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राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः लुधियाना ने दी पंजाब को आर्थिक मजबूती और खुद अस्पष्ट नीतियों का शिकार

उन्होंने कहा कि लघु उद्योग को बढ़ाने के लिए सरकार ने कई लोन नीतियां शुरु की हुई है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 12:11 PM (IST)
राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः लुधियाना ने दी पंजाब को आर्थिक मजबूती और खुद अस्पष्ट नीतियों का शिकार

औद्योगिक शहर लुधियाना को विकास की ओर ले जाने के लिए सरकार को अपनी नीतियां स्पष्ट करनी होंगी। अस्पष्ट नीतियां और बार-बार उसमें बदलाव के कारण उद्योगों को इसका वह समर्थन नहीं मिल पाता, जो शहर की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए मिलना चाहिए। यह मानना है शहर के विशेषज्ञों का, जिन्होंने शनिवार को दैनिक जागरण के कार्यक्रम 'माय सिटी, माय प्राइड' के तहत इकोनॉमी पर राउंड टेबल कांफ्रेंस (आरटीसी) में भाग लिया। विशेषज्ञों का मानना था कि शहर को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए नागरिकों को भी निस्वार्थ भाव से आगे आना होगा, तभी इसके परिणाम मिल सकते हैं।

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आरटीसी के मॉडरेटर की भूमिका पंजाब कॉलेज ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर डा. केएनएस कंग ने निभाई, जबकि देश के जाने माने अर्थशास्त्री व सेंट्रल यूनिवर्सिटी के चांसलर पद्मभूषण डॉ. सरदारा सिंह जौहल, मेयर बलकार सिंह संधू, एसईएल ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कम सीईओ वीके गोयल, ड्यूक फैशन इंडिया के चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर कोमल कुमार जैन, नोवा साइकिल के सीएमडी हरमोहिंदर पाहवा, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर प्रवीण बांसल और हरमन इंटरप्राइजेज के एमडी राजिंदर सिंह सरहाली ने अपने विचार रखे।

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विशेषज्ञों का मानना था कि सरकार के पास विकास की नीतियां तो हैं, लेकिन सरकारी तंत्र में कुछ कर गुजारने का मादा नहीं है। प्रतिस्पर्धा के दौर में बार-बार औद्योगिक नीतियों में परिवर्तन शहर को आर्थिक रूप से मजबूत करने की बजाए उसे नीचे धकेल देता है। यही कारण है कि प्रदेश के युवा नए उद्यम लगाने को आगे नहीं आ रहे हैं।

इसके अलावा 'ईज टू डू बिजनेस' का माहौल न होने से बाहर से भी निवेश नहीं हो पा रहा है। भले ही सरकार नए उद्योगों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम बनाने और उन्हें नाम मात्र औपचारिकता की बात करती है, लेकिन सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार के सामने यह दावे बौने नजर आते हैं।

पोर्ट और एयर कनेक्टिविटी न होना भी शहर के पिछड़ने का बड़ा कारण है। इस दौरान उपस्थित मेयर बलकार सिंह ने जहां उद्यमियों को हर तरह की सुविधाएं देने का वादा किया, वहीं विशेषज्ञों का कहना था कि उद्यमियों को भी सरकार की ओर हाथ फैलाने की बजाए अपने स्तर पर भी समस्याओं को हल करने के लिए आगे आना होगा।

उद्योग के पलायन को कमजोर आर्थिक नीतियां जिम्मेदार
पदमभूषण प्रख्यात अर्थशास्त्री एवं सेंट्रल यूनिवर्सिटी, बठिंडा के चांसलर डॉ. सरदारा सिंह जौहल का कहना है कि पंजाब की औद्योगिक राजधानी लुधियाना के अधिकतर बड़े कॉरपोरेट घरानों ने विस्तार के लिए दूसरे राज्यों को चुना है। यहां के उद्यमियों ने मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में हजारों करोड़ का निवेश किया है।

