ये हैं पंजाब के बाक्सिंग गुरु डा. बलवंत संधू, मुक्केबाजी के शौक ने बच्चों को दिलाया अंतरराष्ट्रीय मुकाम
लुधियाना के गांव चक्र के डा. बलवंत सिंह संधू ने गांव के बच्चों को मुक्केबाजी सिखाने के लिए अकादमी खोली थी। वह खुद भी बेहतरीन मुक्केबाज रहे हैं। आज उनसे प्रशिक्षण प्राप्त खिलाड़ी देश विदेश में गांव और पजाब का नाम रोशन कर रहे हैं।
बिंदु उप्पल, जगराओं (लुधियाना)। गांव चक्र के डा. बलवंत सिंह संधू ने पंजाब में मुक्केबाजी को एक नया आयाम दिया है। जब उन्होंने गांव से प्रतिभाओं को तलाश कर उन्हें मुक्केबाजी का प्रशिक्षण देना शुरू किया तब बच्चों का इस खेल की ओर उतना रुझान नहीं था। कुछ दिनों के अभ्यास के बाद बच्चे मुक्केबाजी से मु्ंह मोड़ लेते थे। मुक्केबाजी को लेकर डा. संधू का जूनुन ऐसा था कि वह अपने मिशन से कभी नहीं भटके। उन्होंने अपने मुक्केबाजों को ओलंपिक तक पहुंचाया। गांव की सिमरनजीत कौर टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेकर लौटी हैं। आज गांव चक्र ही नहीं, पंजाब के सभी खेल प्रेमी डा. संधू को बाक्सिंग गुरू के रूप में देखते हैं।
वर्ष 2005 में प्रिंसिपल बलवंत सिंह संधू ने कालेज की ड्यूटी के साथ-साथ गांव के बच्चों को मुक्केबाजी व पढ़ाई से जोड़ने का प्रयास किया। वह कालेज के समय में खुद एक मुक्केबाज रह चुके थे। इसलिए उन्होंने एक बाक्सिंग अकादमी की स्थापना की। उस समय की पंचायत और कई अन्य नौजवानों ने इस काम में साथ दिया। गांव के एक-एक बच्चे पर काम किया, अभिभावकों की काउंसलिग की। खेलों के फायदे बताकर बच्चों और उनके अभिभावकों को तैयार किया। उन्होंने लड़कियों को भी लड़कों की तरह ट्रेनिंंग देने का प्रयास किया।
गांव चक्र में बाक्सिंग एकेडमी खोलने वाले डा. बलवंत सिंह संधू।
लड़कियां बाक्सिंग सीखें, इसके लिए पहले दोस्तों की बेटियों को प्रशिक्षण दिया
पहले उन्होंने अपने दोस्तों और अपनी बेटियों को ट्रेनिंग के लिए तैयार किया। उसके बाद अन्य अभिभावक भी सामने आने लगे। वर्ष 2005 में बाल दिवस पर गांव की सांझी जगह पैड़ां में रात को बाक्सिंग मुकाबले करवाकर इस खेल की नींव रखी गई। फरवरी, 2006 में उनका एनआरआई अजमेर सिंह सिद्धू के साथ मेल हुआ। उन्हें उनका प्रयास बहुत पसंद आया और वह इसमें सहयोग करने लगे। इस सहयोग से कोच रखे गए और अकादमी की पौध बढ़ती चली गई और मुक्केबाजी से गांव चक्र का नाम रौशन हो गया।
गांव चक्र स्थित अपनी बाक्सिंग एकेडमी में बच्चों को टिप्स देते हुए डा. बलवंत सिंह संधू।
गांव की मनदीप कौर ने जीती विश्व जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप
इस अकादमी ने कई उपलब्धियां हासिल की। इसमें सबसे बड़ी उपलब्धि गांव की सिमरनजीत कौर की रही, जिसका चयन टोक्यो ओलंपिक के लिए हुआ। बाद में उसे अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा गया। वर्ष 2015 में गांव की मनदीप कौर ने विश्व जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप का विजेता बनने का गौरव हासिल किया। चक्र की पहली मुक्केबाज शविंदर कौर 2012 में नेशनल चैम्पियन बनने के साथ-साथ देश की प्रतिभाशाली व श्रेष्ठ मुक्केबाज भी घोषित की गईं। अमनदीप कौर भी नेशनल चैंपियन बनी। फिर, बहन सिमरनजीत कौर मुक्केबाज बनी। वर्ष 2013 में सिमरनजीत कौर ने बुलगारिया में हुई यूथ वूमेन विश्व बाक्सिंग चैम्पियनशिप में कांस्य का पदक जीता। सिमरनजीत ने वर्ष 2018 के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक उपलब्धियां प्राप्त की।