स्कूल वैन चालक मुश्किल में, मदद की मांग
कोरोना के कारण पिछले करीब डेढ़ साल से निजी स्कूलों के वैन चालक मुश्किल में हैं। उनका कहना है कि न तो स्कूल प्रबंधन उनकी सुध ले रहा है और न ही सरकार। हालात ये हो गए हैं कि उन्हें रोटी तक के लाले पड़ गए हैं। पहले हाई कोर्ट के आदेश पर उनको पुराने वाहनों के स्थान पर नए उच्च दर्जे की आधुनिक सहूलियत वाली गाड़ियां खरीदनी पड़ीं। अभी गाड़ियों की किस्त भी वे कई माह से नहीं दे पाए हैं।
संवाद सहयोगी, जगराओं : कोरोना के कारण पिछले करीब डेढ़ साल से निजी स्कूलों के वैन चालक मुश्किल में हैं। उनका कहना है कि न तो स्कूल प्रबंधन उनकी सुध ले रहा है और न ही सरकार। हालात ये हो गए हैं कि उन्हें रोटी तक के लाले पड़ गए हैं। पहले हाई कोर्ट के आदेश पर उनको पुराने वाहनों के स्थान पर नए उच्च दर्जे की आधुनिक सहूलियत वाली गाड़ियां खरीदनी पड़ीं। अभी गाड़ियों की किस्त भी वे कई माह से नहीं दे पाए हैं।
वैन चालक विक्की तिहडा, दर्शन सिंह मुल्लांपुर ,सेवक सिंह कोकरी, जग्गी गालिब और पिदा ने कहा कि जब कोरोना के कहर के साथ ही स्कूल बंद हो गए थे। तब डीजल की कीमत 60-65 रुपये प्रति लीटर थी। अब दोबारा स्कूल खोलने के लिए सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया गया है तो इस समय डीजल की कीमत 94 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है। स्कूलों ने तो आनलाइन सुविधा प्रदान करने के नाम पर अपनी फीसें हासिल कर ली लेकिन वैन चालकों को किसी तरह की सहूलियत देने के लिए जहां स्कूलों ने हाथ खड़े कर लिए, वहीं पंजाब सरकार ने भी उन्हें कोई सहूलियत नहीं दी। बैंकों से लिए कर्ज पर कई तरह के चार्जेस भी जोड़े जा रहे हैं। स्कूल वैन चालकों ने सरकार पर पक्षपात करने के आरोप लगाते हुए सरकार की नीतियों की आलोचना की और कहा कि हम सभी भी टैक्स भरने वाले नागरिक हैं। सरकार अन्य कारोबारियों की तरह उन्हें भी सुविधाएं प्रदान करें ताकि हम अपने परिवार पाल सकें।