इधर-उधर की... शिकायतों का अंबार देख घबराए सांसद, कार्यकर्ताओं को किया 'इग्नोर'
कार्यकर्ता करीब चार बजे तक सांसद का इंतजार करते रहे। कुछ कार्यकर्ता तो अपनी समस्या बताने के लिए वहीं डटे रहे जबकि कई नाराज होकर लौट गए।
लुधियाना, [राजेश भट्ट]। बिट्टू सांसद बनने के बाद कई बार लुधियाना आए पर कार्यकर्ताओं से नहीं मिले। पिछले दिनों बिट्टू ने बचत भवन में निगम अफसरों के साथ बैठक बुलाई, इसमें शहर के विधायकों को भी बुलाया गया। बिट्टू करीब 12 बजे बचत भवन पहुंचे। कार्यकर्ताओं को जैसे ही पता चला तो वह भी उन्हें मिलने बचत भवन के बाहर पहुंच गए। कार्यकर्ता करीब चार बजे तक सांसद का इंतजार करते रहे। कुछ कार्यकर्ता तो अपनी समस्या बताने के लिए वहीं डटे रहे, जबकि कई नाराज होकर लौट गए। बिट्टू चार बजे जब बाहर आए तो कार्यकर्ताओं ने उन्हें समस्याएं बतानी शुरू कर दी। कार्यकर्ताओं की ज्यादा शिकायतें देख बिट्टू कार में बैठे और वहां से सटक लिए। सासंद का ऐसा रवैया कार्यकर्ताओं को रास नहीं आया। वहां पर कुछ लोग चर्चा कर रहे थे कि जिस दिन कार्यकर्ताओं ने 'इग्नोर' किया उस दिन सब 'डोर' बंद हो जाएंगे।
भोला कांग्रेसी, वार्ड विपक्षी
दलजीत ग्रेवाल भोला दो बार खुद और अब उनकी पत्नी बलविंदर कौर पार्षद बनी हैं। दलजीत की वार्ड पर अच्छी पकड़ है, लेकिन हर बार वह विपक्ष में रहे तो वार्ड नंबर 11 में विकास कार्य नहीं हो सके, जिसका खामियाजा वार्ड वासियों को झेलना पड़ा। इस बार उनकी पत्नी आम आदमी पार्टी से पार्षद बनीं। पार्टी का घटता आधार देख भोला ने लोकसभा चुनाव से पहले कलटी मारी और सत्ताधारी दल कांग्रेस का दामन थाम लिया। वार्ड वासियों को भी आस जाग गई कि अब विकास कार्य तेजी से होंगे, लेकिन हुआ इससे उलट। हलका पूर्वी के विधायक संजय तलवाड़ व दलजीत विधानसभा चुनाव में आमने-सामने थे। आस-पास के वार्डों में कांग्रेस के पार्षद हैं जो कि विधायक संजय तलवाड़ के जरिए दबाव बनाकर अपने वार्ड के काम करवा रहे हैं लेकिन वार्ड 11 अब भी विपक्षी वार्ड की तरह ही उपेक्षित हो रहा है।
लोकेशन थ्योरी से अफसर परेशान
आर्थिक संकट से जूझ रहे निगम के सीनियर अफसरों ने मातहतों पर रिकवरी का दबाव बना दिया। प्रॉपर्टी टैक्स व ओएंडएम सेल की रिकवरी का जिम्मा कमिश्नर ने एडिशनल कमिश्नर ऋषिपाल सिंह को सौंप दिया। एडिशनल कमिश्नर ने कर्मचारियों व मातहत अफसरों को फील्ड में विजिट करने के आदेश दे दिए। अफसर व कर्मचारी फील्ड में हेराफेरी न करें इसके लिए उन्होंने सभी को कहा है कि वह हर घंटे बाद उन्हें लोकेशन भेजेंगे। कुछ अफसर व कर्मचारी अब लोकेशन थ्योरी का तोड़ ढूंढने में लगे हैं। निगम ही नहीं शिक्षा विभाग के अफसर भी लोकेशन थ्योरी से परेशान हैं। शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों व उप जिला शिक्षा अधिकारियों को रात आठ से नौ बजे के बीच अपनी लोकेशन सेंड करने को कहा है। परेशान अफसर अब पुराने फोन को याद कर नए एंड्रॉयड फोन को कोस रहे हैं।
मेयर के दफ्तर में नहीं चलती पर्ची
नगर निगम में जोनल कमिश्नर से लेकर निगम कमिश्नर के दफ्तर में अगर किसी पार्षद या अन्य अधिकारी ने भी जाना हो तो उन्हें पहले पर्ची भेजनी पड़ती है। जब तक साहब अपना अर्दली भेजकर अंदर नहीं बुलाते तब तक निगम में किसी भी अफसर के दफ्तर में आप जा नहीं सकते। अगर कोई पार्षद जबरदस्ती चला भी जाए तो अफसरों की इतनी जुर्रत है कि वह उन्हें बाहर जाने को कह देते हैं। इस बात पर कई बार हंगामा भी हो चुका है। वहीं निगम के मुखिया मेयर बलकार सिंह संधू और सेकेंड मुखिया सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा का दफ्तर ऐसे हैं जहां जाने के लिए पर्ची सिस्टम नहीं है। जब निगम दफ्तर में आओ तब उनके दफ्तर में घुस जाओ। ऐसा सिर्फ पार्षदों या अफसरों के लिए नहीं बल्कि शहर के आम लोगों के लिए भी यही व्यवस्था है।