नवरात्रों में सांझी माता की भी बड़े हर्षोल्लास से होती है पूजा
सांझी माता मां अंबे का दूसरा रूप है। कुम्हार काली मिट्टी के साथ बड़ी श्रद्धा से बनाते है।
जागरण संवाददाता, जगराओं
सांझी माता मां अंबे का दूसरा रूप है। कुम्हार काली मिट्टी के साथ बड़ी श्रद्धा से बनाते है। पहले नवरात्र से सांझी माता की पूजा अर्चना शुरू की जाती है और जौ ज्वार बोये जाते हैं। जैसे नवरात्रों में नौ देवियों की पूजा की जाती है। वैसे ही लोग बड़े उत्साह के साथ सांझी माता को गोबर से दीवा पर लगाते है। नौ दिन सुबह-शाम पूजा अर्चना की जाती है। शाम को पड़ोसियों के साथ मिलकर आरती की जाती है और मां के गीत गाकर भजन-कीर्तन किया जाता है। इस संबंधी सीता देवी ने बताया कि पुरातन कथा में यह कहा गया कि इन दिनों मां अंबे अपने भक्तों को आर्शीवाद देने उनके घरों में आती हैं। और नवरात्रां के दसवें दिन सांझी माता को जलप्रवाह किया जाता है। अगले वर्ष जल्दी आने की कामना की जाती है। इस मौके पर सुरिदर कुमार ने बताया कि पिछले 21 वर्षों से सांझी माता को लगाते हैं। नवरात्रों में सांझी माता की पूजा अर्चना कर अपनी कामनाओं को पूरा करवाते है। इस मौके पर मीना गर्ग, मोनिका गर्ग, रेणू बांसल, ममता रानी, प्रेरणा शर्मा, साहिल शर्मा, सुरिदर कुमार, सतीश कुमार सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।