा है। इस कारण आने वाले समय में धुंध के दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे होना जरूरी है ताकि ट्रैफिक नियमों को तोड़कर भागने वाले वाहन चालकों को चिन्हित करके उनके घर चालान भेजा जा सके। शहर के पांच चौराहों पर ई-चालान के लिए कैमरे लगा गए थे, मगर वो भी उलटी दिशा में लगे थे। शहर में चल रहे निर्माण कार्य के चलते उनमें से दो चौराहों के कैमरे बंद पड़े हैं। चौक पर तैनात मुलाजिमों के पास इंटरसेप्टिग व्हीकल नहीं

ट्रैफिक पुलिस के पास संसाधनों की कमी यह भी उजागर करती है कि इसके लिए विभाग और प्रशासन ने ही प्रयास नहीं किए। अगर किए होते तो ऐसी स्थिति नहीं होती। चौराहों पर तैनात ट्रैफिक मुलाजिमों के पास इंटरसेप्टिग व्हीकल नहीं है। अगर ट्रैफिक नियमों को तोड़कर वाहन चालक भागेगा तो वह उसका पीछा नहीं कर सकेंगे। हालांकि दोपहिया वाहन केवल पुलिस की पीसीआर टीम के पास ही हैं। वाकी-टाकी सिस्टम भी इनके पास नहीं दिखता

इसके अलावा चौराहों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस मुलाजिमों के पास वाकी-टाकी सिस्टम भी नजर नहीं आते ताकि वे नियम तोड़ने वाले चालक के वहां से निकलने पर अगले चौक पर तैनात पुलिस टीम को सूचना दे सकें और उसे काबू किया जा सके। शहर की सड़कों पर वहां की स्पीड लिमिट के बोर्ड होना जरूरी है ताकि वाहन चालक स्पीड लिमिट का ध्यान रख सकें। मगर सड़कों पर ऐसे बोर्ड भी नहीं हैं। ओवरस्पीड और ड्रंक एंड ड्राइव में अमीर लोग ही होते हैं अधिक

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद भारत सरकार के सदस्य व राहत फार सेफ कम्यूनिटी फाउंडेशन के चेयरमैन कमलजीत सोई ने कहा कि इससे बड़ी लापरवाही क्या होगी कि ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों ने चार साल पहले 91 ब्लैक स्पाट चिन्हित करके दिए थे। इतने समय में उन्हें ठीक नहीं कराया गया। ओवरस्पीड और ड्रंक एंड ड्राइव के मामले में अमीर और लापरवाह लोग ही पकड़े जाते हैं। मगर उनके चालान ही सबसे कम हैं। पुलिस सही ढंग से जिम्मेदारी निभाए तो होगा सुधार: सोई

कमलजीत सोई ने कहा कि पुलिस ने कभी टेंपो यूनियन व ट्रक यूनियनों के कामर्शियल वाहनों की फिटनेस चेक नहीं की। उनके स्पीड गवर्नर कभी चेक नहीं किए गए। आज तक फिटनेस या स्पीड गवर्नर को लेकर पुलिस कभी कोई चालान नहीं काटा कहीं न कहीं इससे पुलिस विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार नजर आता है। अगर पुलिस अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभाए तो काफी हद तक ट्रैफिक नियमों का पालन करवाया जा सकता है और इसमें सुधार भी होगा। कोट्स-

ट्रैफिक पुलिस के पास वाहन, वाकी-टाकी, एलको मीटर की कमी है। विभाग को इसके लिए लिखा गया है। जल्द ही हमें यह उपकरण मिल जाएंगे।

-डीसीपी ट्रैफिक सुखपाल सिंह बराड़


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