इसका सबसे बड़ा कारण सरकारी नीतियों का स्पष्ट न होना है। यहां पर कारोबार शुरू करना इतना आसान नहीं है। भ्रष्टाचार की जड़ें काफी मजबूत हैं। उद्योग विभाग का सिंगल विंडो सिस्टम कतई प्रभावी नहीं है। नई इकाई लगाने के लिए सरकारी औपचारिकताएं पूरी करने में लंबा वक्त लगता है। दूसरे यहां पर कोई आर्थिक राहत नहीं है। पड़ोसी राज्यों हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड को आर्थिक पैकेज मिला है।

हरियाणा एवं यूपी नेशनल कॉरिडोर से जुड़े हैं। यहां पर जमीन काफी महंगी एवं सीमित है। अब बिजली भी काफी महंगी हो गई है। ऐसे में उद्योगों की लागत अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा आ रही है, नतीजतन वे बाजार की चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। उद्यमियों के मन में पंजाब का आकर्षण बढ़ाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। इसके अलावा यहां का औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर काफी कमजोर है। इसे मजबूत करने के लिए रोडमैप बना कर योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा।

कमजोर एयर कनेक्टिविटी का खामियाजा भुगत रहा शहर
पंजाब कॉलेज ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. केएनएस कंग ने कहा कि पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना आज भी कमजोर एयर कनेक्टिविटी का खामियाजा भुगत रही है। शहर के साहनेवाल स्थित एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए केवल एक ही फ्लाइट उड़ती है, उसमें भी यह सुनिश्चित नहीं रहता कि आज जहाज उड़ान भरेगा या नहीं। ऐसे में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पीसीटीई में 42 देशों के विद्यार्थी आकर शिक्षा हासिल करते हैं, लेकिन कई बार विदेशी छात्र एयर कनेक्टिविटी न होने के कारण आने से इंकार कर देते हैं। शहर के विकास के लिए कनेक्टिविटी होना अनिवार्य है।

औद्योगिक शहर होने के चलते यहां पर बड़ी संख्या में विदेशी बायर आते हैं, लेकिन एयर सुविधाएं न होने के कारण वे भी कई बार दिल्ली, मुंबई से ही वापस लौट जाते हैं। इसका खामियाजा शहर को उठाना पड़ रहा है और कारोबारी नुकसान भी हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2007 में पंजाब एवं हरियाणा से आयकर की कलेक्शन छह हजार करोड़ की थी, लेकिन 2018 में पंजाब वहीं खड़ा है, जबकि हरियाणा से कलेक्शन बढ़ कर बीस हजार करोड़ पहुंच गई है।

साफ है कि शहर को सही दिशा देने के लिए ठोस नीतियां बनानी होंगी। कारगर ग्रोथ के लिए एयर कनेक्टिविटी लाना अनिवार्य है। इस दिशा में सही पहल की जरूरत है। उनका यह भी कहना है कि लुधियाना वैसे ही पोर्ट से काफी दूर है। इस वजह से भी लुधियाना में बने उत्पादों की लागत अधिक पड़ रही है। इस दिशा में भी काम करने की जरूरत है।

शहर के विकास के लिए उद्यमी दें सीएसआर फंड
नगर निगम के मेयर बलकार सिंह संधू के अनुसार इंडस्ट्री के विकास के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर होना जरूरी है। इस समय निगम की माली हालत ऐसी नहीं है कि विकास कार्यों पर ज्यादा पैसा खर्च हो सके। जो उद्यमी सीएसआर फंड इधर उधर देते हैं वह शहर के विकास पर खर्च करें। अगर वे ऐसा करते हैं तो निगम उन्हें पूरा सहयोग देगा।

