लुधियाना: बच्चों के लिए हेलमेट कर दिया जरूरी, स्कूल में लगाई टू लेयर सिक्योरिटी
गुरपाल कौर ने इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए स्कूल के बाहर खुद ट्रैफिक को वनवे कर दिया।
गुरपाल कौर आनंद कहती हैं कि अगर बच्चों के लिए पैरेंट्स को कुछ सख्त फैसले लेने पड़े तो जरूर ले लेने चाहिए। इससे बच्चों का जीवन सुरक्षित और सुखमय हो जाता है। हर माता पिता अपने बच्चे से प्यार करते हैं और टीचर्स विद्यार्थियों की तरक्की चाहते हैं। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए कठोर फैसले लेने से वह कभी नहीं कतराती।
बिना हेलमेट के ट्रिपल राइडिंग करके जाते थे बच्चे
विद्यार्थियों को अपने बच्चों की तरह समझना और उनके जीवन को संवारने के लिए कड़क रूख अपनाना रॉयन इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल गुरपाल कौर आनंद ने अपने अध्यापन जीवन का सिद्धांत बना दिया। प्रिंसिपल गुरपाल कौर आनंद ने अध्यापन कार्य में आते ही एक बात आत्मसात कर ली थी कि जिन बच्चों को वह पढ़ाएंगी उनमें मॉरल वैल्यूज पैदा करके अच्छा इंसान बनाएंगी। ताकि उनका जीवन संवर सके।
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1994 में अध्यापन कार्य शुरू किया और उत्तर भारत के अलग अलग शहरों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्कूल में अध्यापन किया। चार साल पूर्व रॉयन इंटरनेशनल स्कूल लुधियाना में बतौर प्रिंसिपल नियुक्त हुई। प्रिंसिपल बनने के साथ ही उन्होंने बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष गतिविधियां शुरू कर दी। स्कूल के अंदर और स्कूल के बाहर विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर उन्होंने विशेष प्लानिंग की।
अभिभावकों को विश्वास में लिया और स्कूल के अंदर और बाहर बच्चों के लिए सुरक्षा कवच तैयार किया। स्कूल के अंदर तो ऐसा सुरक्षा घेरा बनाया है कि कोई भी व्यक्ति विद्यार्थियों तक नहीं पहुंच सकता। बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रिंसिपल गुरपाल कौर आनंद लगातार काम कर रही हैं।
अपने स्कूल के बच्चों को हेलमेट पहनना किया जरूरी
एयरफोर्स अफसर के घर में जन्मीं प्रिंसिपल गुरपाल कौर आनंद बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील हैं। पिता एयरफोर्स अफसर थे तो सुरक्षा की बारीकियों को गुरपाल कौर आनंद अच्छे से जानती हैं। उन्होंने सबसे पहले बच्चों की सुरक्षा के लिए प्लानिंग करनी शुरू की। एक साल तक स्कूल के बच्चों और अभिभावकों की नब्ज को टटोला।
अभिभावकों की सहमति मिली तो गुरपाल कौर आनंद ने कठोर फैसले लेने शुरू कर दिए। सबसे पहले उन्होंने स्कूल में टू लेयर सिक्योरिटी सिस्टम शुरू किया। 11वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थी बाइक पर आते थे तो पहले स्कूटर मोटर साइकिल बंद करवाए और गेयरलेस स्कूटी और बाइक लाने को कहा। बच्चे बिना हेल्मेट के आने लगे तो उन्होंने हेलमेट जरूरी कर दिया। तीन साल में विद्यार्थियों को हेलमेट पहनना सिखा दिया। यहां तक कि स्कू्ल के जो विद्यार्थी कभी हेलमेट पहनना पसंद नहीं करते थे वह अब खुद लोगों को हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
स्कूल लगने और छुट्टी के वक्त हो जाता है वनवे सिस्टम
सुबह स्कूल लगने और शाम को छुट्टी के वक्त स्कूल के बाहर ट्रैफिक जाम लग जाता था। पैरेंट्स मनमाने तरीके से अपने वाहन सड़क पर फंसा देते थे, जिसकी वजह से ट्रैफिक जाम की स्थिति बन जाती। कई बार विद्यार्थियों को चोटें लग चुकी थी। यही नहीं वाहन खड़े करने को लेकर पैरेंट्स आपस में लड़ाई तक कर देते थे। मामला प्रिंसिपल तक पहुंच जाता था।
