सेंट्रल जेल में अब मोबाइल पर बात नहीं कर पाएंगे कैदी, इस माह से काम करेंगे जैमर
सेंट्रल जेल में लंबे समय से लटक रहा मोबाइल जैमर लगाने का काम फरवरी 2019 तक पूरा हो जाएगा। खास बात यह है कि जैमर लगने से केवल कैदियों के मोबाइल फोन जैम होंगे
जेएनएन, लुधियाना। सेंट्रल जेल में लंबे समय से लटक रहा मोबाइल जैमर लगाने का काम फरवरी 2019 तक पूरा हो जाएगा। खास बात यह है कि जैमर लगने से केवल कैदियों के मोबाइल फोन जैम होंगे, जबकि एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक पर उसका कोई असर नहीं रहेगा।जेल सुपरिटेंडेंट शमशेर सिंह बोपाराय ने बताया कि डीजीपी जेल रोहित चौधरी के प्रयास से जैमर लगाने का कांट्रेक्ट दिल्ली बेसड कैपिटल इलेक्ट्रॉनिक कंपनी को दिया गया है। कंपनी की एक टीम सेंट्रल जेल में आकर सर्वे भी कर चुकी है। वह बहुत जल्द अपना काम शुरू कर देगी। छोटे जैमर लगाने का काम पंजाब में सबसे पहले लुधियाना जेल में किया जाएगा। उसके बाद राज्य की अन्य जेलों में जैमर लगाने का काम शुरू होगा।
कामयाब नहीं रहा बड़ा जैमर
बोपाराय ने कहा कि पहले पंजाब की जेलों में बड़ा जैमर लगाने का प्रोजेक्ट था। इसे लगाने की लागत दो करोड़ रुपये थी। राज्य की दो जेलों में वो जैमर लगे तो हैं, मगर कामयाब नहीं हो सके। उस जैमर के लगने से जेल परिसर के अंदर तो मोबाइल जैम होते ही हैं, जेल से सटे इलाके भी प्रभावित होते थे। जेल प्रबंधन का कोर्ट व पेशी संबंधी पूरा काम मोबाइल पर होता है। जैमर लगने से अधिकारियों के मोबाइल भी जैम हो जाते थे। बड़े जैमर की मशीन को कोई भी जेल मुलाजिम अपने फायदे के लिए एक घंटे तक बंद सकता है।
7 ब्लॉक में लगेंगे 7 जैमर
कैपिटल कंपनी की तरफ से लगाए जा रहे जैमर मशीन की कीमत दो लाख रुपये है। एक मशीन 100 मीटर रेडियस का इलाका कवर करती है। सेंट्रल जेल में 100 मीटर रेडियस में 7 ब्लॉक हैं। हर ब्लॉक में 7 बैरकें हैं। ऐसे में एक मशीन एक ब्लॉक को कवर करेगी। उस हिसाब से जेल के सातों ब्लॉक में सात जैमर लगाए जाएंगे। उन सब का कंट्रोल जेल सुपरिटेंडेंट ऑफिस में होगा। इसे कोई मुलाजिम अपने फायदे के लिए बंद नहीं कर सकेगा। इनके लगने से एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक में कोई असर नहीं पड़ेगा। अधिकारियों के मोबाइल भी चलते रहेंगे।