लगातार पांचवें वर्ष अक्टूबर रह गया सूखा, पराली जलने पर बढ़े प्रदूषण से मरीजों को सांस लेने में दिक्कत
जासं लुधियाना इस साल भी अक्टूबर माह सूखा रह गया। यह लगातार पांचवां वर्ष है जब अक्टूबर में बादल नही
जासं, लुधियाना: इस साल भी अक्टूबर माह सूखा रह गया। यह लगातार पांचवां वर्ष है जब अक्टूबर में बादल नहीं बरसे। पीएयू के मौसम विभाग के रिकार्ड के मुताबिक साल 2015 के बाद से अक्टूबर में बारिश नहीं हो रही है। इसका वातावरण पर भी प्रभाव पड़ रहा है। आसमान में एक धूल की परत नजर आ रही है। इसके अलावा तापमान में गिरावट और प्रदूषण बढ़ने से मरीजों को सांस लेने में दिक्कत आ रही है।
पीएयू के मौसम विभाग की प्रमुख डा. प्रभजोत कौर सिद्धू का कहना है कि अक्टूबर बहुत नाजुक होता है, क्योंकि इस माह में एक तरफ तापमान घट जाता है, दूसरा ग्रामीण क्षेत्रों में पराली जलाने व शहरी क्षेत्रों में पटाखे चलाने के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हवा का प्रवाह रुक जाता है। इससे यह प्रदूषण हवा की निचली परत में जमा हो जाता है। परिणामस्वरूप स्माग बनता है। यह धुएं और धुंध का मिश्रण होता है और कई बीमारियों की वजह बनता है। वहीं बारिश होने पर हवा की निचली परत में जमा प्रदूषण से राहत मिल जाती है।
पराली जलाने से घुटन, आइसीयू में बढ़ रहे मरीज
दीपक अस्पताल की मेडिसिन विशेषज्ञ डा. मनीत का कहना है कि अक्टूबर का मौसम बहुत ज्यादा खराब रहा है। पराली जलाने की वजह से घुटन भरा माहौल बना हुआ है। प्रदूषित हवा की वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत आ रही है। सबसे अधिक परेशानी तो अस्थमा, दमा और कोरोना को मात दे चुके मरीजों को आ रही है। मरीजों को चेस्ट में इंफेक्शन, ब्रीदिग प्राब्लम हो रही है। आइसीयू में मरीज बढ़ने लगे हैं। जिले के ग्रामीण इलाकों में पराली जलाने की वजह से स्थिति बदतर हो रही है। सरकार को पराली जलाने वालों पर सख्ती करनी चाहिए। बारिश आए तो प्रदूषण से कुछ हद तक जरूर राहत मिले।
नवंबर में बारिश की संभावना: डा. प्रभजोत
पीएयू के मौसम विभाग की प्रमुख डा. प्रभजोत कौर सिद्धू का कहना है कि नवंबर के पहले सप्ताह के बाद बारिश के आसार हो सकते हैं। फिलहाल आगामी दो-तीन दिनों तक मौसम खुश्क रहेगा और बारिश की कोई संभावना नहीं है। तीन नवंबर के बाद ही मौसम में बदलाव आएगा।
अक्टूबर में बारिश नहीं होने से किसानों को फायदा व नुकसान भी
डा. प्रभजोत कौर कहती हैं कि अक्टूबर में बारिश न होने से किसानों को फायदा भी हुआ और नुकसान भी। फायदे की बात करें तो बारिश न होने से जिन किसानों ने धान लगाई थी, उनकी कटाई पूरी हो गई। फसलें मंडी तक पहुंच गई। जबकि नुकसान की बात करें तो जिन किसानों ने आलू की खेती की थी, उन्हें खेतों में खुद पानी लगाना पड़ा। बारिश होती तो उन्हें सिचाई नहीं करनी पड़ती। इन सालों में अक्टूबर में हुई बारिश
1970- 2.2 मिमी
1973- 4.2 मिमी
1977-2.2 मिमी
1978-5.4 मिमी
1979-0.1 मिमी
1980-26.4 मिमी
1983-4.1 मिमी
1984-3.0 मिमी
1985-27.2 मिमी
1986-16.6 मिमी
1987-48.4 मिमी
1990-4.0 मिमी
1992- 0.1 मिमी
1996-45.1 मिमी
1997-24 मिमी
1998- 133.2 मिमी
2002-2.2 मिमी
2004- 33 मिमी
2006-6.8 मिमी
2008- 39 मिमी
2009- 26.2 मिमी
2010-8.8 मिमी
2012-01 मिमी
2013-36.2 मिमी
2014-12.9 मिमी
2015-16.4 मिमी
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1971 से अब तक 19 साल अक्टूबर में नहीं बरसा पानी इन सालों में अक्टूबर में नहीं हुई बारिश
साल 1971
साल-1974
साल 1975
साल 1976
साल 1981
साल 1982
साल-1988
साल-1989
साल-1991
साल 1993
साल 1994
साल 1995
साल 1999
साल 2000
साल 2001
साल 2003
साल 2005
साल 2007
साल 2011
साल 2016
साल 2017
साल 2018
साल 2019
साल 2020