कभी पंजाबी सिनेमा का 'अमिताभ बच्चन' कहा जाने वाला आज है पाई-पाई को मोहताज
गर्दिश में जिंदगी जी रहे कौल के बात करते ही आंखों में आंसू आ जाते हैं। वह कहते हैं, मैं अकेला हूं। मानकवाल स्थित घर के प्रांगण में हाथ में वॉकर लिए कुर्सी पर बैठे कौल ने बोलते-बोलते सिर झुका लिया।
लुधियाना, दिलबाग दानिश। 'मेरे मरने की जल्द तारीख लिख दो, कैसे बर्बाद हो रहा मेरा बुढ़ापा लिख दो और लिख दो कैसे मेरे होंठ खुशी को तरस रहे, कैसे बरस रहा मेरी आंखों का पानी लिख दो'।कश्मीर के मौसिकी घराने में जन्मे, पंजाबी सिनेमा जगत के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले सतीश कौल की इन पक्तियों से पता चल रहा है कि वह कितने तन्हा हैं।
गर्दिश में जिंदगी जी रहे कौल के बात करते ही आंखों में आंसू आ जाते हैं। वह कहते हैं, मैं अकेला हूं। मानकवाल स्थित घर के प्रांगण में हाथ में वॉकर लिए कुर्सी पर बैठे कौल ने बोलते-बोलते सिर झुका लिया। धीरे से बोले कोई तो होगा जो इस अंतिम समय में मेरी बाजू पकड़ेगा। सरकार ने तो पंजाबी यूनिवर्सिटी से मिलने वाली पेंशन भी रोक दी। समय का चक्र ऐसा घूमा कि 30 साल तक पंजाबी और हिंदी सिनेमा पर राज किया और अब गुमनामी की जिंदगी जी रहा हूं। जन्म 8 सितंबर 1954 को कश्मीर में हुआ। पिता मोहन लाल कौल मौसिकी (शायरी) करते थे। उन्होंने कश्मीर की मौसिकी को दुनिया भर में प्रसिद्ध किया।
पिता के कहने पर 1969 में पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में ग्रेजुएशन के लिए गया था। वहां जया बच्चन, डैनी और शत्रुघ्न सिन्हा का बैच मेट रहा। सतीश कौल ने 1973 में पहली फिल्म की और बाद में 300 से भी ज्यादा हिंदी और पंजाबी सिनेमा में काम किया। शादी हुई तो पत्नी उन्हें अमेरिका में घर जमाई बनाकर रखना चाहती थी, मगर मेरा शौक और पैशन सिनेमा था, इसलिए उसे छोड़ दिया। कहा, जिंदगी बड़ी रंगीन थी। जवानी गई तो काम के लिए एक टीवी चैनल में एक्टिंग की क्लासें लेने लगा। इसी दौरान जुलाई 2014 में बाथरूम में नहाते समय गिरा और कूल्हा टूट गया। मुंबई के एक अस्पताल में इलाज के लिए गया तो जिंदगी की पूरी पूंजी इसी इलाज में खर्च हो गई। ढाई साल तक बेड पर पड़ा रहा। इस दौरान पटियाला के एक अस्पताल में समय बिताया।
सभी साथ छोड़ गए
सतीश कौल ने कहा कि जो कभी हिंदी सिनेमा में साथ थे और अभिनय के समय लंबी आयु की कामना करते थे, सब साथ छोड़ गए। 2015 में प्रकाश सिंह बादल की सरकार के समय पंजाबी यूनिवर्सिटी से 11 हजार रुपये की पेंशन लग गई। इसके बाद लुधियाना आकर एक्टिंग स्कूल खोला, पर वह फ्लॉप हो गया। बेरुखी ऐसी कि वृद्ध आश्रम में रह रहा था। वहां से चाहने वाली एक महिला अपने घर ले आई। हालात ये हैं कि कांग्रेस सरकार आते ही पेंशन तक रोक दी गई।
सासंद बिट्टू के पास छह चक्कर लगाए, नहीं सुनी बात
बकौल सतीश कौल, मैं सांसद रवनीत बिट्टू के पास छह बार जा चुका हूं, जरूरत सिर्फ पेंशन शुरू करवाने की। इसके अलावा एक घर की मांग है, जो नहीं मिल रहा है। अगर दिलवा दें तो मेहरबानी होगी।
कोई धर्मेद्र जी को ही हाल बता दे
सतीश कौल ने कहा कि मैंने धर्मेंद्र जी, गोविंदा, देवानंद, दिलीप कुमार के साथ फिल्में की हैं। सुना है धर्मेंद्र जी सबका सहयोग करते हैं। मेरे पास उनका संपर्क नंबर नहीं है। अगर कोई उन्हें बताए तो मेरा सहयोग जरूर करेंगे।