लुधियाना के गडवासू ने निकाली नई राह- पराली से खुशहाली, पशुओं को आहार और दूध की बहार
New Research लुधियाना के गडवासू ने पराली प्रबंंधन और पशु दुग्ध पर कमालका रिसर्च किया है। गडवासू ने पराली प्रबंधन के लिए अच्छी राह निकाली है। इसके तहत पशुओं को यूरिया उपचाारित पराली का आहार दिया गया। इससे पशुओं को आहार मिलने के साथ ही उनका दूध भी काफी बढ़ा।
लुधियाना, [आशा मेहता]। New Research: गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासू) ने कमाल का रिसर्च किया है। इससे पराली की समस्या के हल होने के साथ ही पशुओं की आहार की समस्या दूर होगी और दूध उत्पादन भी बढ़ जाएगा। पराली देश विशेषकर पंजाब के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है। किसान खेत में ही पराली को आग लगा देते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।
दुधारू पशुओं को खिलाई यूरिया व शीरे से उपचारित पराली, दुग्ध उत्पादन बढ़ा
गडवासू ने पराली के उचित निस्तारण के लिए ने एक अच्छी राह निकाली है। गडवासू ने अपने प्रायोगिक डेयरी प्लांट पर रखी गायों व भैंसों को चार माह तक यूरिया व शीरे से उपचारित पराली खिलाई। यह पराली खाने से जहां दुग्ध उत्पादन बढ़ा, वहीं उनके स्वास्थ्य में भी सुधार आया और वजन में भी वृद्धि हुई।
पशुओं की सेहत भी सुधरी, गडवासू ने अपने प्रायोगिक डेयरी प्लांट में किया प्रयोग
गडवासू के वीसी डा. इंद्रजीत सिंह कहते हैं कि हमने दिसबंर, 2021 से लेकर मार्च, 2022 तक अपने प्रायोगिक डेयरी प्लांट पर रखी गईं नौ सौ गायों व भैंसों को गेहूं के भूसे की जगह केवल यूरिया व शीरे से उपचारित पराली और उसके साथ हरा चारा व दाना दिया तो दुग्ध उत्पादन बीते वर्षो के मुकाबले अधिक रहा। दुग्ध उत्पादन अप्रैल, 2019 से मार्च, 2020 तक 4,06,763 किलो और अप्रैल, 2020 से मार्च, 2021 तक 4, 42,535 किलो रहा।
उन्होंने बताया कि उक्त दोनों वर्षो में हमने अपने पशुओं को गेहूं की तूड़ी (भूसा) और साथ में हरा चारा व दाना दिया। अप्रैल, 2021 से मार्च, 2022 में दुग्ध उत्पादन बढ़कर 5,73,856 किलो हो गया है, जो कि अप्रैल 2020-मार्च 2021 के मुकाबले सीधे सीधे 1,31, 321 किलोग्राम अधिक है।
डा. सिंह बताते हैं कि अगर अप्रैल, 2021 से मार्च, 2022 तक प्रति माह दुग्ध उत्पादन की बात करें तो अप्रैल में 47,018 किलो दुग्ध उत्पादन हुआ। मई में 44,695 किलो, जून में 41, 375 किलो, जुलाई में 39,888 किलो, अगस्त में 36,489 किलो, सितंबर में 40,149 किलो, अक्टूबर में 43,958 किलो व नवंबर में 48,223 किलो दुग्ध उत्पादन हुआ। ये वो महीने हैं, जिनमें पशुओं को गेहूं की तूड़ी खिलाई गई थी।
उन्होंने कहा कि इन महीनों में दूध का उत्पादन घटता व बढ़ता रहा। जैसे ही दिसंबर से पशुओं को उपचारित पराली खिलाई गई तो उसके बाद से एक भी माह में दुग्ध उत्पादन घटा नहीं, बल्कि लगातार बढ़ता गया। दिसंबर, 2021 में डेयरी प्लांट में 51,018 किलो, जनवरी, 2022 में 56,280 किलो, फरवरी में 56,842 किलो और मार्च में 66,548 किलो दुग्ध उत्पादन हुआ।
पशुओं का वजन भी बढ़ा
डा. इंद्रजीत सिंह के अनुसार दुग्ध उत्पादन के साथ पशुओं के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ। उपचारित पराली खाने पर पशुओं का वजन तूड़ी खाने वाले पशुओं की तुलना में रोजाना दो सौ ग्राम अधिक बढ़ा। तीन महीने के दौरान इनका वजन 18 किलो ज्यादा था।
यूरिया व शीरा से ऐसे तैयार होती है उपचारित पराली
डा. इंद्रजीत कहते हैं कि एक किलो यूरिया और तीन किलो शीरा को तीस लीटर पानी में मिला दिया जाता है। इस घोल को एक क्विंटल कुतरी हुई पराली पर छिड़क देते हैं। पराली को कुछ समय के लिए रख दिया जाता है। फिर पराली पशुओं के खाने के लिए तैयार हो जाती है।
उन्होंने बताया कि पराली को यूरिया व शीरा से उपचारित करने के दो प्रमुख कारण हैं। पराली में प्रोटीन नहीं होती। यूरिया पराली में प्रोटीन बनाने में मदद करता है। शीरा से ऊर्जा मिलती है। यह कार्बोहाइड्रेटस का मुख्य स्त्रोत है। यूरिया के साथ पराली में सूक्ष्म जीव क्रियाशील हो जाते हैं, जिस कारण यूरिया अमोनिया गैस में तब्दील हो जाता है।
उन्होंने बताया कि सूक्ष्म जीवों की जैविक प्रक्रिया के कारण पराली के ढेर का अंदर का तापमान 50-55 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और पराली में सूक्ष्म जीवों से बने प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। पराली को यूरिया से उपचारित करने पर इसमें छह से आठ प्रतिशत कच्चा प्रोटीन, तीन से चार प्रतिशत पाचन योग्य प्रोटीन (डीसीपी), कुल पाचन योग्य तत्व (टीडीसी) रेशे से पाचन योग्य शक्ति 70 से 75 प्रतिशत तक हो जाती है। हालांकि, चार महीने से छोटे पशुओं को उपचारित पराली नहीं देनी चाहिए। एक पशु को एक दिन में तीन से पांच किलो उपचारित पराली दी जा सकती है।