मेयर ने उद्यमियों को विश्वास दिलाया कि वह जो भी पैसा देंगे वह गलत हाथों में नहीं जाने देंगे। मेयर ने शहर के उद्यमियों से यह भी अपील की है कि अगर वह शहर में किसी तरह का काम करवाना चाहते हैं तो वह सीधे उनसे संपर्क करें। निगम के अधिकारी बाकी की सारी औपचारिकताएं उनके घर जाकर पूरी करवाएंगे। उन्होंने कहा कि इसकी शुरूआत कर चुके हैं।

उद्यमी निजी हित छोड़ें तो होगा औद्योगिक विकास
नगर निगम के पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर और भाजपा के प्रदेश महासचिव प्रवीण बांसल ने कहा कि उद्यमियों को सिर्फ अपनी ग्रोथ पर ही ध्यान देने के बजाय शहर की ओवर ऑल इंडस्ट्री के बारे में सोचना होगा। जब इंडस्ट्री का एक हिस्सा ग्रोथ करेगा तो दूसरा हिस्सा भी खुद ब खुद ग्रोथ कर लेगा। बांसल का कहते हैं कि कुछ उद्यमियों ने निजी स्वार्थ के लिए सीईटीपी जैसे प्रोजेक्ट को कई सालों से लटाकर रखा है। उनके निजी स्वार्थ की वजह से शहर की पूरी डाइंग इंडस्ट्री इस समय जूझ रही है। अगर शहर में अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर होगा तो शहर की इंडस्ट्री भी ग्रोथ करेगा।

उनका सुझाव है कि उद्यमी अपने आसपास के इंफ्रास्ट्रक्चर को खुद साफ सुथरा रखें और बकायदा नगर निगम उनको सहयोग करे। निगम को चाहिए कि उद्यमियों को उनके आसपास की सड़कों को संवारने का जिम्मेदारी सौंपे और उसके बदले उन्हें वहां पर विज्ञापन लगाने की परमिशन दे। इससे निगम का बोझ भी कम होगा और उद्यमी अपना प्रचार प्रसार भी कर सकेंगे।

ऐसी पालिसी बनें की उद्यमी कंफर्ट रहें
डयूक फैशन इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन कोमल जैन का कहना है कि बात लुधियाना के उद्योग की करें, तो लुधियाना के उद्यमियों ने कड़ी मेहनत कर खुद को स्थापित किया है। इसमें अगर सरकार सहयोग करे, तो आने वाले समय में लुधियाना देश का अव्वल इंडस्ट्रीयल शहर बन सकता है। इसके लिए सबसे बड़ा रोड़ा सरकारी व्यवस्था पेचीदा होना है। छोटी छोटी बातों के लिए सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है।

जीएसटी को लागू हुए एक साल बीत गया है, लेकिन प्रदेश सरकार ने अभी तक पुराने वैट व्यवस्था का वैट रिफंड तक जारी नहीं किया। ऐसे में इंडस्ट्री को बिना वजह बैंक का ब्याज भरकर इनपुट कास्ट का नुकसान सहना पड़ रहा है। आज अगर लुधियाना में व्यापार करना हो, तो यह संभव नहीं है। इसलिए सरकार को ऐसी पॉलिसियां लानी चाहिए कि यहां के व्यापारी कंफर्ट में काम करें और एक्सपेंशन के लिए दूसरे राज्यों में जाने की बजाए, यहीं निवेश कर अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दें।

हमें पंजाबियों को भी करना होगा स्किल्ड
एसइएल ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एवं सीईओ वीके गोयल ने कहा कि पंजाब की धरती में एक अलग चमक और उत्साह भरा है। पंजाबी केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में अपने टैलेंट के लिए जाने जाते हैं। विदेश में भी भारतीयों ने बड़े बड़े आयाम स्थापित किए हैं। आज पंजाब में जरूरत है कि हम स्किल डेवलपमेंट को फोकस करें। इसके लिए ग्रामीण युवाओं को ट्रेनिंग देने सहित युवाओं को प्रेरित करें। पोर्ट से दूरी और पड़ोसी राज्यों को मिल रहे पैकेज पंजाब के उद्योग को हिला रहे हैं। जो पंजाब के उत्पादों की लागत को तीन से चार प्रतिशत बढ़ा रहें हैं। जमीन महंगी है, लेकिन यहां के लोगों के हौंसले बुलंद है।

