ट्रीटेड पानी के लिए नहर बनाने के एनजीटी के फैसले से उद्यमियों में खुशी
चैनल बनाने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजाब डायर्स एसोसिएशन के हक में फैसला दिया है।
जासं, लुधियाना : कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) में ट्रीटेड पानी को कृषि एवं सिचाई में फिर से उपयोग करने के लिए चैनल बनाने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजाब डायर्स एसोसिएशन के हक में फैसला दिया है। ट्रीटेड पानी के लिए चैनल अब पंजाब डायर्स एसोसिएशन नहीं, बल्कि सरकार बनाएगी। एसोसिएशन के महासचिव बॉबी जिदल ने कहा कि एनजीटी का फैसला पक्ष में आने से उद्यमियों में खुशी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ताजपुर रोड में बन रहा 50 एमएलडी का सीईटीपी जून तक काम करना शुरू कर देगा।
बॉबी जिदल ने कहा कि ताजपुर रोड पर डाइंग इंडस्ट्री से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीट करने के लिए 50 एमएलडी का सीईटीपी बनाया जा रहा है। इसमें कुल 55.5 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसमें से 15 करोड़ केंद्र सरकार और साढ़े सात करोड़ प्रदेश सरकार ने देना है। अभी तक केंद्र ने तीन और सूबा सरकार ने डेढ़ करोड़ दिया है जबकि 30 करोड़ उद्यमियों ने अपनी जेब से खर्च किया है। सीईटीपी में सिविल का काम 80 फीसद और सीवर लाइन का काम 90 फीसद तक पूरा हो गया है। अब मैकेनिकल काम शुरू किया जा रहा है, लेकिन सरकार से फंड वक्त पर नहीं मिल रहा है। इससे दिक्कत आ रही है। पंजाब डायर्स एसोसिएशन ने खटखटाया था दरवाजा
बॉबी ने कहा कि एनजीटी ने सीईटीपी से ट्रीटेड पानी को बुड्ढे दरिया में डालने की मनाही की है। इस पर पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पंजाब डायर्स एसोसिएशन को कहा कि ताजपुर रोड से मोगा तक ट्रीटेड पानी को ले जाने के लिए चैनल एसोसिएशन बनाए। इस पर करीब दो सौ करोड़ का खर्च आना था। इसके विरोध में एसोसिएशन ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया। अब एनजीटी ने साफ कर दिया है कि यह काम सरकार का है। अब इंडस्ट्री सीईटीपी बनाने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करेगी।