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महिलाओं को स्वरोजगार का मार्ग दिखाया रजनी बैक्टर ने

आज रजनी बैक्टर की कमान में करीब एक हजार करोड़ की टर्नओवर वाला एक बड़ा बिजनेस एंपायर खड़ा हो गया है, जिसकी छाया में दस हजार लोगों को रोजगार मिला है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 11:19 AM (IST)
महिलाओं को स्वरोजगार का मार्ग दिखाया रजनी बैक्टर ने

क्रीमिका ग्रुप की चेयरपर्सन रजनी बैक्टर का मानना है कि जीवन में कामयाबी रातोंरात नहीं मिलती, जरूरत है संयम और सच्चाई के मार्ग पर चलने की। ईमानदारी एवं पारदर्शिता से काम करने पर सफलता अवश्य मिलेगी। उत्तम क्वालिटी ही उनका मूल मंत्र है।

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जुनून ने सफल एंटरप्रिन्योर बना दिया
कुकिंग के जुनून ने आइसक्रीम क्वीन रजनी बैक्टर को देश की सफल एंटरप्रिन्योर बना दिया। आज रजनी बैक्टर की कमान में क्रीमिका के ब्रांड के तहत करीब एक हजार करोड़ की टर्नओवर वाला एक बड़ा बिजनेस एंपायर खड़ा हो गया है, जिसकी छाया में दस हजार लोगों को रोजगार मिला है और उनके परिवारों का पालन पोषण हो रहा है। रजनी की मेहनत के दम पर आज क्रीमिका ग्रुप देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी शोहरत के झंडे बुलंद कर रहा है।

साथ ही रजनी आज भी लुधियाना की महिलाओं के लिए एक मार्गदर्शक एवं मिसाल हैं। उन्होंने साबित किया कि महिलाएं भी कारोबारी दुनिया में अपना सिक्का जमा सकती हैं। रजनी को आज भी याद है कि जब भी हीरो ग्रुप के चेयरमैन बृज मोहन लाल मुंजाल एवं को-चेयरमैन ओम प्रकाश मुंजाल उनसे मिलते थे तो कहते थे कि रजनी ने लुधियानवियों को खाना सिखा दिया।

घर से शुरू किया कारोबार
रजनी बैक्टर का जन्म दो जून 1940 में कराची (अब पाकिस्तान में) हुआ। उनके पिता दीवान चंद तलवार को अंग्रेजी हुकूमत से राय साहिब का खिताब मिला था। बंटवारे से कुछ पहले उनका परिवार लाहौर में रहा और बंटवारे के वक्त परिवार कश्मीर शिफ्ट हो गया। इसके बाद वे दिल्ली शिफ्ट कर गए। रजनी ने स्नातक तक की शिक्षा हासिल करने के अलावा कुकिंग एवं आइसक्रीम मेकिंग के कई कोर्स किए। 1957 में उनका विवाह हुआ और रजनी लुधियाना आ गई।

पीएयू के डेयरी टेक्नोलॉजी विभाग से आइसक्रीम बनाने की विधि समझी और घर पर ही कुकिंग करती रहीं। उनके परिवार, मित्र एवं आसपास के लोग उनकी कुकिंग की सराहना करते थे और उनको प्रेरित करते थे कि वे बड़े स्तर पर काम शुरू करे, खास कर डॉ. बीके आहूजा का इसमें काफी योगदान रहा। रजनी ने आइसक्रीम के कई फ्लेवर बना कर पहले फेट में स्टॉल लगाकर बिक्री किए। जबरदस्त रिस्पांस के बाद उनका हौसला बढ़ गया और उन्होंने 1978 में घर पर ही हैंड चरनर लगा कर काम शुरू किया। इसके बाद इलेक्ट्रिक मशीन लगाई।

शुरुआत में आइसक्रीम के अलावा पुडिंग, सेलेड और फिर बाद में बिस्किट में भी हाथ आजमाना शुरू किया। उनके कारोबार में पति एवं ससुर का भरपूर सहयोग रहा। रजनी ने अपने घर में ही आइसक्रीम का छोटा प्लांट लगाया और वे शुरूआत में 18-18 घंटे काम करती थीं। फिर घर में ही ब्रेड बनाना शुरू कर दिया।

रजनी ने आतंकवाद का खौफनाक दौर भी देखा। उनके बड़े बेटे पर आतंकियों ने हमला तक किया, लेकिन वे बाल बाल बच गए। तब चारों तरफ डर के माहौल में कारोबार को शिफ्ट करने तक की सोच बन गई थी। माहौल शांत होने के बाद फिल्लौर में नया बिस्किट का प्लांट लगाया और इसके बाद कॉरपोरेट कल्चर में क्रीमिका ने प्रोफेशनल तरीके से कामयाबी की राह पकड़ी। जब मैकडॉनल्ड ने भारतीय बाजार में एंट्री की तो क्रीमिका के साथ ही तालमेल किया।

दस हजार कर्मियों को समझती हैं अपना परिवार
समाज सेवा के क्षेत्र में भी रजनी बैक्टर पीछे नहीं हैं। उनका मानना है कि क्रीमिका ग्रुप में काम कर रहे दस हजार परिवारों की आर्थिक स्थिति को पहले सुधारना आवश्यक है। इसके लिए वे हमेशा ही तत्पर रहती हैं, किसी कर्मचारी के बच्चे की शिक्षा हो या विवाह का अवसर, चाहे फिर बीमारी का इलाज, रजनी ने हमेशा ही सहयोग का हाथ बढ़ाया है। कर्मचारियों  के बच्चे अच्छी शिक्षा हासिल करते हैं तो उनको वहीं पर रोजगार देने में प्राथमिकता दी जाती है।

इसके अलावा वे डीएमसी और अन्य संस्थानों में शिक्षा हासिल कर रहे जरूरतमंद बच्चों के लिए छात्रवृति का भी इंतजाम करती हैं। आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को राशन मुहैया कराने में भी वे मदद देती हैं।

मैडम ने जीने का मकसद दिया
रजनी बैक्टर ने जब 1978 में घर से ही काम की शुरूआत की थी तब राम सिंह को उन्होंने काम पर रखा था, राम सिंह आज भी उनके साथ हैं और वह क्रीमिका के आइसक्रीम प्लांट का हेड कंट्रोलर हैं। राम सिंह का मानना है कि मैडम ने उनको जीवन का मकसद दिया और आज वे आइसक्रीम के बड़े माहिर हैं। वहीं रजनी का मानना है कि यदि समाज और शहर बेहतर होगा तभी लोगों की तरक्की संभव है। इसलिए सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। शहर के विकास में हर कोई योगदान करे तो यहां का कायाकल्प तेजी से हो सकता है।

यह अवॉर्ड किए हासिल
- साल 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने रजनी बैक्टर को पीएचडी चैंबर के बिजनेस वुमेन ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित किया।
- साल 2009 में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने फिक्की के बिजनेस एवं आंत्रप्रिन्योरशिप अवॉर्ड से नवाजा।
- साल 2010 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रजनी बैक्टर को सिडबी के बिजनेस वुमेन ऑफ द ईयर अवॉर्ड से नवाजा।
- साल 2010 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने रजनी को उद्योग रत्न अवॉर्ड से नवाजा।
- इसके अलावा भी रजनी बैक्टर को कई संगठनों की ओर से समय समय पर अवॉर्ड देकर सम्मानित किया गया।

रजनी बैक्टर 

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