अब कंपनियों की ओर से महिला वर्कफोर्स पर भी फोकस करना आरंभ किया है। जो हमारे भविष्य के लिए बेहतर है। इसके लिए सरकार को बेहतर ट्रांसपोर्टेशन, हास्टल बनाने के लिए सुविधा और बेहतर सिक्योरिटी सिस्टम देने होंगे। ताकि ग्लोबल बाजार की तरह भारत में भी महिला वर्कफोर्स काम पर आने के लिए न कतराए। इसके साथ ही शहर की खूबसूरती को बेहतर कर इकनॉमी ग्रोथ लाई जा सकती है। इसके लिए हर सिटिजन सिविक सेंस पर ध्यान दे। खुद में विल पैदा कर पब्लिक पार्टिसिपेशन को बढ़ाए।

नीतियों में बदलाव से पूर्व हो इसकी जानकारी
नोवा साइकिल के सीएमडी हरमोहिंदर सिंह पाहवा का कहना है कि ग्लोबल मार्केट के इस दौर में अब प्राइस वार और क्वालिटी को लेकर भारी कंपीटिशन है। ऐसे में इंडस्ट्री को हर कदम ग्लोबल सिनेरियो को देखकर रखना होगा। ऐसे में सबसे बड़ी अड़चन उद्यमियों को सरकारी नीतियों में बार बार होने वाले बदलावों से सहनी पड़ती है। नीतियों के बदलाव से पूर्व इसके बारे में कोई सूचना नहीं दी जाती और एकदम से पॉलिसी बदल ली जाती है। ऐसे में इंडस्ट्री जिन आर्डरों को एक्सपोर्ट और घरेलू बाजार के लिए एडवांस बुक करती है। इसके लिए ज्यादा इनपुट कास्ट बढ़ने से घाटा सहना पड़ता है।

इसके साथ ही सरकारी नीतियों को देशभर में लागू करने पर काम होना चाहिए। केन्द्र सरकार की योजना के मुताबिक पीएसयू में बीस प्रतिशत खरीद को एमएसएमई से सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। लेकिन कई प्रदेश सरकारें इसे मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में इंडस्ट्री इसका लाभ नहीं ले पा रही। इसके साथ ही गलती और चोरी में अंतर समझकर कार्रवाई की जाए।

लघु उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए बने कारगर नीतियां
हरमन एंटरप्राइजेज के एमडी राजिंदर सिंह सरहाली ने कहा कि लघु उद्योग इंडस्ट्री की अहम अंग है। हर एक बड़ी इंडस्ट्री लघु उद्योग के सहारे ही आगे बढ़ती है, लेकिन सरकार की तरफ से लघु उद्योग को बढ़ाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया जा रहा और न ही उनको प्रोत्साहित करने के लिए कारगर नीतियां बनाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि लघु उद्योग को बढ़ाने के लिए सरकार ने कई लोन नीतियां शुरु की हुई है। लेकिन वह सिर्फ एक या दो प्रतिशत लोगों तक ही पहुंचती है और उसके बाद उसे बंद कर दिया जाता है। सरकार को लघु उद्योग का प्रोत्साहित करने के लिए आसान बैंक लोन नीतियां लेकर आनी चाहिए। ताकि लघु उद्योग उन्नति कर सके और इससे सारी इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा।

सरहाली ने कहा कि उनकी कीरत फाउंडेशन काबिल और जरूरतमंद युवाओं को आर्थिक सहयोग कर रोजगार शुरू करवाती है, जिससे कई युवा मेहनत से काम कर कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंच गए। ऐसे प्रयास सरकार की तरफ से भी किए जाने चाहिए।

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