घर जा रहे श्रमिकों से बोले सांसद रवनीत सिंह बिट्टू; लौटकर जरूर आना, इंतजार रहेगा
बिट्टू श्रमिकों से बोले कि लुधियाना ने तुमको इतना प्यार दिया रोजगार दिया। यह शहर आपका है। अपने घर जाओ स्वजनों से मिलो फिर लौटकर जरूर आना। लुधियाना में आपका इंतजार करेगा।
लुधियाना, [राजीव शर्मा]। जब से कर्फ्यू लगा है तब से सैकड़ों कामगार बेरोजगार हो गए हैं। पैसों की कमी और राशन की दिक्कत के कारण अब वे अपने गांवों को जाने लगे हैं। करीब सात लाख श्रमिक अब तक रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। सरकार ने उनकी वापसी के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। लुधियाना स्टेशन से रोजाना पांच से छह ट्रेन उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड को जा रही हैं। इनमें कई ऐसे श्रमिक भी हैं जिन्हें यहां रहते 15-20 साल हो गए हैं, बावजूद इसके वे अपना सब कुछ छोड़कर जा रहे हैं।
हाल ही में सांसद रवनीत सिंह बिट्टू भी स्टेशन पर जायजा लेने आए। वे पुल पर खड़े थे और श्रमिक लाइन लगाकर प्लेटफार्म की तरफ जा रहे थे। तभी बिट्टू उनसे बोले कि लुधियाना ने तुमको इतना प्यार दिया, रोजगार दिया। यह शहर आपका है। अपने घर जाओ, स्वजनों से मिलो, फिर लौटकर जरूर आना। लुधियाना में आपका इंतजार करेगा।
बदलते आदेशों से असमंजस में दुकानदार
कर्फ्यू के दौरान प्रशासन कारोबार को पटरी पर लाने के लिए दुकानें खोलने के लिए दिन में छूट दे रहा है। पहले ऊपर से सरकार के आदेश आते हैं। फिर उनमें कुछ संशोधन करके जिला प्रशासन अपने आदेश जारी करता है। अब दुकानदार भी इससे असमंजस में हैं कि किन दुकानों को खोलने की मंजूरी दी गई है और किन्हें नहीं। एक पड़ोसी दुकानदार दूसरे को फोन करके बताता है कि उसने दुकान खोल ली तो उसी भेड़चाल में गैरजरूरी वस्तुओं के दुकानदार भी सुबह शटर उठाकर बैठ जाते हैं। फिर गश्त पर निकली पुलिस उन दुकानों को बंद करवाने आ जाती है। इसी असमंजस की वजह से मनियारी का काम करने वाले राहुल के साथ किस्सा हो गया। उसने दुकान खोली तो पुलिस पहुंच गई और धमकाकर बंद करा दी। हताश राहुल घर पहुंचा और कहा, 'प्रशासन दा पता ही नईं चलदा कि केहड़ी दुकान ते कदों तक खुलेगी।
लो होर खोलो दुकानां
कोरोना के कारण शहर में लगे कर्फ्यू के 48 दिन बाद प्रशासन ने कापी-किताबों की दुकानें खोलने की मंजूरी दी। हरी झंडी मिलते ही चौड़ा बाजार स्थित शहर के प्रमुख किताब बाजार के कारोबारियों ने दुकानें खोल लीं। लोगों को बच्चों एवं व्यवसायिक कार्यों के लिए स्टेशनरी और कापी-किताब की आवश्यकता थी। देखते ही देखते बाजार में काफी भीड़ हो गई। लग ही नहीं रहा था कि कर्फ्यू लगा हो। लोग एक-दूसरे से सटकर चल रहे थे। भीड़ के कारण वहां ट्रैफिक जाम हो गया। अब ऐसे में कोरोना महामारी से कैसे निपटा जा सकता है। प्रशासन को इसकी भनक लगी तो कुछ ही घंटों के बाद बाजार को बंद करवा दिया गया। तभी दुकानदार जसपाल सिंह भी वहीं थे और साथियों से बोले, 'लो खोल लवो दुकानां। जे अग्गे वी ऐही हाल रेहा तां दुकानां खोलणियां मुशकल हो जाणगियां। एैसे लई पैहलां ही फिजिकल डिस्टेंसिंग दा ध्यान रखना पवेगा।
एहनां दा रब्ब ही राखा
लॉकडाउन को करीब पचास दिन हो गए हैं। अभी औद्योगिक नगरी में कामकाज ठप ही है। हालांकि सरकार और प्रशासन सशर्त धीरे-धीरे इंडस्ट्री को खोलने की इजाजत दे रहा है। मगर इसके लिए बनाए नियम काफी सख्त हैं। इनका पालन कर पाना माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज सेक्टर के उद्यमियों के लिए मुश्किल हो रहा है। दूसरा फैक्ट्रियों के स्तंभ कहे जाने वाले श्रमिक गृह राज्यों को लौट रहे हैं। ऐसे में उद्यमियों की चिंता और बढ़ गई है। अब अधिकृत इलाकों में इंडस्ट्री चल रही है, जबकि मिक्स लैंड यूज इलाकों में आती 65 फीसद छोटी इंडस्ट्री मंजूरी के लिए हाथ-पांव मार रही है। उद्यमी मुकेश ऐरी ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कि 'इंडस्ट्री दा हाल तां आटे दे दीवे वरगा ऐ, बाहर रखो तां कां चक के लै जावेगा, अंदर रहे तां चूहा लै जावेगा। एहनां हालात विच तां छोटी इंडस्ट्री दा रब्ब ही राखा ऐ।
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