वेंटीलेटर पर निगम, वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी से ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद
निगम में फाइनेंशियल इमरजेंसी जैसे हालात हो चुके हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की आर्थिक राजधानी में निगम को 50 करोड़ रुपये मासिक खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
राजेश भट्ट, लुधियाना : शहर का विकास ठप है। कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा। हालात ऐसे हो गए हैं कि जुलाई महीने का वेतन अभी तक आधे से अधिक कर्मियों को नहंीं मिला है। यह स्थिति पिछले कई महीनों से बनी हुई है। कारण यह है कि नगर निगम की आर्थिक हालत नाजुक हो चुकी है। निगम में फाइनेंशियल इमरजेंसी जैसे हालात हो चुके हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की आर्थिक राजधानी में निगम को 50 करोड़ रुपये मासिक खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में निगम की उम्मीद अवैध निर्माण को लेकर सरकार की ओर से जारी की जाने वाली वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी पर टिकी हुई है। इस पॉलिसी के लागू होने से निगम को करीब 500 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान है, जिससे शहर का विकास पटरी पर आ सकता है। आर्थिक तौर पर निगम वेंटीलेटर पर है और अब मेयर को नवजोत सिंह सिद्धू की वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी (ओटीएस) से ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद है।
पॉलिसी पर कैबिनेट की मोहर लगनी बाकी
शहरों में बिना नक्शे या बिल्डिंग बाइलॉज का उल्लंघन करके बनी इमारतों को रेगुलर करने के लिए स्थानीय निकाय विभाग वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी लेकर आ रहा है। पॉलिसी को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू की सभी बड़े शहरों के मेयरों के साथ बैठक हो चुकी है और पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जा चुका है। अब पॉलिसी पर सिर्फ कैबिनेट की मोहर लगनी बाकी है। यहा तक कि पिछली दो कैबिनेट मीटिंगों में इस पॉलिसी को पास करवाए जाने की चर्चा भी थी, लेकिन आखिरी क्षणों में पॉलिसी कैबिनेट के एजेंडे में शामिल नहीं हो सकी।
हर माह 50 करोड़ रुपये का है खर्च
नगर निगम के हर माह के खचरें की गणना करें तो यह राशि 50 करोड़ के पार पहुंच जाती है, जिसमें 25 करोड़ रुपये के करीब कर्मचारियों व अफसरों के वेतन का खर्च है। बिजली बिल, डीजल, मेंटेनेंस, पेंशन, बैंक का व्याज व लोन की किश्त समेत अन्य खचरें को जोड़कर यह राशि भी 25 करोड़ के करीब बन जाती है। रिकवरी करवाने में नाकाम हैं अफसर
मेयर बलकार सिंह संधू ने शपथ लेते ही पहली बैठक में अफसरों से नगर निगम की वित्तीय हालत की जानकारी ली। तब पता चला कि निगम की वित्तीय हालत बेहद खस्ता है। उन्होंने अफसरों को रिकवरी करने के आदेश दिए। साथ ही साफ कर दिया कि अगर उन्हें रिकवरी में किसी राजनीतिक व्यक्ति की तरफ से दखलंदाजी की जाती है तो उसकी सूचना उन्हें दें। इसके बावजूद रिकवरी में सुधार नहीं हुआ। उसके बाद पूर्व निगम कमिश्नर ने अफसरों को मंथली टारगेट भी दिए पर रिकवरी की रफ्तार नहीं बढ़ी। ओएंडएम सेल के 200 करोड़ फंसे
नगर निगम की ओएंडएम सेल में पानी व सीवरेज के बिल के 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि फंसी है। इसकी वसूली के लिए निगम अफसरों की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। मेयर ने इसके लिए एक कमेटी बनाने की बात की थी, लेकिन अभी तक उस कमेटी का भी गठन नहीं किया गया। निगम की आर्थिक दशा बेहद खराब चल रही है। मैंने हाल ही में मुख्यमंत्री कैप्टन अमड्क्षरदर सिंह से भी फंड की माग की थी। उन्होंने भी 366 करोड़ रुपये विकास कायरें के लिए देने की घोषणा की है। ओटीएस आने के बाद निगम के वित्तीय हालत में सुधार होगा।
बलकार सिंह संधू, मेयर नगर निगम लुधियाना