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चर्चा-ए-आमः कोरोना प्रोटोकाल वॉयलेशन पर आम जनता से वसूले लाखों, सत्ताधारियों को शायद छूट है

सहकारी सभाओं के सदस्यों व कांग्रेस समर्थकों की जनसभा हुई तो किसी ने भी न मास्क पहना था और न ही शारीरिक दूरी का पालन किया जा रहा था।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 04:16 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 04:16 PM (IST)
चर्चा-ए-आमः कोरोना प्रोटोकाल वॉयलेशन पर आम जनता से वसूले लाखों, सत्ताधारियों को शायद छूट है
चर्चा-ए-आमः कोरोना प्रोटोकाल वॉयलेशन पर आम जनता से वसूले लाखों, सत्ताधारियों को शायद छूट है

लुधियाना, [राजेश शर्मा]। जिला प्रशासन एक सप्ताह में दो बार प्रेस नोट जारी करके बताता है कि कोरोना प्रोटोकाल वॉयलेशन के कितने चालान काटे गए। सभी को लाखों रुपये के जुर्माने का हवाला देते हुए बताया जाता है कि बिना मास्क के कितने लोग मिले और उनसे कितना जुर्माना वसूला, सार्वजनिक स्थल पर थूकने वालों से कितना जुर्माना वसूला गया। इसके विपरीत सत्ताधारियों को तो जैसे इससे छूट ही मिली हुई है। ताजा मिसाल है कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा की मुल्लांपुर के सहकारी सभाओं के दौरे की। राजनेता आए और जनसभा न हो ऐसा कैसे हो सकता है। सहकारी सभाओं के सदस्यों व कांग्रेस समर्थकों की जनसभा हुई तो किसी ने भी न मास्क पहना था और न ही शारीरिक दूरी का पालन किया जा रहा था। तभी एक किसान ने चुटकी लेते हुए कहा कि आम आदमी का चालान काटने वाले प्रशासन ने लगता है सत्ताधारियों को छूट दे रखी है।

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श्रमिक व उपभोक्ता भी गए

जिला प्रशासन का डाटा कहता है कि 260 ट्रेनों से चार लाख श्रमिकों को उनके मूल प्रदेश पहुंचाया गया। यानी कि चार लाख श्रमिक सरकारी माध्यम से निश्शुल्क यूपी, बिहार व झारखंड लौट गए। यह तो था सरकारी आंकड़ा। इसके अलावा वह लोग जो बाइक, स्कूटर, साइकिल, रिक्शा, बस, टैंपो व पैदल ही अपने घरों के लिए निकल गए उनका भी लगभग आंकड़ा तीन लाख के करीब है। यानी कुल संख्या हुई सात लाख। शहर की आबादी है 22 लाख। इस हिसाब से 30 प्रतिशत लोगों ने शहर छोड़ दिया। लुधियाना की अर्थव्यवस्था में रच-बस गए इन श्रमिकों के लिए जितनी भी चर्चा होती है वह फैक्ट्री, लेबर के एंगल से ही होती है, जबकि हम भूल जाते हैं कि ये उपभोक्ता भी तो थे। इनके जाने से किसी की किराए की आमदन चली गई तो किसी का करियाना, कपड़ा, मनियारी, मोबाइल व ऑटो का धंधा मंदी में चला गया।

बसपा चर्चा से ही बाहर

एक समय था जब जिले में बसपा की छोटी-मोटी गतिविधियों पर भी चर्चा का माहौल बन जाता था। विधायक से लेकर सांसद तक की टिकट के लिए रस्साकशी लखनऊ तक पहुंच जाती। चंद वर्षो में ही हालात इतने बदल गए कि पार्टी चर्चा से ही बाहर हो गई है। इसी सप्ताह पार्टी का जिला अध्यक्ष बदला गया। नए प्रधान जीतराम बसरा की नियुक्ति की जानकारी प्रेसनोट से मिली तो जिले में कोई प्रतिक्रिया ही नहीं आई। जैसा कि आमतौर पर शिअद, कांग्रेस या भाजपा के प्रधान बदलने पर अक्सर गर्माए माहौल पर यहां वहां से आती है। प्रेसनोट आया, छोटी सी खबर गई और पहुंचा दी गई नियुक्ति की खबर लोगों तक। न किसी ने स्वागत किया न विरोध। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी से जुड़े पुराने वर्कर चर्चा कर रहे थे कि पार्टी कहां से कहां पहुंच गई। अब तो जिला प्रधान बदलने पर भी कोई चर्चा नहीं होती।

लोग सरकारी संदेश को समझें

कोरोना वायरस से निपटने में केंद्र व पंजाब सरकार दोनों ही अपनी-अपनी पीठ थपथपाने में लगी हैं। इसके विपरीत देश भर में रोज कोरोना पीड़ित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी दस हजार के आंकड़े को पार कर गई, जबकि लुधियाना में एक अल्पविराम के बाद संख्या तेजी से बढ़ रही है। जब मरीज मिलने की रफ्तार थमी हुई थी तो सड़कों पर बैरिकेड लगाए एक-एक नाके पर बीसियों वॉलंटियर्स के साथ दर्जनों पुलिस कर्मी खड़े मिलते थे। लोगों की आवाजाही भी नाममात्र की ही थी। अब मरीज बढ़े तो न तो जिला प्रशासन सक्रिय नजर आ रहा है न ही सड़कों पर पुलिस के नाके हैं। और तो और वॉलंटियर्स को भी घर पर बिठाकर पुलिस खुद भी नाकों से गायब हो गई। जवाहर नगर दुकान पर दो बुजुर्ग आपस में बात कर रहे थे कि लोगों को अब सरकार के आत्मनिर्भर व मिशन फतह के संदेश को समझना चाहिए।


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