गुरपाल कौर ने इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए स्कूल के बाहर खुद ट्रैफिक को वनवे कर दिया। जमालपुर रोड से एक तरफ से स्कूल की तरफ एंट्री होती है तो दूसरी तरफ से लोग बाहर के लिए निकलते हैं। शुरू में पैरेंट्स के साथ साथ मोहल्ले के लोगों के विरोध को झेलना पड़़ा, लेकिन विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए इस फैसले को अहम मानते हुए प्रिंसिपल गुरपाल कौर आनंद ने इसे लागू करवा दिया। अब पैरेंट्स पूरी तरह इस सिस्टम को फॉलो कर रहे हैं।
उम्र 16 साल होते ही बनवा लेते हैं लाइसेंस
दसवीं कक्षा तक स्कूल में किसी भी विद्यार्थी को वाहन लेकर आने की परमिशन नहीं है। दसवीं कक्षा पास करने के बाद जब विद्यार्थी की उम्र 16 साल हो जाती है तो ही विद्यार्थी गेयरलेस स्कूटर लेकर आ सकता है। गेयरलेस स्कूवटर लाने से पहले विद्यार्थी को लाइसेंस के लिए अप्लाई करना पड़ता है।
प्रिंसिपल सप्ताह में एक दिन खुद बाहर खड़े होकर विद्यार्थियों के हेलमेट और ड्राइविंग लाइसेंस चेक करती हैं, जो विद्यार्थी बिना हेलमेट और लाइसेंस के आता है, उसके अभिभावक को तुरंत स्कूल में बुलाया जाता है और तब तक बच्चे को गेयरलेस स्कूटर देने के लिए मना किया जाता है, जब तक कि उसका लाइसेंस अप्लाई नहीं हो जाता और वह हेलमेट पहनकर नहीं आता। प्रिंसिपल के इस प्रयास से कई विद्यार्थियों का जीवन बच चुका है।
यह है स्कूल का सुरक्षा सिस्टम
1- बिना आईडी प्रूफ के स्कूल में एंट्री नहीं हो सकती। गेट पर आईडी प्रूफ और उसका नंबर लिखा जाता है।
2- गेट पर चेकिंग के बाद ही रिसेप्शन तक जाया जा सकता है।
3- क्लास रूम की तरफ किसी को जाने की अनुमति नहीं है।
4- स्कूल के ड्राइवर और सेवादार भी स्कूल इमारत के अंदर नहीं जा सकते। ड्राइवर, कंडक्टर और सुरक्षा कर्मियों के लिए टॉयलेट सुविधा बाहर ही दी गई है, ताकि वह भी स्कूल इमारत के अंदर न जाएं।
5- पैरेंट्स के लिए भी स्पेशल आईडी कार्ड बनाए गए हैं। उन्हें दिखाकर ही स्कूल कैंपस में प्रवेश कर सकते हैं। स्कूल इमारत के अंदर किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है।
6- स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरा, लेडी कंडक्टर, स्पीड गवर्नर और अन्य सुरक्षा उपकरण लगाए गए हैं।
7- विद्यार्थियों को सेल्फ डिफेंस के लिए विशेष सेमिनार करवाते हैं।
8- स्कूल इमारत के अंदर सेवादार के तौर पर महिलाओं को नियुक्त किया गया है।
मैडम ने हेलमेट नहीं पहनाया होता तो जिंदगी से हाथ धो बैठती
रॉयन इंटरनेशनल स्कूल जमालपुर से बारहवीं कक्षा पास कर चुकी छात्रा भव्या बख्शी का कहना है कि प्रिंसिपल मैडम ने अगर हेलमेट पहनना नहीं सिखाया होता तो शायद वह डेढ़ साल पहले अपना जीवन खो बैठती। भव्या बताती हैं कि जनवरी 2017 में वह स्कूटी पर जा रही थी कि अचानक जीवन नगर चौक में उनकी स्कूटी गिर गई और वह फुटपाथ पर गिर गई।
भव्या का कहना है कि स्कूटी से गिरकर उनका सिर फुटपाथ पर लगे कंक्रीट के ब्लॉक से टकराया। सिर पर हेलमेट होने की वजह से चोट नहीं आई, जबकि शहर के बाकी हिस्सों में गंभीर चोटें आई। भव्या ने बताया कि अगर उनके सिर पर चोट लगती तो वह उनके जीवन के लिए खतरनाक हो सकता था।
उन्होंने बताया कि इस दुर्घटना के बाद जब वह स्कूल गई तो सबसे पहले उन्होंने प्रिंसिपल मैडम को धन्यवाद कहा। भव्या ने प्रिंसिपल को कहा कि अगर वह उन्हें हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित नहीं करती तो शायद वह इस दुर्घटना में अपना जीवन खो देती। भव्या ने बताया कि अब वह अन्य लोगों को भी हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करती हैं।
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