फिल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान बोलीं; फिल्मों में आया काफी बदलाव, पुराने गीत ज्यादा अच्छे
अभिनेत्री वहीदा रहमान ने कहा कि पुराने समय और आज की फिल्मों में काफी बदलाव आ गया है। पिछले कुछ सालों से जो फिल्में आ रही हैं।
जेएनएन, लुधियाना। नेहरू सिद्धांत केद्र ट्रस्ट की ओर से आयोजित संगीत नाटक 'साहिर कहां हो तुम' के मंचन दौरान गुरु नानक देव भवन पहुंची फिल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान ने कहा कि पुराने समय और आज की फिल्मों में काफी बदलाव आ गया है। पिछले कुछ सालों से जो फिल्में आ रही हैं, उनके विषय बहुत ही अच्छे हैं। एक वैरायटी फिल्मों में देखने को मिल रही है। बात अगर म्यूजिक की करें तो मैं कहूंगी कि पुरानी फिल्मों में गीत ज्यादा अच्छे थे। उस समय म्यूजिक क्रिएट किया जाता था। अब बैकग्राउंड मूवीज पर गाने आ रहे हैं। फिलहाल अभी मेरा किसी फिल्म में आने का विचार नहीं है। मैंने 2009 में दिल्ली 6 फिल्म में काम किया था।
गुरुनानक भवन में आयोजित म्यूजिकल ड्रामा 'साहिर कहां हो तुम' के दौरान वहिदा रहमान को नूर-ए-साहिल अवार्ड प्रदान करते राकेश भारती मित्तल।
साहिर लुधियानवी से दो बार मिली, वह हमेशा खामोश ही दिखे
वहीदा रहमान ने कहा कि मुझे साहिर लुधियानवी से ज्यादा नहीं बस दो बार ही मिलने का मौका मिला। पर जितनी बार भी मैं उनसे मिली, वह हमेशा ही खामोश दिखे। हालांकि मेरी पांच फिल्मों प्यासा, मुझे जीने दो, शगुन, त्रिशूल और कभी-कभी के लिए साहिर ने गीत लिखे थे।
मेरी इच्छा डॉक्टर बनने की थी
एक सवाल के जवाब में अभिनेत्री ने कहा कि मेरी इच्छा डॉक्टर बनने की थी पर मैं खुद बहुत बीमार रहती थी। पिता हमेशा मुझसे कहते कि डॉक्टरी लाइन में पढ़ना बहुत पढ़ता है, इसलिए मैंने अपना यह सपना छोड़ फिल्मी करिअर अपनाने की सोची और आज मैं जिस करियर में कार्य कर रही हूं, उससे पूरी तरह संतुष्ट भी हूं।
नूर-ए-साहिर अवार्ड शुरू करने की घोषणा
नेहरू सिद्धांत केद्र ट्रस्ट की ओर से इस साल नूर-ए साहिर अवार्ड शुरू करने की घोषणा की गई है। इसी के तहत यह पहला अवार्ड आर्ट एंड कल्चरल में बेहतरीन करने के लिए अभिनेत्री वहीदा रहमान को दिया गया।
ढाई घंटे के संगीत नाटक ने मोहा मन
नेहरू सिद्धांत ट्रस्ट के इबादत फाउंडेशन दिल्ली के सहयोग से साहिर कहां हो तुम ढाई घंटे के संगीत नाटक ने सभी का मन मोह लिया। शो में साहिर के पंद्रह गीत, 66 मुखड़े और 29 गजल पेश की गई। गायकों की टीम में मुंबई से सुप्रिया जोशी, सर्वेश मिश्रा, आनंद बहल, दिल्ली से नवीन आनंद, शहर से निम्रता शर्मा ने साहिर के लिखे गीतो से समां बांधा। अभी न जाओ छोड़कर, ऐ मेरी जोहरा जबी, तु मुझे भूल भी जाओ, मैं जिदगी का साथ निभाता चला गया, अल्लाह तेरो नाम, चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं पेश किए। इस दौरान भारती इंटरप्राइजेज के वाइस चेयरमैन राकेश भारती मित्तल सहित नेहरू सिद्धांत केद्र ट्रस्ट के सभी मेंबर्स उपस्थित रहे।